Peer Pressure : “जैसी संगत देसी रंगत” अर्थात आप जिन लोगों के साथ रहते हैं, उनकी तरह व्यवहार करने लग जाते हैं। किशोरावस्था की उम्र में यह प्रभाव सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। क्योंकि इस उम्र में किशोर अधिकांश समय अपने दोस्तों के साथ बिताना पसंद करते हैं। उनके साथ रहकर भी अक्सर उनके जैसा बनने की कोशिश भी करने लगते हैं।
Peer Pressure : वास्तव में प्रियर प्रेशर यह एक प्रक्रिया कहलाती है। अगर यह नकारात्मक होने लगती है, तो इसका प्रभाव बच्चों पर गलत रास्ते में जाने पर पड़ता है। इसलिए बच्चों को इस दबाव से बचने के लिए आपको जिम्मेदारी उठानी होगी। शोधकर्ताओं के अनुसार 80% किशोर अपने मित्रों के दबाव का सामना करते हैं। जो उनके व्यवहार और मानसिक विकास पर गहरा असर डालने का काम करता है। इस दबाव से बचना और उनको बचाना आपका प्रथम कर्तव्य कहलाएगा।
Peer Pressure : ऐसे प्रवेश करता है पीयर प्रेशर
स्वीकृति
Peer Pressure : शोधकर्ताओं के अनुसार किशोर को वयस्कों की तुलना में अपने दोस्तों द्वारा पसंद किए जाने से अधिक खुशी मिलने लगती है। इस वजह से भी अनिच्छा से भी ऐसे ग्रुप में शामिल हो जाते हैं, जो अच्छा नहीं होता है। और उनके जैसा बनने की कोशिश करने लगते हैं।
नवीनता की चाहत
Peer Pressure : किशोर अवस्था में युवाओं को दुनिया को लेकर स्वाभाविक जिज्ञासा और नई चीज आजमाने की तीव्र इच्छा होने लगती है। इसके परिणाम स्वरुप वे उन जोखिमपूर्ण आदतों को अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं, जिनमें उनके दोस्त पहले से शामिल होते हैं।
आत्मविश्वास की कमी
Peer Pressure : किशोर के मन में आत्मविश्वास की कमी होती है। जिसकी वजह से वह अपनी योग्यता साबित करने के लिए ऐसी आदतों और व्यवहार को अपना सकते हैं, जिन्हें वे खुद पसंद नहीं करते। उन्हें ऐसा लगता है, कि अन्य लोगों का तरीका बिल्कुल सही है, और दबाव के चलते बे अपनी उन आदतों को अपनाते हैं। भले ही उनका मन उनके खिलाफ हो।
परिवार की सहयोग की कमी
Peer Pressure : यह एक ऐसा मौका होता है, जिसमें किशोरों के पास परिवार का कोई सदस्य सहारा देने के लिए नहीं होता है। तो वे अपनी समस्याओं और तनाव के लिए अपने दोस्तों की ओर रुख अपनाने लगते हैं। इसी वजह से दोस्तों का प्रभाव उनके जीवन में परिवार से ज्यादा पढ़ने लगता है।
Peer Pressure : जब किशोर की संगत नकारात्मक होती है तो
Peer Pressure : जब किशोर की संगत नकारात्मक होने लगती है, तो वह कुछ इस प्रकार की आदतें अपना सकते हैं…
- अपनी कक्षाओं से गायब रहना और मौज मस्ती करना।
- धूम्रपान, शराब और नशीले पदार्थों के सेवन लिए आदि होना।
- चोरी करना, झूठ बोलना, टाल मटोल करना और गुमराह करना आदि।
- दूसरों के साथ दुर्व्यवहार करना, शिक्षकों और बड़ों का अपमान करना और लड़ाई झगड़ा करना।
Peer Pressure : किशोरों को समझाना है आवश्यक
Peer Pressure : आप भी अपनी युवा अवस्था में इस दौर से गुजरी होगी। आपने अपने अनुभव को भी जिया होगा। इसलिए अपने किशोर को इस नाजुक दौर से गुजरने के लिए मदद करें…
- किशोर को समझाएं, कि खुद को भावनात्मक रूप से संतुष्ट कैसे रखा जा सकता है।
- उन्हें अपने आत्मविश्वास और आत्म सम्मान को बढ़ाने के लिए सकारात्मक आदतों और शोक का सहारा लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
- उन्हें अपने माता-पिता और शिक्षकों से खुलकर बातचीत करना चाहिए।
- वे अपने परिवार के साथ अपनी बात को खुलकर रख सकते हैं। उन्हें उनके निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
Peer Pressure : किशोर के लिए सुरक्षित माहौल
- Peer Pressure : आपको नहीं इस बात पर यकीन दिलाना होगा, कि यदि वह कोई गलती करते हैं, तो आप उन्हें डांट फटकार नहीं लगाएंगे। बल्कि उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे।
- उनके दोस्तों से जरूर मिले। इससे आपको यह जानकारी मिल जाएगी, कि आपके किशोर किन के साथ समय बिता रहे हैं। और मैं कैसे लोग हैं।
- अपने घर का ऐसा माहौल बनाएं जिसमें आपके किशोर बच्चे अपनी रुचियां को खुद व्यक्त कर सकें।
- अपनी किशोर बच्चों की समस्याओं को समझने की कोशिश करें। यदि आपको लगता है, कि आपका किशोर मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं। तो उनसे खुलकर बात करें।
निष्कर्ष
Peer Pressure : किशोर अवस्था एक ऐसा नाजुक दौड़ होता है, जिसमें वह अगर अच्छी संगत प्राप्त कर जाते हैं, तो उनका जीवन निखर जाता है। इसके विपरीत यदि उन्हें नकारात्मक संगत मिल जाती है, तो उनका जीवन बर्बाद हो जाता है। ऐसी नाजुक स्थिति में उनका सहयोग करना उनके साथ देना आपका प्रथम कर्तव्य बन जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न- हमें कैसे व्यक्तियों की संगति करनी चाहिए?
उत्तर- किशोर अवस्था एक ऐसा नाजुक दौड़ होता है, जिसमें वह अगर अच्छी संगत प्राप्त कर जाते हैं, तो उनका जीवन निखर जाता है। इसके विपरीत यदि उन्हें नकारात्मक संगत मिल जाती है, तो उनका जीवन बर्बाद हो जाता है। ऐसी नाजुक स्थिति में उनका सहयोग करना उनके साथ देना आपका प्रथम कर्तव्य बन जाता है।
प्रश्न- जब किशोर की संगत नकारात्मक होती है तो क्या करे ?
उत्तर- जब किशोर की संगत नकारात्मक होने लगती है, तो वह कुछ इस प्रकार की आदतें अपना सकते हैं…
अपनी कक्षाओं से गायब रहना और मौज मस्ती करना।
धूम्रपान, शराब और नशीले पदार्थों के सेवन लिए आदि होना।
चोरी करना, झूठ बोलना, टाल मटोल करना और गुमराह करना आदि।
दूसरों के साथ दुर्व्यवहार करना, शिक्षकों और बड़ों का अपमान करना और लड़ाई झगड़ा करना।
प्रश्न- किशोरों को समझाना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- Peer Pressure : आप भी अपनी युवा अवस्था में इस दौर से गुजरी होगी। आपने अपने अनुभव को भी जिया होगा। इसलिए अपने किशोर को इस नाजुक दौर से गुजरने के लिए मदद करें…
किशोर को समझाएं, कि खुद को भावनात्मक रूप से संतुष्ट कैसे रखा जा सकता है।
उन्हें अपने आत्मविश्वास और आत्म सम्मान को बढ़ाने के लिए सकारात्मक आदतों और शोक का सहारा लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
उन्हें अपने माता-पिता और शिक्षकों से खुलकर बातचीत करना चाहिए।
वे अपने परिवार के साथ अपनी बात को खुलकर रख सकते हैं। उन्हें उनके निर्णय लेने में मदद मिलेगी l
प्रश्न- किशोर के लिए सुरक्षित माहौल कैसा हो ?
उत्तर- Peer Pressure : आपको नहीं इस बात पर यकीन दिलाना होगा, कि यदि वह कोई गलती करते हैं, तो आप उन्हें डांट फटकार नहीं लगाएंगे। बल्कि उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे।
उनके दोस्तों से जरूर मिले। इससे आपको यह जानकारी मिल जाएगी, कि आपके किशोर किन के साथ समय बिता रहे हैं। और मैं कैसे लोग हैं।
अपने घर का ऐसा माहौल बनाएं जिसमें आपके किशोर बच्चे अपनी रुचियां को खुद व्यक्त कर सकें।
अपनी किशोर बच्चों की समस्याओं को समझने की कोशिश करें। यदि आपको लगता है, कि आपका किशोर मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं। तो उनसे खुलकर बात करें।
प्रश्न- कैसे प्रवेश करता है पीयर प्रेशर ?
उत्तर- शोधकर्ताओं के अनुसार किशोर को वयस्कों की तुलना में अपने दोस्तों द्वारा पसंद किए जाने से अधिक खुशी मिलने लगती है। इस वजह से भी अनिच्छा से भी ऐसे ग्रुप में शामिल हो जाते हैं, जो अच्छा नहीं होता है। और उनके जैसा बनने की कोशिश करने लगते हैं। यह एक ऐसा मौका होता है, जिसमें किशोरों के पास परिवार का कोई सदस्य सहारा देने के लिए नहीं होता है। तो वे अपनी समस्याओं और तनाव के लिए अपने दोस्तों की ओर रुख अपनाने लगते हैं। इसी वजह से दोस्तों का प्रभाव उनके जीवन में परिवार से ज्यादा पढ़ने लगता है।
प्रश्न- “जैसी संगत देसी रंगत” का अर्थ क्या है ?
उत्तर- “जैसी संगत देसी रंगत” अर्थात आप जिन लोगों के साथ रहते हैं, उनकी तरह व्यवहार करने लग जाते हैं। किशोरावस्था की उम्र में यह प्रभाव सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। क्योंकि इस उम्र में किशोर अधिकांश समय अपने दोस्तों के साथ बिताना पसंद करते हैं। उनके साथ रहकर भी अक्सर उनके जैसा बनने की कोशिश भी करने लगते हैं।
वास्तव में प्रियर प्रेशर यह एक प्रक्रिया कहलाती है। अगर यह नकारात्मक होने लगती है, तो इसका प्रभाव बच्चों पर गलत रास्ते में जाने पर पड़ता है। इसलिए बच्चों को इस दबाव से बचने के लिए आपको जिम्मेदारी उठानी होगी। शोधकर्ताओं के अनुसार 80% किशोर अपने मित्रों के दबाव का सामना करते हैं। जो उनके व्यवहार और मानसिक विकास पर गहरा असर डालने का काम करता है। इस दबाव से बचना और उनको बचाना आपका प्रथम कर्तव्य कहलाएगा।
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