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Asthma: बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा बढ़ता है अस्थमा का खतरा, छोटे बच्चों का बारिश में भीगना है, अधिकत जोखिम भरा, जाने अस्थमा के लक्षण और रोकथाम के 3 घरेलू उपचार

Asthma : इस बरसात के मौसम में बारिश के साथ-साथ अस्थमा पीड़ितों की संख्या भी बढ़ने लगती है। पिछले वर्ष की आई डब्ल्यू एच ओ की रिपोर्ट के अनुसार ” भारत देश में लगभग 3.43 करोड़ लोग बारिश के मौसम में अस्थमा से पीड़ित हो जाते हैं। इससे हर साल लगभग 1.98 लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ता है।” अस्थमा श्वसन पद्धति से संबंधित एक बीमारी होती है, जिससे पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।

Asthma : अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को खांसी आती है, खांसी के साथ कफ भी निकलने लगता है। यह बीमारी एक जेनेटिक टेंडेंसी कहलाती है। यानी यदि परिवार में पुरानी पीढ़ी में किसी को अस्थमा जैसी बीमारी रही है, तो अन्य पीढ़ी में अस्थमा होने की आशंका बढ़ जाती है। बच्चों में सर्दी खांसी के दौरान यदि सांस लेने में कठिनाई हो रही है, तो आप उसे गंभीरता से लें। अस्थमा जैसी खतरनाक बीमारी को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है। देश में लगभग 95% पीड़ित व्यक्ति बिना किसी बाधा के अपने दैनिक कार्य करते हैं।

आईए जानते हैं अस्थमा से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी के बारे में…..

विषय बस्तु

Asthma : अस्थमा क्या है, और इसके होने क्या कारण है ?

Asthma : अस्थमा एक तरह की एलर्जी होती है, जिसमें हमारे शरीर की वायु नलिकाएं है, जो कि अत्यधिक संवेदनशील हो जाती हैं। अस्थमा की एलर्जी धूल, जानवरों के बाल, गंध धुआ या खाने की वस्तुओं से हो सकती है। अस्थमा की बीमारी के कारण पीड़ित व्यक्ति के शरीर की वायु नलिकाएं सिकुड़ने लगती हैं। जिससे पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई उत्पन्न होने लगती है, तथा पीड़ित व्यक्ति के सीने में जकड़न और सांस फूलने जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती हैं। अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को रात और सुबह के समय अधिक खांसी आती है। कभी-कभी खांसी के बाद उल्टी आना अस्थमा के गंभीर होने का संकेत देता है।

Asthma : आमतौर पर अस्थमा किस उम्र में होता है?

Asthma : किसी भी बीमारी का उम्र से कोई संबंध नहीं होता है। अस्थमा की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। लेकिन आमतौर पर इसकी शुरुआत बचपन में होने लगती है। जिन बच्चों में एलर्जी की प्रवृत्ति पाई जाती है, उनमें कृत्रिम रूप से अस्थमा के लक्षण दिखाई देते हैं। बच्चों में भोजन के प्रति एलर्जी सबसे ज्यादा दिखाई देती है, जैसे दूध पीने पर बच्चों के पेट में दर्द होना।

यह समस्या बच्चों में 2 वर्ष की आयु तक होता है। इसके बाद एलर्जिक राई नाई टिक नाम के लक्षण पाए जाते हैं। इस लक्षण के माध्यम से बच्चों में नाक बहना और छींक आना जैसे लक्षण पाए जाते हैं। यह लक्षण तीन से 6 साल के बच्चों में अधिक पाए जाते हैं। यही समय होता है, अस्थमा जैसी समस्याओ का शरीर में प्रवेश करना।

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Asthma : अस्थमा से सबसे ज्यादा खतरा किस उम्र में होता है?

Asthma : व्यस्क व्यक्तियों की अपेक्षा अस्थमा का खतरा सबसे ज्यादा बच्चों में पाया जाता है। इस अवस्था में यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। इसका मुख्य कारण यह होता है, कि छोटे बच्चे वास्तव में अपनी समस्या को बता नहीं पाते हैं। जब तक उनके माता-पिता को पता चलता है, तब तक अस्थमा की बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है। बारिश के मौसम में अस्थमा जैसी बीमारियों का बढ़ाने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। बारिश के मौसम में बाहर के तापमान में बहुत नमी पाई जाती है, जिससे फंगस जैसे खतरे बढ़ जाते हैं। जो व्यक्ति फंगस के प्रति संवेदनशील होते हैं, उन्हें इस बारिश के मौसम में अस्थमा का खतरा बढ़ सकता है ।

Asthma : अस्थमा बीमारी के मुख्य लक्षण क्या है ?

Asthma : अस्थमा से पीड़ित व्यक्तियों की वायु नलिकाएं बहुत ही सेंसिटिव हो जाती हैं। यह तापमान में हुए बदलाव के कारण धूल और वायरल इनफेक्शन आदि से बहुत तेजी से अपनी प्रतिक्रिया दिखाई देने लगती हैं। अस्थमा बीमारी के चलते व्यक्ति को सीने में जकड़न, सांस लेने में कठिनाई, घबराहट, सीधी चढ़ने और दौड़ने में सांस फूलने फूलने जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। पीड़ित व्यक्ति को खांसी की शिकायत अधिक हो जाती है, और यह खांसी सुबह और शाम ज्यादा आती है। यही अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति के लक्षण है।

Asthma : अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति के लिए मददगार उपाय क्या है?

Asthma : यदि आपके परिवार में कोई व्यक्ति अस्थमा से पीड़ित है। तो उसके लिए आपको यह कुछ घरेलू उपाय करने चाहिए। जो अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति का इलाज करने के लिए मददगार होते हैं। जिसमें आपको पीड़ित व्यक्ति के लिए आयुर्वेदिक घरेलू उपाय करने के साथ उसकी डाइट और योग पर भी ध्यान देना चाहिए। जिससे आप अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति की समस्या दूर करने से निजात पा सकते हैं।

आयुर्वेदिक घरेलू उपचार

Asthma : अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को यदि आप अदरक और शहद के साथ गर्म पानी का काढ़ा पिलाते हैं, तो पीड़ित व्यक्ति की श्वसन नली की सूजन को कम करने में यह मददगार साबित हो सकता है।
पानी में जीरा और तुलसी डालकर भाप लेने से अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को फायदा होता है।
रात के सोते समय पानी में अंजीर को डाल दें, और सुबह उठने के बाद अंजीर को खाली पेट खाने और अंजीर का पानी पीने से श्वसन नली में बलगम बनना काम हो जाता है।

आहार डाइट

Asthma : अपने आहार में उन वस्तुओं को दूर करना है, जिनको खाने से अस्थमा के लक्षण बढ़ने की संभावना रहती है। इसके अलावा पीड़ित व्यक्ति को ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक, बर्फ, तली हुई चीज और जंक फूड भी आहार में शामिल करने से बचना चाहिए।
पीड़ित व्यक्ति को हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा एंटी एक्सीडेंट जैसी लाभदायक वस्तुओं को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।

योग साधना

Asthma : अनुलोम विलोम, भ्रस्तिका जैसी योग साधना अस्थमा से पीड़ित व्यक्तियों को सांस लेने में मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त यह योग श्वसन के लिए उपयोगी मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखते हैं। सूर्य नमस्कार से भी पीड़ित व्यक्ति को काफी फायदा मिलता है। लेकिन यह योग अस्थमा को ठीक नहीं कर सकता। अतः अनुलोम और विलोम को योग में शामिल करना ज्यादा लाभदायक होता है।

निष्कर्ष

Asthma : अस्थमा जैसी बीमारी बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा फैलती है। इस बीमारी का असर सबसे ज्यादा छोटे बच्चों को करता है। यदि आपके परिवार में भी बच्चों में इस तरीके के लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको यह अपने परिवार के लिए यह घरेलू उपाय जरूर करनी चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न- बच्चों में अस्थमा होने का मुख्य कारण क्या है?

उत्तर- Asthma : व्यस्क व्यक्तियों की अपेक्षा अस्थमा का खतरा सबसे ज्यादा बच्चों में पाया जाता है। इस अवस्था में यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। इसका मुख्य कारण यह होता है, कि छोटे बच्चे वास्तव में अपनी समस्या को बता नहीं पाते हैं। जब तक उनके माता-पिता को पता चलता है, तब तक अस्थमा की बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है। बारिश के मौसम में अस्थमा जैसी बीमारियों का बढ़ाने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। बारिश के मौसम में बाहर के तापमान में बहुत नमी पाई जाती है, जिससे फंगस जैसे खतरे बढ़ जाते हैं। जो व्यक्ति फंगस के प्रति संवेदनशील होते हैं, उन्हें इस बारिश के मौसम में अस्थमा का खतरा बढ़ सकता है ।

प्रश्न- अस्थमा होने के क्या कारण है?

उत्तर- Asthma : अस्थमा एक तरह की एलर्जी होती है, जिसमें हमारे शरीर की वायु नलिकाएं है, जो कि अत्यधिक संवेदनशील हो जाती हैं। अस्थमा की एलर्जी धूल, जानवरों के बाल, गंध धुआ या खाने की वस्तुओं से हो सकती है। अस्थमा की बीमारी के कारण पीड़ित व्यक्ति के शरीर की वायु नलिकाएं सिकुड़ने लगती हैं। जिससे पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई उत्पन्न होने लगती है, तथा पीड़ित व्यक्ति के सीने में जकड़न और सांस फूलने जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती हैं। अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को रात और सुबह के समय अधिक खांसी आती है। कभी-कभी खांसी के बाद उल्टी आना अस्थमा के गंभीर होने का संकेत देता है।

प्रश्न- अस्थमा किसकी कमी से होता है?

उत्तर- Asthma : अपने आहार में उन वस्तुओं को दूर करना है, जिनको खाने से अस्थमा के लक्षण बढ़ने की संभावना रहती है। इसके अलावा पीड़ित व्यक्ति को ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक, बर्फ, तली हुई चीज और जंक फूड भी आहार में शामिल करने से बचना चाहिए।
पीड़ित व्यक्ति को हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा एंटी एक्सीडेंट जैसी लाभदायक वस्तुओं को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।

प्रश्न- क्या बारिश से अस्थमा बिगड़ जाता है?

उत्तर- Asthma : इस बरसात के मौसम में बारिश के साथ-साथ अस्थमा पीड़ितों की संख्या भी बढ़ने लगती है। पिछले वर्ष की आई डब्ल्यू एच ओ की रिपोर्ट के अनुसार ” भारत देश में लगभग 3.43 करोड़ लोग बारिश के मौसम में अस्थमा से पीड़ित हो जाते हैं। इससे हर साल लगभग 1.98 लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ता है।” अस्थमा श्वसन पद्धति से संबंधित एक बीमारी होती है, जिससे पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।

प्रश्न- आमतौर पर अस्थमा किस उम्र में होता है?

उत्तर- Asthma : किसी भी बीमारी का उम्र से कोई संबंध नहीं होता है। अस्थमा की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। लेकिन आमतौर पर इसकी शुरुआत बचपन में होने लगती है। जिन बच्चों में एलर्जी की प्रवृत्ति पाई जाती है, उनमें कृत्रिम रूप से अस्थमा के लक्षण दिखाई देते हैं। बच्चों में भोजन के प्रति एलर्जी सबसे ज्यादा दिखाई देती है, जैसे दूध पीने पर बच्चों के पेट में दर्द होना। यह समस्या बच्चों में 2 वर्ष की आयु तक होता है। इसके बाद एलर्जिक राई नाई टिक नाम के लक्षण पाए जाते हैं। इस लक्षण के माध्यम से बच्चों में नाक बहना और छींक आना जैसे लक्षण पाए जाते हैं। यह लक्षण तीन से 6 साल के बच्चों में अधिक पाए जाते हैं। यही समय होता है, अस्थमा जैसी समस्याओ का शरीर में प्रवेश करना।

प्रश्न- अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति के लिए मददगार उपाय क्या है?

उत्तर-  Asthma : यदि आपके परिवार में कोई व्यक्ति अस्थमा से पीड़ित है। तो उसके लिए आपको यह कुछ घरेलू उपाय करने चाहिए। जो अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति का इलाज करने के लिए मददगार होते हैं। जिसमें आपको पीड़ित व्यक्ति के लिए आयुर्वेदिक घरेलू उपाय करने के साथ उसकी डाइट और योग पर भी ध्यान देना चाहिए। जिससे आप अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति की समस्या दूर करने से निजात पा सकते हैं।

प्रश्न- अस्थमा बीमारी के मुख्य लक्षण क्या है ?

उत्तर- Asthma : अस्थमा से पीड़ित व्यक्तियों की वायु नलिकाएं बहुत ही सेंसिटिव हो जाती हैं। यह तापमान में हुए बदलाव के कारण धूल और वायरल इनफेक्शन आदि से बहुत तेजी से अपनी प्रतिक्रिया दिखाई देने लगती हैं। अस्थमा बीमारी के चलते व्यक्ति को सीने में जकड़न, सांस लेने में कठिनाई, घबराहट, सीधी चढ़ने और दौड़ने में सांस फूलने फूलने जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। पीड़ित व्यक्ति को खांसी की शिकायत अधिक हो जाती है, और यह खांसी सुबह और शाम ज्यादा आती है। यही अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति के लक्षण है।

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  1. Asthma: बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा बढ़ता है अस्थमा का खतरा, छोटे बच्चों का बारिश में भीगना है, अधिकत जोखिम भरा, जाने अस्थमा के लक्षण और रोकथाम के 3 घरेलू उपचार
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