Share Market Tax: इन दिनों भारत देश में शेयर मार्केट का प्रचलन बढ़ रहा है। लोग विभिन्न कंपनियों से डिमैट अकाउंट खुलवा कर शेयर मार्केटिंग में ट्रेडिंग कर रहे हैं। भारत देश में लगभग 15 करोड़ डिमैट अकाउंट्स अब तक खुल चुके हैं। यह हमारे देश की कुल आबादी का 10% हिस्सा है।
दुनिया के सबसे बड़े शेयर बाजार में युवाओं की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। मौजूदा रफ्तार को देखते हुए ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि अगले 5 साल में देश भर में डिमैट अकाउंट की संख्या लगभग दुगनी हो सकती है। यदि आप भी किसी प्लेटफार्म से शेयर मार्केट में ट्रेडिंग शेयर ट्रेडिंग करते हैं या करने करना चाहते हैं। तो आपको शेयर ट्रेडिंग करने के लिए इन सात तरह की फीस और शुल्क चुकाने पड़ते हैं। आईए जानते हैं…
Share Market Tax: शेयर ब्रोकरेज फीस
Share Market Tax: जब भी निवेशक किसी प्लेटफार्म के माध्यम से शेयर मार्केटिंग में ट्रेडिंग करता है। तो उसे शेयर ब्रोकरेज फीस का भुगतान करना होता है। यह फीस इक्विटी में इंट्राडे, डिलीवरी और डेरिवेटिव में फ्यूचर, ऑप्शन में प्लेटफार्म ब्रोकर निवेशक के साथ अलग-अलग रूप से चार्ज कर लेते हैं। यह फीस 0.01% से लेकर 0.05% तक हो सकता है।
Share Market Tax: सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स
Share Market Tax: सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स को STT के नाम से जाना जाता है। यह टेक्स स्टॉक एक्सचेंज के शेयरों की खरीद बिक्री पर लगाया जाता है। इस टैक्स के माध्यम से सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष में 19 लाख करोड़ रुपए निवेशकों से वसूल किया था। जो वित्तीय वर्ष 2022-2023 से लगभग 20% अधिक है।
Share Market Tax: स्टांप ड्यूटी
Share Market Tax: स्टांप ड्यूटी राज्य सरकार द्वारा लगाया जाने वाला शुल्क है। यह शुल्क शेयर ट्रेडिंग के साथ अन्य वित्तीय लेन देन पर भी लगाया जाता है। इसकी दर भिन्न भिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न हो सकती हैं। यह टेक्स ट्रांजैक्शन की वैल्यू पर निर्भर कर करता हैं।
Share Market Tax: ट्रांजैक्शन शुल्क
Share Market Tax: जब भी आप किसी कंपनी के शेयर ट्रेड करते है। उन्हें खरीदते या बेचते हैं तो इस होने वाली खरीद बिक्री पर आपको ट्रांजैक्शन शुल्क का भुगतान करना होता है। यह ट्रांजैक्शन शुल्क अलग-अलग प्लेटफार्म के अलग-अलग हो सकते हैं।
Share Market Tax: डिपॉजिटरी शुल्क
Share Market Tax: यह एक प्लेटफार्म शुल्क होता है। यह प्लेटफॉर्म आपके द्वारा खरीदे गए शेयरों को सुरक्षित रखने के लिए शुल्क वसूलता है। निवेशक अपने प्लेटफॉर्म ब्रोकर के हिसाब से कहीं पर भी डिपॉजिटरी खाता खुलवा सकता है। जहां उसे शुल्क का भुगतान करना होता है।
Share Market Tax: कैपिटल गेन टैक्स
Share Market Tax: जब आप अपने शेयर को ट्रेड करने के बाद कुछ समय तक होल्ड करके रखते हैं। इसके बाद आप उन शेयर की बिक्री कर देते हैं। तो आपकी खरीद और बिक्री के आकलन पर होने वाली आय पर यह कैपिटल गेन टैक्स लगाया जाता है।
कैपिटल गेन टैक्स दो तरीके से लगाया जाता है आईए जानते हैं
Share Market Tax: शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स
Share Market Tax: एक वर्ष या इससे कम समय अवधि के लिए होल्ड रखे गए शेयरों की यदि आप बिक्री करते हैं तो उन शेयरों पर आपको 15% शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स चुकाना पड़ता है।
Share Market Tax: लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स
Share Market Tax: यदि आप अपने शेयरों को 1 वर्ष या उससे अधिक समय के लिए होल्ड पर रखते हैं तो आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन टैक्स चुकाना पड़ता है। यदि एक वर्ष बाद होल्ड रखे गए शेयरों की बिक्री से आप ₹100000 या इससे कम की आय अर्जित करते हैं तो आपको यह टेक्स नहीं लगता है। लेकिन यदि आप एक लाख से ज्यादा आय अर्जित करते हैं तो आपको अर्जित आय का 10% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है।
निष्कर्ष
Share Market Tax: सामान्य भाषा में कहा जाए। यदि आप ट्रेडिंग करते हैं या करना चाहते हैं तो आपको यह टेक्स और शुल्क हर हाल में चुकाना ही पड़ता है। इसलिए यदि आप शेयर मार्केट में अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं तो यह 7 शुल्क और टैक्स को एक बार जरूर समझना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न- शेयर मार्केट में कितना प्रॉफिट टैक्स फ्री है?
उत्तर- यदि आप अपने शेयरों को 1 वर्ष या उससे अधिक समय के लिए होल्ड पर रखते हैं तो आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन टैक्स चुकाना पड़ता है। यदि एक वर्ष बाद होल्ड रखे गए शेयरों की बिक्री से आप ₹100000 या इससे कम की आय अर्जित करते हैं तो आपको यह टेक्स नहीं लगता है। लेकिन यदि आप एक लाख से ज्यादा आय अर्जित करते हैं तो आपको अर्जित आय का 10% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है।
प्रश्न- क्या मैं टैक्स बचाने के लिए शेयरों में निवेश कर सकता हूं?
उत्तर- एक वर्ष या इससे कम समय अवधि के लिए होल्ड रखे गए शेयरों की यदि आप बिक्री करते हैं तो उन शेयरों पर आपको 15% शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स चुकाना पड़ता है।
प्रश्न- शेयर बेचने पर कितना चार्ज लगता है?
उत्तर- जब भी निवेशक किसी प्लेटफार्म के माध्यम से शेयर मार्केटिंग में ट्रेडिंग करता है। तो उसे शेयर ब्रोकरेज फीस का भुगतान करना होता है। यह फीस इक्विटी में इंट्राडे, डिलीवरी और डेरिवेटिव में फ्यूचर, ऑप्शन में प्लेटफार्म ब्रोकर निवेशक के साथ अलग-अलग रूप से चार्ज कर लेते हैं। यह फीस 0.01% से लेकर 0.05% तक हो सकता है।
प्रश्न- शेयर बेचने पर आप कितना टैक्स देते हैं?
उत्तर- जब भी आप किसी कंपनी के शेयर ट्रेड करते है। उन्हें खरीदते या बेचते हैं तो इस होने वाली खरीद बिक्री पर आपको ट्रांजैक्शन शुल्क का भुगतान करना होता है। यह ट्रांजैक्शन शुल्क अलग-अलग प्लेटफार्म के अलग-अलग हो सकते हैं।
प्रश्न- सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स पर कितना चार्ज लगता है?
उत्तर- सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स को STT के नाम से जाना जाता है। यह टेक्स स्टॉक एक्सचेंज के शेयरों की खरीद बिक्री पर लगाया जाता है। इस टैक्स के माध्यम से सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष में 19 लाख करोड़ रुपए निवेशकों से वसूल किया था। जो वित्तीय वर्ष 2022-2023 से लगभग 20% अधिक है।
प्रश्न- कैपिटल गेन टैक्स क्यों लगता है?
उत्तर- जब आप अपने शेयर को ट्रेड करने के बाद कुछ समय तक होल्ड करके रखते हैं। इसके बाद आप उन शेयर की बिक्री कर देते हैं। तो आपकी खरीद और बिक्री के आकलन पर होने वाली आय पर यह कैपिटल गेन टैक्स लगाया जाता है।
प्रश्न- डिपॉजिटरी शुल्क क्यों लगता है?
उत्तर- यह एक प्लेटफार्म शुल्क होता है। यह प्लेटफॉर्म आपके द्वारा खरीदे गए शेयरों को सुरक्षित रखने के लिए शुल्क वसूलता है। निवेशक अपने प्लेटफॉर्म ब्रोकर के हिसाब से कहीं पर भी डिपॉजिटरी खाता खुलवा सकता है। जहां उसे शुल्क का भुगतान करना होता है।
प्रश्न- स्टांप ड्यूटी क्यों लगता है?
उत्तर- स्टांप ड्यूटी राज्य सरकार द्वारा लगाया जाने वाला शुल्क है। यह शुल्क शेयर ट्रेडिंग के साथ अन्य वित्तीय लेन देन पर भी लगाया जाता है। इसकी दर भिन्न भिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न हो सकती हैं। यह टेक्स ट्रांजैक्शन की वैल्यू पर निर्भर कर करता हैं।
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