Ahilyabai Holkar: भारत देश की भूमि महान वीरांगनाओं की भूमि रही है इस भूमि में अनेक वीर सपूतों को जन्मे है तो वही अनेक वीरांगनाओं की भी जन्म हो भी रही है। आज हम बात कर रहे हैं अहिल्याबाई होल्कर की । अहिल्याबाई होल्कर का जन्म महाराष्ट्र राज्य की अहमदनगर (नाम बदलकर ‘अहिल्या नगर’ कर दिया ) जिले के चौंदी नामक गांव में हुआ था। अहिल्याबाई होलकर बचपन से ही साहसी व मृदुभाषी महिला रही है ।
भारत भूमि के उत्तर में केदारनाथ, बद्रीनाथ या गंगोत्री के मंदिर हो या दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में जगन्नाथ पुरी हो चाहे पश्चिम में द्वारका और सोमनाथ मंदिर हो इन तीर्थ स्थान के पुनर्निर्माण से लेकर धर्मशालाएं, मंदिरों पर स्थापित कलश, कुएं, बावड़ियां जो आप देख देखते हैं उनका निर्माण अयोध्या अहिल्याबाई होल्कर द्वारा किया गया था।।
Ahilyabai Holkar: का व्यक्तिगत परिचय
Ahilyabai Holkar: 31 मई 1725 को जन्मी अहिल्याबाई एक साधारण से परिवार की ग्रामीण महिला थी। अहिल्याबाई बचपन से ही साहसी और मृदु भाषी महिला थी। अहिल्याबाई के पिता मैंकोजी राव शिंदे गांव के पाटिल थे। उस समय बालिकाओं को शिक्षा अध्ययन करने के लिए नहीं भेजा जाता था। लेकिन अहिल्याबाई के पिता ने अहिल्या को पढ़ने लिखने लायक पढ़ाया था।
Ahilyabai Holkar: का विवाह
Ahilyabai Holkar: सन 1733 में महज 8 वर्ष की आयु में अहिल्याबाई का विवाह मल्हारराव होलकर के पुत्र खांडेराव होलकर के साथ हो गया था। उनके पति खंडेराव बड़े ही जिद्दी और अकडू स्वभाव के थे। लेकिन अहिल्याबाई ने अपने प्रेम व्यवहार से अपने पति का हृदय परिवर्तित कर दिया था और उनके पति राजकीय कार्य में रुचि लेने लगे थे।
Ahilyabai Holkar: की राजनीति और युद्ध कला की शिक्षा
Ahilyabai Holkar: अहिल्याबाई की ससुर मल्हार राव ने अपनी पुत्रवधू की आंतरिक शक्तियों और क्षमताओं को पहचान लिया था। उन्होंने अहिल्याबाई को राजनीति और युद्ध कला की शिक्षा से पारंगत किया। उन्होंने अहिल्याबाई को घुड़सवारी सिखाई और घोड़े पर यात्रा करने के लिए भेजने लगे। ऐसा करने से अहिल्याबाई को अपने राज्य की जानकारी हो गई ।
Ahilyabai Holkar: की संतान
Ahilyabai Holkar: अहिल्याबाई ने दो संतानों को जन्म दिया । उनके पुत्र का नाम मलेराव तथा पुत्री का नाम मुक्ताबाई था।
Ahilyabai Holkar: के पति खंडेराव की वीरगति
Ahilyabai Holkar: उसमें भारत के उत्तर भारत के लोग मराठों को वार्षिक कर दिया करते थे। भरतपुर के राजा सूरजमल द्वारा कर ना देने पर मल्हार राव ने भरतपुर पर आक्रमण कर दिया। यह युद्ध तीन माह तक चला। और सन 1754 में इस युद्ध के दौरान अहिल्याबाई के पति खंडेराव वीरगति को प्राप्त हुए ।
Ahilyabai Holkar: का राजनीतिक शासन काल
Ahilyabai Holkar: सन 1754 में पति खंडेराव की मृत्यु जाने के बाद अहिल्याबाई ने अपने राज्य में शासन करना शुरू किया। उन्होंने कुछ समय ही खुद को और अपने राज्य को संभाला था उनके ससुर मल्हारराव का देहांत हो गया । तब अहिल्याबाई पर दुखों का पहाड़ टूट गया किंतु प्रजा हित के सामने उन्होंने अपने दुखों को छोड़कर होलकर राज्य की बागडोर अपने हाथों में थाम ली थी।
कैसे कहलाई अहिल्याबाई लोक माता ?
Ahilyabai Holkar: अहिल्याबाई ने अपने शासनकाल में अपने राज्य की प्रजा और राज्य को आगे बढ़ने का होसला दिया। उनके राज्य में चारों तरफ सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली छाई रहती थी। किसी भी व्यक्ति में किसी भी प्रकार का द्विविचार नहीं था इसलिए उन्हें लोकमाता की संज्ञा प्रदान की गई।
अहिल्याबाई ने क्यों सुनाया बेटे को मौत का फरमान ?
Ahilyabai Holkar: एक बार अहिल्याबाई के पुत्र माले राव रथ पर सवार होकर बाजार बाढा में जा रहे थे। तभी उनके रथ के सामने अचानक एक गाय का बछड़ा उछलता हुआ आगे आ गया। और रथ के चपेट में आ गया। रथ के चपेट में आने के कारण गाय के बछड़े की हालत गंभीर हो गई। बछड़ा कुछ देर तड़पता रहा और मृत्यु को प्राप्त हुआ। मालेराव इस पर ध्यान न देकर आगे बढ़ गए। लेकिन गाय अपने बछड़े के पास बैठी रही।
उस स्थान से कुछ देर बाद अहिल्याबाई निकली। और उन्हें उन्होंने मृत बछड़े के पास गाय को बैठे हुए देखा। इस घटना के बारे में उन्होंने काफी लोगों से पूछताछ की। लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया तभी किसी ने डरते हुए कहा कि यह घटना मालेराव जी के रथ के कारण हुई है। अहिल्याबाई ने अपने दरबार में जब मालेराव की पत्नी से पूछा, कि यदि कोई व्यक्ति मां के सामने उसके पुत्र का कत्ल कर दे, तो उसे क्या सजा होनी चाहिए।
मालेराव की पत्नी मेनाबाई ने कहा उसे मृत्युदंड देना चाहिए। तब अहिल्याबाई ने अपने बेटे मालेराव के लिए मृत्यु दंड का आदेश दिया। उन्होंने आदेश में कहा मालेराव के हाथ पैर बांध देकर बांधकर रथ के नीचे डालकर कुचल दिया जाए।
आड़ा बाजार
Ahilyabai Holkar: अहिल्याबाई के इस आदेश पर कोई भी व्यक्ति उस रथ की सवारी करना नहीं चाह रहा था। जिसके नीचे माले राव को कुचला जाना था तब अहिल्याबाई ने खुद उस रथ की सवारी की। तब एक ऐसी घटना हुई जिसने सबको चौंका दिया। जिस स्थान पर मालेराव को कुचला जाना था उस स्थान पर उसे बचाने के लिए गाय बार-बार अहिल्याबाई के रथ के सामने आ जाती थी। गाय को बार-बार हटाने के बावजूद भी गाय रथ के सामने आ जाती थी।
यह दृश्य देख दरबारी और मंत्रियों ने अहिल्याबाई से आग्रह किया की गाय भी नहीं चाहती है कि किसी मां और बेटे के साथ ऐसी दुखद घटना हो अतः वह आपसे दया की मांग कर रही है। गाय और रथ दोनों अपने स्थान पर पड़े रहे। राजवाड़ा के जिस स्थान पर यह घटना हुई उस घटना को आज आड़ा बाजार के नाम से जानते हैं।
निष्कर्ष
Ahilyabai Holkar: अहिल्याबाई बचपन से ही साहसी और दृढ़ निश्चायी महिला थी। उन्होंने अपने साहस और वीरता का परिचय कई तरीके से दिया है। आज वह देश में लोकमाता के नाम से विख्यात हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न- Ahilyabai Holkar: ने राजनीति और युद्ध कला की शिक्षा क्यों ली ?
उत्तर- Ahilyabai Holkar: अहिल्याबाई की ससुर मल्हार राव ने अपनी पुत्रवधू की आंतरिक शक्तियों और क्षमताओं को पहचान लिया था। उन्होंने अहिल्याबाई को राजनीति और युद्ध कला की शिक्षा से पारंगत किया। उन्होंने अहिल्याबाई को घुड़सवारी सिखाई और घोड़े पर यात्रा करने के लिए भेजने लगे। ऐसा करने से अहिल्याबाई को अपने राज्य की जानकारी हो गई ।
प्रश्न- अहिल्याबाई होल्कर इतनी प्रसिद्ध क्यों है?
उत्तर- भारत भूमि के उत्तर में केदारनाथ, बद्रीनाथ या गंगोत्री के मंदिर हो या दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में जगन्नाथ पुरी हो चाहे पश्चिम में द्वारका और सोमनाथ मंदिर हो इन तीर्थ स्थान के पुनर्निर्माण से लेकर धर्मशालाएं, मंदिरों पर स्थापित कलश, कुएं, बावड़ियां जो आप देख देखते हैं उनका निर्माण अयोध्या अहिल्याबाई होल्कर द्वारा किया गया था।।
प्रश्न- अहिल्याबाई होल्कर ने कितने साल शासन किया?
उत्तर- 70 साल
प्रश्न- अहिल्याबाई ने कौन सा मंदिर बनाया था?
उत्तर- भारत भूमि के उत्तर में केदारनाथ, बद्रीनाथ या गंगोत्री के मंदिर हो या दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में जगन्नाथ पुरी हो चाहे पश्चिम में द्वारका और सोमनाथ मंदिर हो इन तीर्थ स्थान के पुनर्निर्माण से लेकर धर्मशालाएं, मंदिरों पर स्थापित कलश, कुएं, बावड़ियां जो आप देख देखते हैं उनका निर्माण अयोध्या अहिल्याबाई होल्कर द्वारा किया गया था।।
प्रश्न- अहिल्याबाई रानी कैसे बनी?
उत्तर- Ahilyabai Holkar: सन 1754 में पति खंडेराव की मृत्यु जाने के बाद अहिल्याबाई ने अपने राज्य में शासन करना शुरू किया। उन्होंने कुछ समय ही खुद को और अपने राज्य को संभाला था उनके ससुर मल्हारराव का देहांत हो गया । तब अहिल्याबाई पर दुखों का पहाड़ टूट गया किंतु प्रजा हित के सामने उन्होंने अपने दुखों को छोड़कर होलकर राज्य की बागडोर अपने हाथों में थाम ली थी।
प्रश्न- अहिल्याबाई किस उम्र में विधवा हो गई थी?
उत्तर- Ahilyabai Holkar: उसमें भारत के उत्तर भारत के लोग मराठों को वार्षिक कर दिया करते थे। भरतपुर के राजा सूरजमल द्वारा कर ना देने पर मल्हार राव ने भरतपुर पर आक्रमण कर दिया। यह युद्ध तीन माह तक चला। और सन 1754 में इस युद्ध के दौरान अहिल्याबाई के पति खंडेराव वीरगति को प्राप्त हुए
प्रश्न- अहिल्याबाई होल्कर की कितनी संतान थी?
उत्तर- अहिल्याबाई ने दो संतानों को जन्म दिया । उनके पुत्र का नाम मलेराव तथा पुत्री का नाम मुक्ताबाई था।
प्रश्न- अहिल्याबाई ने क्यों सुनाया बेटे को मौत का फरमान ?
उत्तर- Ahilyabai Holkar: एक बार अहिल्याबाई के पुत्र माले राव रथ पर सवार होकर बाजार बाढा में जा रहे थे। तभी उनके रथ के सामने अचानक एक गाय का बछड़ा उछलता हुआ आगे आ गया। और रथ के चपेट में आ गया। रथ के चपेट में आने के कारण गाय के बछड़े की हालत गंभीर हो गई। बछड़ा कुछ देर तड़पता रहा और मृत्यु को प्राप्त हुआ। मालेराव इस पर ध्यान न देकर आगे बढ़ गए। लेकिन गाय अपने बछड़े के पास बैठी रही।
उस स्थान से कुछ देर बाद अहिल्याबाई निकली। और उन्हें उन्होंने मृत बछड़े के पास गाय को बैठे हुए देखा। इस घटना के बारे में उन्होंने काफी लोगों से पूछताछ की। लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया तभी किसी ने डरते हुए कहा कि यह घटना मालेराव जी के रथ के कारण हुई है। अहिल्याबाई ने अपने दरबार में जब मालेराव की पत्नी से पूछा, कि यदि कोई व्यक्ति मां के सामने उसके पुत्र का कत्ल कर दे, तो उसे क्या सजा होनी चाहिए।
मालेराव की पत्नी मेनाबाई ने कहा उसे मृत्युदंड देना चाहिए। तब अहिल्याबाई ने अपने बेटे मालेराव के लिए मृत्यु दंड का आदेश दिया। उन्होंने आदेश में कहा मालेराव के हाथ पैर बांध देकर बांधकर रथ के नीचे डालकर कुचल दिया जाए।
प्रश्न- कैसे कहलाई अहिल्याबाई लोक माता ?
उत्तर- Ahilyabai Holkar: अहिल्याबाई ने अपने शासनकाल में अपने राज्य की प्रजा और राज्य को आगे बढ़ने का होसला दिया। उनके राज्य में चारों तरफ सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली छाई रहती थी। किसी भी व्यक्ति में किसी भी प्रकार का द्विविचार नहीं था इसलिए उन्हें लोकमाता की संज्ञा प्रदान की गई।
प्रश्न- आड़ा बाजार प्रसिद्ध क्यों है?
उत्तर- Ahilyabai Holkar: अहिल्याबाई के इस आदेश पर कोई भी व्यक्ति उस रथ की सवारी करना नहीं चाह रहा था। जिसके नीचे माले राव को कुचला जाना था तब अहिल्याबाई ने खुद उस रथ की सवारी की। तब एक ऐसी घटना हुई जिसने सबको चौंका दिया। जिस स्थान पर मालेराव को कुचला जाना था उस स्थान पर उसे बचाने के लिए गाय बार-बार अहिल्याबाई के रथ के सामने आ जाती थी। गाय को बार-बार हटाने के बावजूद भी गाय रथ के सामने आ जाती थी।
यह दृश्य देख दरबारी और मंत्रियों ने अहिल्याबाई से आग्रह किया की गाय भी नहीं चाहती है कि किसी मां और बेटे के साथ ऐसी दुखद घटना हो अतः वह आपसे दया की मांग कर रही है। गाय और रथ दोनों अपने स्थान पर पड़े रहे। राजवाड़ा के जिस स्थान पर यह घटना हुई उस घटना को आज आड़ा बाजार के नाम से जानते हैं।
प्रश्न- अहिल्याबाई के पति की मृत्यु कैसे हुई ?
उत्तर- Ahilyabai Holkar: उसमें भारत के उत्तर भारत के लोग मराठों को वार्षिक कर दिया करते थे। भरतपुर के राजा सूरजमल द्वारा कर ना देने पर मल्हार राव ने भरतपुर पर आक्रमण कर दिया। यह युद्ध तीन माह तक चला। और सन 1754 में इस युद्ध के दौरान अहिल्याबाई के पति खंडेराव वीरगति को प्राप्त हुए ।
प्रश्न- अहिल्याबाई का विवाह कब और किसके साथ हुआ ?
उत्तर- Ahilyabai Holkar: सन 1733 में महज 8 वर्ष की आयु में अहिल्याबाई का विवाह मल्हारराव होलकर के पुत्र खांडेराव होलकर के साथ हो गया था। उनके पति खंडेराव बड़े ही जिद्दी और अकडू स्वभाव के थे। लेकिन अहिल्याबाई ने अपने प्रेम व्यवहार से अपने पति का हृदय परिवर्तित कर दिया था और उनके पति राजकीय कार्य में रुचि लेने लगे थे।
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