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Maa Laxmi 2024 : धन, स्वर्ण, समृद्धि और सुख की देवी है, “मां लक्ष्मी”

Maa Laxmi : मां लक्ष्मी के स्वरूप को सुख का कारक माना जाता है। वह लोगों के मन में उत्साह का जागरण करती हैं। मां लक्ष्मी की आराधना परोपकार, आनंद, पवित्रता, हर्षौल्लास , सुंदरता और प्रेम के साथ करनी चाहिए। तभी मां लक्ष्मी जी की कृपा लंबे समय तक आपके जीवन में बनी रहेगी। अन्यथा ऐसा माना जाता है की मां लक्ष्मी के अंदर चंचलता भी विराजमान है।

Maa Laxmi : आपके जीवन में जब सुख शांति और आनंद लौट आए तो समझ जाना की मां लक्ष्मी की विशेष कृपा आपके ऊपर है। परिवार में सुख शांति और प्रेम है, तो लक्ष्मी जी की कृपा हमेशा आपके परिवार पर बनी रहेगी। इसलिए दीपावली के पावन पर्व पर प्रेम के साथ दीप का प्रज्वलन कीजिए। परमपिता परमात्मा से शांति और संतुष्टि की याचना कीजिए। लक्ष्मी जी अपने आप आपके जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली लाएंगी।

Maa Laxmi : दान, धर्म का अक्षय पुण्य है

Maa Laxmi : दीपावली महोत्सव के पावन पर्व पर अपने आसपास के जरूरतमंद लोगों को मिठाई दान करना चाहिए। उन्हें जरूरत होने पर कपड़े और घरों को रोशन करने के लिए दीप का दान करना चाहिए। इस पावन पर्व पर वस्त्र और अन्य को 16 महादानों के योग में गिना जाता है। इस तरह दीपावली के पर्व पर जरूरतमंद लोगों की मदद करने से दुआएं और अंदरूनी खुशी दोनों प्राप्त होती हैं।

पुराणों और ग्रंथो में लिखा है, कि परोपकार करने से जो आनंद और उत्साह प्राप्त होता है, वह अनन्य है। कार्तिक मास की अमावस्या को दान करने से मिलने वाला पुण्य अक्षय पुण्य कहलाता है। इस बात का उल्लेख पदम, स्कंध और विष्णु पुराण सहित कई ग्रंथों में दिया गया है।

Maa Laxmi : दीपदान का महादान

Maa Laxmi : प्राचीन भारत में चली आ रही परंपरा में लोग अपने घरों और नगरों के हर हिस्से में दीपक जला रहे हैं। ऐसा पुराणों में भी लिखा है कि “तमसो मा ज्योतिर्गमय” जिसका अर्थ होता है”अंधेरे से उजाले की ओर जाना”। इस बात को सार्थक करने के लिए सनातन धर्म में लोग दीपोत्सव मानते हैं। इस परंपरा को निभाते हुए उन सभी जगह पर दीपों का प्रज्वलन करें जहां जरूरत हो। तथा ऐसे जरूरतमंद लोग लोगों को दीपदान जरूर करें। ताकि उनके घर में भी रोशनी हो सके।

Maa Laxmi : पवित्रता में मां लक्ष्मी का वास

Maa Laxmi : वेदों में मां लक्ष्मी को राजसिक शक्ति माना गया है, यानी मां लक्ष्मी आनंद और सुख देने वाली शक्ति कहलाती है। कलाकृति और सौंदर्यता मां लक्ष्मी को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसका वर्णन पुराणों में भी दिया गया है। पुरानी समय से चली आ रही परंपरा में रंगोली बनाने के लिए फूल, अबीर, गुलाल, कुमकुम व हल्दी जैसे पवित्र वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता है। रंगोली को और अधिक पवित्र और सुंदर बनाने के लिए उसके बीचो-बीच मिट्टी का दीपक जलाकर रख दिया जाता है। रंगोली की इस पवित्रता और सुंदरता में ही मां लक्ष्मी जी का वास माना गया है।

Maa Laxmi : गृह लक्ष्मी के मान में ही धनलक्ष्मी का निवास

Maa Laxmi : दीपावली के पावन पर्व में घर की महिलाओं को 16 सिंगार करके माता लक्ष्मी जी की अगवानी करना ज्यादा पवित्र माना गया है। वहीं घर के पुरुषों को भी महिलाओं के काम में हाथ बढ़ाकर उनकी मदद करनी चाहिए। घर की महिलाएं खुश रहेगी, तो मां लक्ष्मी भी उसे परिवार पर प्रसन्न रहेगी। वेदों और पुराणों में भी ऐसा कहा गया है, कि जहां नारी का सम्मान नहीं होता है, वहां देवता वास नहीं करते है। जिन घरों में नारियों का सम्मान होता है, वहां देवता हमेशा वास करते हैं।

इसलिए हमें हमेशा घर की महिलाओं का सम्मान करना चाहिए। तथा उनके अधिकारों का भी ध्यान रखना चाहिए। अगर हमारे घर की गृह लक्ष्मी संतुष्ट रहती है, तो धनलक्ष्मी का भी निवास निश्चित हो जाता है।

Maa Laxmi : पितर पूजा से आती है समृद्धि

Maa Laxmi : पुराणों में ऐसा वर्णन है, कि प्रत्येक माह की आने वाली अमावस्या को पितरों की तिथि माना जाता है। कार्तिक का महीने के पितृ कर्म के लिए बहुत शुभ और फलदायी माना गया है। पितृ की पूजा के स्वरूप में भगवान विष्णु की ही आराधना मानी गई है। कार्तिक महीने की अमावस्या पर पितरों के लिए किया गया श्राद्ध तर्पण परिवार को हमेशा निरोगी रखता है। अत दीपावली पर पितरों के लिए की गई पूजा परिवार में उजियाला लता है।

Maa Laxmi : मां काली की पूजा यानी तमस का नाश

Maa Laxmi : पुराणों और ग्रंथो में कार्तिक महीने की अमावस्या को कालरात्रि माना गया है। दीपावली के पावन पर्व पर तमस का नाश करने के लिए मां काली का की पूजा का विधान पुराणों में दिया गया है। मां काली की पूजा से काम, क्रोध, मोह, मद ओर लोभ का नाश हो जाता है। यह सारी दुर्भावनाएं कुलक्ष्मी के रूप में हमारे साथ निवास करती हैं ।इनके खत्म होने पर देवी लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं। और हम पर कृपा बनाए रखती हैं। इसलिए पुराणों में मां लक्ष्मी जी के साथ-साथ मां काली की पूजा करने का भी विधान दिया गया है।

निष्कर्ष

Maa Laxmi : मां लक्ष्मी का अर्थ सिर्फ धन से ही नहीं लगाया जा सकता है। मां लक्ष्मी न केवल स्वर्ण समृद्धि हमें प्रदान करती हैं, बल्कि मां लक्ष्मी तो सुख की दाहिनी भी होती है। जो हमेशा अपने भक्तों पर कृपा बनाए रखती हैं।
जीवन में स्वास्थ्य, संस्कार, संतान, यश, कुटुंब, धर्म, संयम और सत्य यदि आपके पास हैं, तो यकीन मानिए मां लक्ष्मीजी की विशेष कृपा दृष्टि आप पर है।

अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न- धन की लक्ष्मी कौन है?

उत्तर-  Maa Laxmi : दीपावली के पावन पर्व में घर की महिलाओं को 16 सिंगार करके माता लक्ष्मी जी की अगवानी करना ज्यादा पवित्र माना गया है। वहीं घर के पुरुषों को भी महिलाओं के काम में हाथ बढ़ाकर उनकी मदद करनी चाहिए। घर की महिलाएं खुश रहेगी, तो मां लक्ष्मी भी उसे परिवार पर प्रसन्न रहेगी। वेदों और पुराणों में भी ऐसा कहा गया है, कि जहां नारी का सम्मान नहीं होता है, वहां देवता वास नहीं करते है। जिन घरों में नारियों का सम्मान होता है, वहां देवता हमेशा वास करते हैं। इसलिए हमें हमेशा घर की महिलाओं का सम्मान करना चाहिए। तथा उनके अधिकारों का भी ध्यान रखना चाहिए। अगर हमारे घर की गृह लक्ष्मी संतुष्ट रहती है, तो धनलक्ष्मी का भी निवास निश्चित हो जाता है।

प्रश्न- धन लक्ष्मी की पूजा कैसे करें?

उत्तर- Maa Laxmi : दीपावली महोत्सव के पावन पर्व पर अपने आसपास के जरूरतमंद लोगों को मिठाई दान करना चाहिए। उन्हें जरूरत होने पर कपड़े और घरों को रोशन करने के लिए दीप का दान करना चाहिए। इस पावन पर्व पर वस्त्र और अन्य को 16 महादानों के योग में गिना जाता है। इस तरह दीपावली के पर्व पर जरूरतमंद लोगों की मदद करने से दुआएं और अंदरूनी खुशी दोनों प्राप्त होती हैं। पुराणों और ग्रंथो में लिखा है, कि परोपकार करने से जो आनंद और उत्साह प्राप्त होता है, वह अनन्य है। कार्तिक मास की अमावस्या को दान करने से मिलने वाला पुण्य अक्षय पुण्य कहलाता है। इस बात का उल्लेख पदम, स्कंध और विष्णु पुराण सहित कई ग्रंथों में दिया गया है।

प्रश्न- महादान क्या है?

उत्तर- Maa Laxmi : प्राचीन भारत में चली आ रही परंपरा में लोग अपने घरों और नगरों के हर हिस्से में दीपक जला रहे हैं। ऐसा पुराणों में भी लिखा है कि “तमसो मा ज्योतिर्गमय” जिसका अर्थ होता है”अंधेरे से उजाले की ओर जाना”। इस बात को सार्थक करने के लिए सनातन धर्म में लोग दीपोत्सव मानते हैं। इस परंपरा को निभाते हुए उन सभी जगह पर दीपों का प्रज्वलन करें जहां जरूरत हो। तथा ऐसे जरूरतमंद लोग लोगों को दीपदान जरूर करें। ताकि उनके घर में भी रोशनी हो सके।

प्रश्न- घर में क्या करने से लक्ष्मी आती है?

उत्तर- Maa Laxmi : वेदों में मां लक्ष्मी को राजसिक शक्ति माना गया है, यानी मां लक्ष्मी आनंद और सुख देने वाली शक्ति कहलाती है। कलाकृति और सौंदर्यता मां लक्ष्मी को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसका वर्णन पुराणों में भी दिया गया है। पुरानी समय से चली आ रही परंपरा में रंगोली बनाने के लिए फूल, अबीर, गुलाल, कुमकुम व हल्दी जैसे पवित्र वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता है। रंगोली को और अधिक पवित्र और सुंदर बनाने के लिए उसके बीचो-बीच मिट्टी का दीपक जलाकर रख दिया जाता है। रंगोली की इस पवित्रता और सुंदरता में ही मां लक्ष्मी जी का वास माना गया है।

प्रश्न- घर में पैसे की बरकत के लिए क्या करना चाहिए?

उत्तर- Maa Laxmi : पुराणों में ऐसा वर्णन है, कि प्रत्येक माह की आने वाली अमावस्या को पितरों की तिथि माना जाता है। कार्तिक का महीने के पितृ कर्म के लिए बहुत शुभ और फलदायी माना गया है। पितृ की पूजा के स्वरूप में भगवान विष्णु की ही आराधना मानी गई है। कार्तिक महीने की अमावस्या पर पितरों के लिए किया गया श्राद्ध तर्पण परिवार को हमेशा निरोगी रखता है। अत दीपावली पर पितरों के लिए की गई पूजा परिवार में उजियाला लता है।

प्रश्न- मां काली तमस का नाश कैसे करती है ?

उत्तर- Maa Laxmi : पुराणों और ग्रंथो में कार्तिक महीने की अमावस्या को कालरात्रि माना गया है। दीपावली के पावन पर्व पर तमस का नाश करने के लिए मां काली का की पूजा का विधान पुराणों में दिया गया है। मां काली की पूजा से काम, क्रोध, मोह, मद ओर लोभ का नाश हो जाता है। यह सारी दुर्भावनाएं कुलक्ष्मी के रूप में हमारे साथ निवास करती हैं ।इनके खत्म होने पर देवी लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं। और हम पर कृपा बनाए रखती हैं। इसलिए पुराणों में मां लक्ष्मी जी के साथ-साथ मां काली की पूजा करने का भी विधान दिया गया है।

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