Ayurvedic First Aid: पुराने समय में आयुर्वेद ने हर प्रकार के रोगों का उपचार किया है। यह ऐसे उपचार हुआ करते थे जो रोगियों को आराम दिलाने में मदद किया करते थे। आयुर्वेदिक चरक संहिता ने भी इन उपचारों को विशेष महत्व दिया है। आज के समय में भी आयुर्वेद का उपचार को हम प्राथमिक चिकित्सा के रूप में कर सकते हैं।
Ayurvedic First Aid: आयुर्वेदिक प्राथमिक चिकित्सा एक ऐसी चिकित्सा है जो प्रत्येक घर में होनी चाहिए। और हमारे देश के प्रत्येक नागरिक को इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए। यह आयुर्वेदिक चिकित्सा हम अपने घर के सामानों से कर सकते हैं। इसके लिए हमें कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होती है। यह चिकित्सा पेड़ पौधों से मिलने वाले फल, फूल और पत्तियों से की जाती है। आईए जानते हैं आयुर्वेदिक प्राथमिक चिकित्सा के बारे में…..
Ayurvedic First Aid: घाव होने या चोट लगने पर आयुर्वेदिक प्राथमिक चिकित्सा
- तुलसी के पौधे की पत्तियों को चूर्ण बनाकर घाव के निशान पर बुरकने या लेप लगाने से घाव जल्दी ही भर जाते हैं।
- अंजीर की पत्तियों को भी घाव में बांधने से घाव में आराम मिलता है।
- कड़वी नीम की पत्तियों को पीसकर उसमें शहद मिलाकर लगाने से बहते हुए घाव बहना बंद कर देते हैं।
- यदि आपको किसी नुकीली वस्तु से चोट लगी है, और खून अधिक बह रहा है तो इसमें मुलेठी पाउडर को देसी घी में मिलाकर चोट पर लगाने से या कसकर पट्टी बांधने से खून बहना बंद हो जाता है।
- यदि आपके पास मुलेठी उपलब्ध नहीं है तो हल्दी और फिटकरी के पाउडर को भी मिलाकर घाव पर लगाया जा सकता है।
Ayurvedic First Aid: मोच या अंदरूनी चोट आने पर आयुर्वेदिक प्राथमिक चिकित्सा
- कई बार ऐसा होता है कि हमें चोट लगने पर खून तो नहीं निकलता है लेकिन हमारे शरीर के अंदरूनी भाग में सूजन उत्पन्न हो जाती है। शरीर में मोच आ जाती है इस स्थिति में हमारा शरीर नीला पड़ने लगता है।
- इस प्रकार की उपचार के लिए प्याज, आंबा, हल्दी, नमक और तिल को अच्छे से कुचल कर पीस लें और एक कपड़े में बांधकर पोटली बना ले। इस बनी हुई पोटली को सरसों के तेल में भिगोकर हल्का सा गर्म कर ले। फिर जहां आपको अंदरूनी चोट लगी है या मोच आई है वहां इस पोटली को बांध दें। ऐसा करने से अंदर जमा खून नसों में फैलने लगेगा और आपको दर्द से आराम मिलेगा।
- गर्म पानी की बोतल से चोटिल हिस्से की सिकाई करें।
- बाजरे को कढ़ाई में गर्म करने के बाद उसकी पोटली बना ले और उससे चोटिल हिस्से की सिकाई करें।
- ध्यान लगे चोट लगने के तुरंत बाद आपको बर्फ से सिकाई करनी चाहिए।
- हल्दी व तेल में लहसुन गर्म करके, उससे बनी हुई लेप को चोटिल हिस्से में लगाए।
- यदि अंदरूनी चोट में आपको दर्द ज्यादा हो रहा है, तो अनार का छिलका पानी में अच्छे से गला कर पीस लें और पिसी हुई हल्दी इसमें मिक्स करें, और अंदरूनी चोट के हिस्से में बांधे।
- एलोवेरा के पत्ते के कांटे निकालकर उसके गुदे और रस को चोट पर लगाने से जल्दी आराम मिलता है।
Ayurvedic First Aid: कांटा लगने पर आयुर्वेदिक प्राथमिक चिकित्सा
- यदि आपको कांटा लगा है तो उस स्थान पर जहां कांटा लगा है, आक के दूध की दो बूंद गिरा दें। इससे कांटा अपने आप बाहर निकल जाएगा और दर्द कम हो जाएगा।
- शहद के साथ पिसी हुई राई का लेप लगाने से कांटा आसानी से बाहर निकल जाता है।
Ayurvedic First Aid: बेहोश होने पर आयुर्वेदिक प्राथमिक चिकित्सा
- बेहोशी है एक एसी अवस्था होती है। जिसमें रोगी ना तो बातचीत कर पाता है, ना कोई जवाब दे पाता है, ना ही अपनी आंखें खोल पाता है और ना ही उसका शरीर कोई हरकत करता है। ऐसी स्थिति में जब तक डॉक्टर नहीं आता है, तब तक आपको यह उपाय करनी चाहिए।
- रोजी के नीचे से तकिया हटा दें और उसके पैर को थोड़ा ऊपर कर दें।
- रोगी को कुछ भी खिलाने पिलाने की कोशिश ना करें।
- पुदीने की पत्तियों की खुशबू से बेहोशी को दूर किया जा सकता है।
- यदि गर्मी के कारण व्यक्ति बेहोश हो गया है, तो खीरे को एक सिरे से काटकर रोगी को सुंघाने में लाभ मिल सकता है।
Ayurvedic First Aid: मुंह में छाले होने पर आयुर्वेदिक प्राथमिक चिकित्सा
- यह समस्या खान-पान में हुई गड़बड़ी के माध्यम से होती है।
- ईसबगोल की भूसी को शाम को पानी के साथ रोगी को पिलाएं।
- गूलर और नीम के पत्ते पानी में उबालकर अच्छे से छान ले और छाने हुए पानी से रोगी को बार-बार कुल्ले करवाएं।
- चमेली को पत्ते को अच्छी तरह चबाकर थूंके।
- अमरूद के पत्तों पर कथा लगाकर पानी की तरह अच्छी तरह चबाएं।
- मुलेठी व घी को मिलाकर छालों पर लगाएं।
Ayurvedic First Aid: विषैले जीवों के काटने पर आयुर्वेदिक प्राथमिक चिकित्सा
- घरों में विषैले जीव जैसे मधुमक्खी, बर्र, कीड़े और मच्छर आदि घूमते रहते हैं। इनके काटने पर इनका डंक हमारे शरीर में बना रहता है। और इनका विष हमारे शरीर में डंक के माध्यम से पहुंच जाता है। जिससे हमारे शरीर में दर्द, सूजन और जलन होने लगती है।
- सबसे पहले हमें यह कोशिश करनी चाहिए, कि डंक को बाहर निकाल दें। उसके बाद डंक वाली जगह से ऊपर के हिस्से को डोरी या कपड़े से कसकर बांध लेना चाहिए।
- अर्क, कपूर या तारपीन का तेल डंक लगने वाले स्थान पर लगाना चाहिए।
- प्याज और तंबाकू को पीसकर भी डंक लगने वाले स्थान पर लगाया जा सकता है।
Ayurvedic First Aid: कनखजूरे के काटने पर आयुर्वेदिक प्राथमिक चिकित्सा
Ayurvedic First Aid: गूलर के पत्तों को अच्छी तरीके से पीसकर काटने वाले स्थान पर बांध देना चाहिए।
Ayurvedic First Aid: ततैया मधुमक्खी और बिच्छू के काटने पर आयुर्वेदिक प्राथमिक चिकित्सा
- जिस स्थान पर काटा गया है उस स्थान पर फिटकरी पानी में पीसकर लेप लगा दें। इससे विष का असर कम हो जाएगा।
- तुलसी के पत्तों के रस को नमक के साथ मिलकर, काटने वाले स्थान पर लगाने से दर्द कम कम हो जाता है। सात आठ तुलसी की पत्तियां रोगी को खिला देना चाहिए।
- जमीकंद को पका कर, इसकी पोटली बनाकर काटे गए स्थान पर बांधने से जहर काम हो जाता है।
Ayurvedic First Aid: सांप के काटने से आयुर्वेदिक प्राथमिक चिकित्सा
- सबसे पहले तो रोगी को सोने नहीं देना है। इसके बाद दूध में थोड़ा सा घी मिलाकर रोगी को पिलाएं और तुरंत उसे अस्पताल ले जाएं।
- लहसुन की ताजी कलियों को पीसकर काटने वाले स्थान पर लगाने से जहर का असर कम हो जाता है।
- काटने वाले स्थान के ऊपरी हिस्से को डोरि या कपड़े से अच्छे से बांध दे।
Ayurvedic First Aid: निष्कर्ष
Ayurvedic First Aid: इस लेख में हमने कुछ घरेलू आयुर्वेदिक प्राथमिक उपचारों का वर्णन किया है। यह प्राथमिक उपचार निश्चय ही आपको घरेलू समस्याओं को दूर करने में उपयोगी साबित हो सकते हैं। लेकिन इनका इस्तेमाल करने से पहले एक बार विशेषज्ञ से परामर्श जरूर ले लें।
अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न- चोट लगने पर आयुर्वेदिक प्राथमिक उपचार कैसे किया जाता है?
उत्तर-Ayurvedic First Aid:
तुलसी के पौधे की पत्तियों को चूर्ण बनाकर घाव के निशान पर बुरकने या लेप लगाने से घाव जल्दी ही भर जाते हैं।
अंजीर की पत्तियों को भी घाव में बांधने से घाव में आराम मिलता है।
कड़वी नीम की पत्तियों को पीसकर उसमें शहद मिलाकर लगाने से बहते हुए घाव बहना बंद कर देते हैं।
यदि आपको किसी नुकीली वस्तु से चोट लगी है, और खून अधिक बह रहा है तो इसमें मुलेठी पाउडर को देसी घी में मिलाकर चोट पर लगाने से या कसकर पट्टी बांधने से खून बहना बंद हो जाता है।
यदि आपके पास मुलेठी उपलब्ध नहीं है तो हल्दी और फिटकरी के पाउडर को भी मिलाकर घाव पर लगाया जा सकता है।
प्रश्न- मोच आने पर आयुर्वेदिक प्राथमिक उपचार क्या है?
उत्तर-Ayurvedic First Aid:
कई बार ऐसा होता है कि हमें चोट लगने पर खून तो नहीं निकलता है लेकिन हमारे शरीर के अंदरूनी भाग में सूजन उत्पन्न हो जाती है। शरीर में मोच आ जाती है इस स्थिति में हमारा शरीर नीला पड़ने लगता है।
गर्म पानी की बोतल से चोटिल हिस्से की सिकाई करें।
बाजरे को कढ़ाई में गर्म करने के बाद उसकी पोटली बना ले और उससे चोटिल हिस्से की सिकाई करें।
ध्यान लगे चोट लगने के तुरंत बाद आपको बर्फ से सिकाई करनी चाहिए।
हल्दी व तेल में लहसुन गर्म करके, उससे बनी हुई लेप को चोटिल हिस्से में लगाए।
यदि अंदरूनी चोट में आपको दर्द ज्यादा हो रहा है, तो अनार का छिलका पानी में अच्छे से गला कर पीस लें और पिसी हुई हल्दी इसमें मिक्स करें, और अंदरूनी चोट के हिस्से में बांधे।
एलोवेरा के पत्ते के कांटे निकालकर उसके गुदे और रस को चोट पर लगाने से जल्दी आराम मिलता है।
प्रश्न- अंदरूनी चोट लगने पर क्या लगाएं?
उत्तर- Ayurvedic First Aid:
इस प्रकार की उपचार के लिए प्याज, आंबा, हल्दी, नमक और तिल को अच्छे से कुचल कर पीस लें और एक कपड़े में बांधकर पोटली बना ले। इस बनी हुई पोटली को सरसों के तेल में भिगोकर हल्का सा गर्म कर ले। फिर जहां आपको अंदरूनी चोट लगी है या मोच आई है वहां इस पोटली को बांध दें। ऐसा करने से अंदर जमा खून नसों में फैलने लगेगा और आपको दर्द से आराम मिलेगा।
प्रश्न- बेहोश व्यक्ति को प्राथमिक उपचार देने के लिए पहला कदम क्या है?
उत्तर-Ayurvedic First Aid:
बेहोशी है एक एसी अवस्था होती है। जिसमें रोगी ना तो बातचीत कर पाता है, ना कोई जवाब दे पाता है, ना ही अपनी आंखें खोल पाता है और ना ही उसका शरीर कोई हरकत करता है। ऐसी स्थिति में जब तक डॉक्टर नहीं आता है, तब तक आपको यह उपाय करनी चाहिए।
रोजी के नीचे से तकिया हटा दें और उसके पैर को थोड़ा ऊपर कर दें।
रोगी को कुछ भी खिलाने पिलाने की कोशिश ना करें।
पुदीने की पत्तियों की खुशबू से बेहोशी को दूर किया जा सकता है।
यदि गर्मी के कारण व्यक्ति बेहोश हो गया है, तो खीरे को एक सिरे से काटकर रोगी को सुंघाने में लाभ मिल सकता है।
प्रश्न- मुंह के छालों का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
उत्तर-Ayurvedic First Aid:
यह समस्या खान-पान में हुई गड़बड़ी के माध्यम से होती है।
ईसबगोल की भूसी को शाम को पानी के साथ रोगी को पिलाएं।
गूलर और नीम के पत्ते पानी में उबालकर अच्छे से छान ले और छाने हुए पानी से रोगी को बार-बार कुल्ले करवाएं।
चमेली को पत्ते को अच्छी तरह चबाकर थूंके।
अमरूद के पत्तों पर कथा लगाकर पानी की तरह अच्छी तरह चबाएं।
मुलेठी व घी को मिलाकर छालों पर लगाएं।
प्रश्न- अगर कोई जहरीला कीड़ा काट ले तो क्या करें?
उत्तर-Ayurvedic First Aid:
घरों में विषैले जीव जैसे मधुमक्खी, बर्र, कीड़े और मच्छर आदि घूमते रहते हैं। इनके काटने पर इनका डंक हमारे शरीर में बना रहता है। और इनका विष हमारे शरीर में डंक के माध्यम से पहुंच जाता है। जिससे हमारे शरीर में दर्द, सूजन और जलन होने लगती है।
सबसे पहले हमें यह कोशिश करनी चाहिए, कि डंक को बाहर निकाल दें। उसके बाद डंक वाली जगह से ऊपर के हिस्से को डोरी या कपड़े से कसकर बांध लेना चाहिए।
अर्क, कपूर या तारपीन का तेल डंक लगने वाले स्थान पर लगाना चाहिए।
प्याज और तंबाकू को पीसकर भी डंक लगने वाले स्थान पर लगाया जा सकता है।
प्रश्न- बिच्छू के काटने पर क्या प्राथमिक उपचार करना चाहिए?
उत्तर-Ayurvedic First Aid:
जिस स्थान पर काटा गया है उस स्थान पर फिटकरी पानी में पीसकर लेप लगा दें। इससे विष का असर कम हो जाएगा।
तुलसी के पत्तों के रस को नमक के साथ मिलकर, काटने वाले स्थान पर लगाने से दर्द कम कम हो जाता है। सात आठ तुलसी की पत्तियां रोगी को खिला देना चाहिए।
जमीकंद को पका कर, इसकी पोटली बनाकर काटे गए स्थान पर बांधने से जहर काम हो जाता है।
प्रश्न- सांप ने काट लिया मैं क्या करूं?
उत्तर-Ayurvedic First Aid:
सबसे पहले तो रोगी को सोने नहीं देना है। इसके बाद दूध में थोड़ा सा घी मिलाकर रोगी को पिलाएं और तुरंत उसे अस्पताल ले जाएं।
लहसुन की ताजी कलियों को पीसकर काटने वाले स्थान पर लगाने से जहर का असर कम हो जाता है।
काटने वाले स्थान के ऊपरी हिस्से को डोरि या कपड़े से अच्छे से बांध दे।
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