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Meditation in Navratri : नवरात्रि में ध्यान लगाकर कर सकते हैं, महा शक्ति देवी की उपासना II जानिए उपासना की ये 9 ध्यान विधियां

Meditation in Navratri : नवरात्रि के समय भक्त अपनी श्रद्धा भाव के अनुसार महाशक्ति देवी की उपासना करते हैं। महादेवी का मुख्य स्रोत कहता है, कि प्रत्येक मनुष्य के अंदर बहुत सारे गुण बसे रहते हैं। यदि मनुष्य सच्चे मन से ध्यान लगता है, तो भी वह महादेवी की उपासना कर सकता है।

Meditation in Navratri : महादेवी की उपासना करने के लिए मनुष्य को व्रत व उपवास रखने की आवश्यकता नहीं है। इसमें मनुष्य महादेवी के 9 दिनों में नियमित रूप से छोटी-छोटी ध्यान विधियों को अपनाते हुए उपासना कर सकता है। जिससे मनुष्य के अंदर आंतरिक विकास जागृत होगा। यह ध्यान मनुष्य के जीवन में काम आएगा। उपरोक्त लेख में नो विधियों को प्रस्तुत किया गया है। रोज एक-एक विधि को आप नौ देवी की उपासना के रूप में कर सकते हैं।

विषय बस्तु

Meditation in Navratri : सूर्य को मन में जगाएं

Meditation in Navratri : अपने मन में ऐसे भाव उत्पन्न करना है, जैसे की आप सूर्य नारायण को उदय होता देख रहे हैं। जिस प्रकार सूर्य भगवान क्षितिज पर आते हैं । उसी प्रकार अपने मन में ऐसे भाव करें, कि सूर्य का प्रकाश बिंदु आपके नाभि के अंदर है। इसकी उपरांत सूर्य नाभि से धीरे-धीरे ऊपर की ओर आ रहा है। ऐसे भाव अपने मन में जागृत करें। इस प्रकार सूर्य को अपने मन में जागने से आप अपने भीतर सूर्य नारायण को अपने भीतर जगमगाते हुए देख सकते हैं।

Meditation in Navratri : थोड़ा ठहरे और स्वयं को सुने

Meditation in Navratri : यह विधि बहुत ही साधारण सी विधि है। इसे करने के लिए मुश्किल से आपको आधा मिनट लगेगा। लेकिन इस पूरे दिन में कम से कम छह बार करना है। इसका सबसे महत्वपूर्ण राज है, कि यह विधि आपको अचानक करना है। जैसे आप कोई काम कर रहे हैं, और आपको अचानक याद आ जाता है, कि आपको विधि करना है। तो तुरंत आपको रुक जाना है।

अपने शरीर से कोई गतिविधि नहीं करनी है। आधे मिनट के लिए आप ठहरे और स्वयं के मन को सुने। और उसके प्रति सजग हो जाए फिर इसके बाद आप अपना काम शुरू कर लें। ऐसा करने से आपके अंदर सजगता का भाव उत्पन्न होगा। आपको अचानक ठहरने से पूरी ऊर्जा प्राप्त होगी।

Meditation in Navratri : मन के भाव बेहतर करें

Meditation in Navratri : जब भी आप काम करते हुए थकान महसूस करें और आपको लगे कि आपका काम करने में मन नहीं लग रहा है, तो 5 मिनट के लिए गहरी सांस लेते हुए छोड़ें। सांस छोड़ते समय अपने मन से अनमनापन बाहर निकाल कर फेंक दें। ऐसा करने से आप हैरान हो जाएंगे, की इन 5 मिनट में ही आपका खराब मूड गायब हो गया है। और आपने अपने मन को बेहतर बना लिया है l

Meditation in Navratri : अहंकार को दूर करें

Meditation in Navratri : पार्क में जाकर किसी पेड़ के नीचे बैठ जाए। इसके बाद ना तो आपको भविष्य के बारे में सोचना है, और न हीं अतीत के बारे में सोचना है, आपको सिर्फ वर्तमान स्थिति में बैठ जाना है। अपने मन में ऐसे भाव लाने हैं, कि आप दुनिया से गायब हो गए हैं। इससे आप देखेंगे कि आपके बिना भी दुनिया चल रही है। इस प्रकार की विधि को आप दिन में कई बार कर सकते हैं। इसका अनुभव कर सकते हैं। इसे सिर्फ आपको आधा मिनट के लिए करना है। आपको यह अहंकार दूर हो जाएगा, कि आपके बिना दुनिया नहीं चलती है।

Meditation in Navratri : शिथिलता लाएं

Meditation in Navratri : अपने शरीर में श्वास को कुछ समय के लिए शिथिल करें। इसमें आपको अपने शरीर को शिथिल करने की आवश्यकता नहीं है। सिर्फ श्वसन क्रिया को शिथिल करना है। आप देखेंगे कि आपके चारों ओर कितने प्रकार की चीज चल रही है, और उन सबको स्वीकार करना है।

Meditation in Navratri : शांति मिलना

Meditation in Navratri : जब भी आपसे कोई व्यक्ति मिले तो आप बिल्कुल शांत भाव से उससे मिले। जब वह व्यक्ति आपके समीप आए तो गहरी सांस लेकर उसका स्वागत करें। इससे आपके मन को अपार शांति प्राप्त होगी।

Meditation in Navratri : संतुलन बनाएं

Meditation in Navratri : जब भी आप नहा कर निकले तो अपने दोनों पैरों को समानांतर फैला कर खड़े हो जाएं। फिर आप देखें कि आपके कौन से पैर पर आपके शरीर का सबसे ज्यादा दबाव पड़ रहा है। अपने शरीर का दबाव पैरों की भार के अनुसार बदलती रहे। कुछ समय बाद आप देखेंगे आपके शरीर का भार अब दोनों पैरों पर नहीं है। आपका शरीर बिल्कुल संतुलन अवस्था में हो गया है। इससे आपकी चेतना में संतुलनता आ जाएगी।

Meditation in Navratri : हां कहने की आदत डालें

Meditation in Navratri : किसी काम को ना कहने से आपके अंदर नकारात्मक नकारात्मक उर्जा उत्पन्न होती है। और अहंकार का भी जन्म होता है। इसके लिए आप अधिकतम हां का अनुसरण करें। हां का उच्चारण करने से आपके अंदर सकारात्मक भाव उत्पन्न होंगे।

Meditation in Navratri : प्रकृति और ईश्वर का धन्यवाद करें

Meditation in Navratri : हमें अपनी जिंदगी में प्रकृति और ईश्वर ने बहुत कुछ दिया है। लेकिन हम उनका कभी धन्यवाद नहीं करते हैं। अगर हमें जरा सी भी तकलीफ हो जाती है, तो हम उनको कसूरवार जरूर ठहरने लगते हैं। या उनसे शिकायत करने लगते हैं। हमें अपनी फितरत को बदलना होगा। हमें अपनी प्रकृति और अपने ईश्वर का धन्यवाद जरूर करना होगा।

निष्कर्ष

Meditation in Navratri : नवरात्रि के पावन पर्व में पर हमें इन विधियो से मां जगदंबा की उपासना करनी चाहिए। तथा अपने जीवन में यह परिवर्तन लाना बहुत जरूरी होता है। आज हम प्रण लें की नवरात्रि के पावन पर्व पर हम अपनी जीवन शैली में इन विधियों के माध्यम से बदलाव करेंगे।

अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न- प्रकृति और ईश्वर का धन्यवाद कैसे करें ?

उत्तर- हमें अपनी जिंदगी में प्रकृति और ईश्वर ने बहुत कुछ दिया है। लेकिन हम उनका कभी धन्यवाद नहीं करते हैं। अगर हमें जरा सी भी तकलीफ हो जाती है, तो हम उनको कसूरवार जरूर ठहरने लगते हैं। या उनसे शिकायत करने लगते हैं। हमें अपनी फितरत को बदलना होगा। हमें अपनी प्रकृति और अपने ईश्वर का धन्यवाद जरूर करना होगा।

प्रश्न- हां कहने की आदत कैसे डालें ?

उत्तर-  किसी काम को ना कहने से आपके अंदर नकारात्मक नकारात्मक उर्जा उत्पन्न होती है। और अहंकार का भी जन्म होता है। इसके लिए आप अधिकतम हां का अनुसरण करें। हां का उच्चारण करने से आपके अंदर सकारात्मक भाव उत्पन्न होंगे।

प्रश्न- संतुलन कैसे बनाएं ?

उत्तर- जब भी आप नहा कर निकले तो अपने दोनों पैरों को समानांतर फैला कर खड़े हो जाएं। फिर आप देखें कि आपके कौन से पैर पर आपके शरीर का सबसे ज्यादा दबाव पड़ रहा है। अपने शरीर का दबाव पैरों की भार के अनुसार बदलती रहे। कुछ समय बाद आप देखेंगे आपके शरीर का भार अब दोनों पैरों पर नहीं है। आपका शरीर बिल्कुल संतुलन अवस्था में हो गया है। इससे आपकी चेतना में संतुलनता आ जाएगी।

प्रश्न- शांति कैसे मिलना ?

उत्तर-  जब भी आपसे कोई व्यक्ति मिले तो आप बिल्कुल शांत भाव से उससे मिले। जब वह व्यक्ति आपके समीप आए तो गहरी सांस लेकर उसका स्वागत करें। इससे आपके मन को अपार शांति प्राप्त होगी।

प्रश्न- शिथिलता कैसे लाएं ?

उत्तर- अपने शरीर में श्वास को कुछ समय के लिए शिथिल करें। इसमें आपको अपने शरीर को शिथिल करने की आवश्यकता नहीं है। सिर्फ श्वसन क्रिया को शिथिल करना है। आप देखेंगे कि आपके चारों ओर कितने प्रकार की चीज चल रही है, और उन सबको स्वीकार करना है।

प्रश्न- मन के भाव को बेहतर कैसे करें ?

उत्तर- जब भी आप काम करते हुए थकान महसूस करें और आपको लगे कि आपका काम करने में मन नहीं लग रहा है, तो 5 मिनट के लिए गहरी सांस लेते हुए छोड़ें। सांस छोड़ते समय अपने मन से अनमनापन बाहर निकाल कर फेंक दें। ऐसा करने से आप हैरान हो जाएंगे, की इन 5 मिनट में ही आपका खराब मूड गायब हो गया है। और आपने अपने मन को बेहतर बना लिया है l

प्रश्न- थोड़ा ठहरे और स्वयं को कैसे सुने ?

उत्तर- यह विधि बहुत ही साधारण सी विधि है। इसे करने के लिए मुश्किल से आपको आधा मिनट लगेगा। लेकिन इस पूरे दिन में कम से कम छह बार करना है। इसका सबसे महत्वपूर्ण राज है, कि यह विधि आपको अचानक करना है। जैसे आप कोई काम कर रहे हैं, और आपको अचानक याद आ जाता है, कि आपको विधि करना है। तो तुरंत आपको रुक जाना है।
अपने शरीर से कोई गतिविधि नहीं करनी है। आधे मिनट के लिए आप ठहरे और स्वयं के मन को सुने। और उसके प्रति सजग हो जाए फिर इसके बाद आप अपना काम शुरू कर लें। ऐसा करने से आपके अंदर सजगता का भाव उत्पन्न होगा। आपको अचानक ठहरने से पूरी ऊर्जा प्राप्त होगी।

प्रश्न- सूर्य को मन में कैसे जगाएं ?

उत्तर- अपने मन में ऐसे भाव उत्पन्न करना है, जैसे की आप सूर्य नारायण को उदय होता देख रहे हैं। जिस प्रकार सूर्य भगवान क्षितिज पर आते हैं । उसी प्रकार अपने मन में ऐसे भाव करें, कि सूर्य का प्रकाश बिंदु आपके नाभि के अंदर है। इसकी उपरांत सूर्य नाभि से धीरे-धीरे ऊपर की ओर आ रहा है। ऐसे भाव अपने मन में जागृत करें। इस प्रकार सूर्य को अपने मन में जागने से आप अपने भीतर सूर्य नारायण को अपने भीतर जगमगाते हुए देख सकते हैं।

प्रश्न- अहंकार को दूर कैसे करें ?

उत्तर- पार्क में जाकर किसी पेड़ के नीचे बैठ जाए। इसके बाद ना तो आपको भविष्य के बारे में सोचना है, और न हीं अतीत के बारे में सोचना है, आपको सिर्फ वर्तमान स्थिति में बैठ जाना है। अपने मन में ऐसे भाव लाने हैं, कि आप दुनिया से गायब हो गए हैं। इससे आप देखेंगे कि आपके बिना भी दुनिया चल रही है। इस प्रकार की विधि को आप दिन में कई बार कर सकते हैं। इसका अनुभव कर सकते हैं। इसे सिर्फ आपको आधा मिनट के लिए करना है। आपको यह अहंकार दूर हो जाएगा, कि आपके बिना दुनिया नहीं चलती है।

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