Navratri Shakti Siddha Sadhana: सनातन धर्म की संस्कृति में अश्विन मास का महीना अपने आप में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सिद्ध साधना के लिए इस समय एक विशिष्ट चक्र जागृत होने लगता है। इस दौरान व्रत साधना का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। सभी मनुष्य के शरीर में सात प्रकार के चक्र होते हैं। जिसके जागृत होने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के नौ दिनों में से 7 दिन उन चक्र को जगाने के लिए साधना की जाती है। आठवें दिन चक्र की सिद्ध शक्ति के लिए पूजा अर्चना की जाती है। और नौवे दिन शक्ति पूर्णता सिद्ध हो जाती है। और मनुष्य के भीतर यह सिद्ध शक्ति जागृत हो जाती है।
Navratri Shakti Siddha Sadhana: नवरात्रि के शैलपुत्री से लेकर सातवें दिन की कालरात्रि तक मनुष्य सातों दिन साधना पूरी करते हैं ।और आठवें दिन महागौरी की पूजा करते हैं इसके उपरांत नवें दिन सिद्धिदात्री पर साधुओं की साधना पूर्ण हो जाती है। आश्विन मास में प्रकृति पूर्ण रूप से साधकों के लिए जागृत हो जाती है। इसलिए यह एक ऐसा समय है जो साधना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण व फलदाई होता है।
Navratri Shakti Siddha Sadhana: नौ देवियों की शक्ति, सिद्ध चक्र साधना।
मां शैलपुत्री
Navratri Shakti Siddha Sadhana: नवरात्रि की प्रथम दिन से साधक अपनी सिद्धि का मूल आधार जागृत करता है।
मां ब्रह्मचारिणी
Navratri Shakti Siddha Sadhana: नवरात्रि के द्वितीय दिन में साधक के अपनी सिद्धि के लिए ब्रह्मचर्य जागृत करता है।
मां चंद्रघंटा
Navratri Shakti Siddha Sadhana: नवरात्रि के तृतीय दिन में साधक की साधना मणिपुर चक्र पर पहुंच जाती है। जिससे साधक के अंदर चंद्र के समान शांति जागृत होने लगती है।
मां कुष्मांडा
Navratri Shakti Siddha Sadhana: नवरात्रि के चतुर्थ दिन में साधक की साधना हृदय चक्र में जागृत होने लगती है। इससे साधक के अंदर सुख व आनंद की प्राप्ति आरंभ हो जाती है।
मां स्कंदमाता
Navratri Shakti Siddha Sadhana: नवरात्रि के पंचम दिन में साधक के अंदर विशुद्ध चक्र, ज्ञान- भावना और वैराग्य जागृत होने लगता है।
मां कात्यायनी
Navratri Shakti Siddha Sadhana: नवरात्रि के छठे दिन में मां कात्यायनी साधक के अंदर आज्ञा चक्र जागृत करके, रोग, शोक, संताप और भय को हमेशा के लिए दूर कर देती हैं।
मां कालरात्रि
Navratri Shakti Siddha Sadhana: मां कालरात्रि का स्वरूप साधक के अंदर त्रिनेत्र की शक्ति जागृत करता है। जहां साधक नकारात्मक और सकारात्मक में भेद करने की शक्ति प्राप्त कर लेता है।
मां महागौरी
Navratri Shakti Siddha Sadhana: नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी साधक के अंदर ब्रह्मानंद जाग्रत करती हैं। साधक इस दिन मां महागौरी के आनंद रूप की पूजा करता है।
मां सिद्धिदात्री
Navratri Shakti Siddha Sadhana: मां सिद्धिदात्री अष्ट सिद्धि नव निधि की दात्रि है। यह साधक की शक्ति को सिद्ध करके प्रदान करती हैं।
Navratri Shakti Siddha Sadhana: 9 की पूर्णता प्रेरणा
Navratri Shakti Siddha Sadhana: 9 एक पूर्णांक अर्थ अंक होता है। क्योंकि 9 के बाद कोई अंक नहीं आता है। सनातन धर्म में ग्रह भी 9 ही बताए गए हैं। इसलिए साधकों की शक्ति को सिद्ध करने की साधना के लिए नवरात्रि के यह 9 दिन सबसे उचित माने गए हैं।
Navratri Shakti Siddha Sadhana: नवरात्रि की रात्रि ही क्यों महत्वपूर्ण है?
Navratri Shakti Siddha Sadhana: नवरात्रि के उच्चारण से जो विशेष रात्रियों का बोध होता है। रात्रि शब्द शक्ति को सिद्ध करने का प्रतीक माना जाता है। प्राचीन समय में ऋषि- मुनियों ने भी शक्ति को सिद्ध करने के लिए दिन से अधिक रात्रि को महत्व दिया है। अगर ध्यान दें, तो सनातन धर्म में विशेष त्यौहार जैसे – दीपावली, होलिका दहन, शिवरात्रि, नवरात्रि, करवा चौथ और सावन तीज आदि उत्सवों को रात में मनाने की परंपरा पहले से चली आ रही है। अर्थात शिव और शक्ति से जुड़े समस्त त्योहारों में रात्रि का विशेष महत्व होता है।
Navratri Shakti Siddha Sadhana: वर्ष में 4 नवरात्रियां होती हैं
Navratri Shakti Siddha Sadhana: सनातन धर्म संस्कृति में चार नवरात्रियों का उल्लेख है। चैत्र मास और आश्विन मास में आने वाली नवरात्रियों के अलावा दो गुप्त नवरात्रों का उल्लेख है। गुप्त नवरात्रियों में एक आषाढ़ मास में और दूसरी माघ मास में मनाई जाती है। यह दोनों गुप्त नवरात्रियां तांत्रिक सिद्ध साधना के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। चेत्र और आश्विन मास की नवरात्रि शक्ति सिद्ध साधना के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
निष्कर्ष
Navratri Shakti Siddha Sadhana: नवरात्रियों के 9 दिन शक्ति को सिद्ध करने के लिए महत्वपूर्ण समय रहता हैं। इसके साथ ही गुप्त नवरात्रियों के भी 9 दिन तांत्रिक शक्ति को सिद्ध करने के लिए महत्वपूर्ण समय रहता हैं। इसलिए नवरात्रि को शक्ति सिद्ध करने का सबसे उपयुक्त समय सनातन धर्म संस्कृति में माना जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न- नवरात्रि में सिद्धि प्राप्त कैसे करें?
उत्तर- सनातन धर्म की संस्कृति में अश्विन मास का महीना अपने आप में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सिद्ध साधना के लिए इस समय एक विशिष्ट चक्र जागृत होने लगता है। इस दौरान व्रत साधना का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। सभी मनुष्य के शरीर में सात प्रकार के चक्र होते हैं। जिसके जागृत होने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के नौ दिनों में से 7 दिन उन चक्र को जगाने के लिए साधना की जाती है। आठवें दिन चक्र की सिद्ध शक्ति के लिए पूजा अर्चना की जाती है। और नौवे दिन शक्ति पूर्णता सिद्ध हो जाती है। और मनुष्य के भीतर यह सिद्ध शक्ति जागृत हो जाती है।
प्रश्न- मां दुर्गा की सिद्धि कैसे प्राप्त करें?
उत्तर- नवरात्रि के शैलपुत्री से लेकर सातवें दिन की कालरात्रि तक मनुष्य सातों दिन साधना पूरी करते हैं ।और आठवें दिन महागौरी की पूजा करते हैं इसके उपरांत नवें दिन सिद्धिदात्री पर साधुओं की साधना पूर्ण हो जाती है। आश्विन मास में प्रकृति पूर्ण रूप से साधकों के लिए जागृत हो जाती है। इसलिए यह एक ऐसा समय है जो साधना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण व फलदाई होता है।
प्रश्न- अपनी शक्तियों को जागृत कैसे करें?
उत्तर- मां शैलपुत्री
नवरात्रि की प्रथम दिन से साधक अपनी सिद्धि का मूल आधार जागृत करता है।
मां ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि के द्वितीय दिन में साधक के अपनी सिद्धि के लिए ब्रह्मचर्य जागृत करता है।
मां चंद्रघंटा
नवरात्रि के तृतीय दिन में साधक की साधना मणिपुर चक्र पर पहुंच जाती है। जिससे साधक के अंदर चंद्र के समान शांति जागृत होने लगती है।
मां कुष्मांडा
नवरात्रि के चतुर्थ दिन में साधक की साधना हृदय चक्र में जागृत होने लगती है। इससे साधक के अंदर सुख व आनंद की प्राप्ति आरंभ हो जाती है।
मां स्कंदमाता
नवरात्रि के पंचम दिन में साधक के अंदर विशुद्ध चक्र, ज्ञान- भावना और वैराग्य जागृत होने लगता है।
मां कात्यायनी
नवरात्रि के छठे दिन में मां कात्यायनी साधक के अंदर आज्ञा चक्र जागृत करके, रोग, शोक, संताप और भय को हमेशा के लिए दूर कर देती हैं।
मां कालरात्रि
मां कालरात्रि का स्वरूप साधक के अंदर त्रिनेत्र की शक्ति जागृत करता है। जहां साधक नकारात्मक और सकारात्मक में भेद करने की शक्ति प्राप्त कर लेता है।
मां महागौरी
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी साधक के अंदर ब्रह्मानंद जाग्रत करती हैं। साधक इस दिन मां महागौरी के आनंद रूप की पूजा करता है।
मां सिद्धिदात्री
मां सिद्धिदात्री अष्ट सिद्धि नव निधि की दात्रि है। यह साधक की शक्ति को सिद्ध करके प्रदान करती हैं।उत्तर-
प्रश्न- नवरात्रि की रात्रि ही क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर- नवरात्रि के उच्चारण से जो विशेष रात्रियों का बोध होता है। रात्रि शब्द शक्ति को सिद्ध करने का प्रतीक माना जाता है। प्राचीन समय में ऋषि- मुनियों ने भी शक्ति को सिद्ध करने के लिए दिन से अधिक रात्रि को महत्व दिया है। अगर ध्यान दें, तो सनातन धर्म में विशेष त्यौहार जैसे – दीपावली, होलिका दहन, शिवरात्रि, नवरात्रि, करवा चौथ और सावन तीज आदि उत्सवों को रात में मनाने की परंपरा पहले से चली आ रही है। अर्थात शिव और शक्ति से जुड़े समस्त त्योहारों में रात्रि का विशेष महत्व होता है।
प्रश्न- वर्ष में कितनी नवरात्रियां होती हैं ?
उत्तर- वर्ष में 4 नवरात्रियां होती हैं
सनातन धर्म संस्कृति में चार नवरात्रियों का उल्लेख है। चैत्र मास और आश्विन मास में आने वाली नवरात्रियों के अलावा दो गुप्त नवरात्रों का उल्लेख है। गुप्त नवरात्रियों में एक आषाढ़ मास में और दूसरी माघ मास में मनाई जाती है। यह दोनों गुप्त नवरात्रियां तांत्रिक सिद्ध साधना के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। चेत्र और आश्विन मास की नवरात्रि शक्ति सिद्ध साधना के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
प्रश्न- 9 की पूर्णता प्रेरणा क्या है?
उत्तर- 9 एक पूर्णांक अर्थ अंक होता है। क्योंकि 9 के बाद कोई अंक नहीं आता है। सनातन धर्म में ग्रह भी 9 ही बताए गए हैं। इसलिए साधकों की शक्ति को सिद्ध करने की साधना के लिए नवरात्रि के यह 9 दिन सबसे उचित माने गए हैं।
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