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Obesity; मोटापा गर्भावस्था में दे सकता है ये 5 खतरा जाने कैसे? मोटापा, शिशु को भी पहुंच सकता है नुकसान

Obesity; आज भारतीय महिलाओं में मोटापा सबसे बड़ी समस्या बनता जा रहा है। भारत देश में रहने वाली प्रत्येक तीसरी महिला मोटापे से परेशान है। मोटापा महिलाओं की गर्भपात की समस्या को कई गुना बढ़ा देता है। यहां तक की गर्भपात होने के बाद मोटी महिलाओं को दूसरी बार गर्भधारण करने में बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

Obesity; मोटापा बढ़ने से महिलाओं की मासिक धर्म में भी अनियमितता आने लगती है । तथा उनके अंडाणुओं के विकास में बाधा उत्पन्न होने लगती है । आईए देखते हैं मोटापा महिलाओं या गर्भवती महिलाओं में किस प्रकार से खतरा उत्पन्न कर रहा है।

Obesity; अनियमितता बढ़ाता है मोटापा

Obesity; महिलाओं में मोटापा होने से उनका वजन बढ़ जाता है। अत्यधिक वजन बढ़ने से महिलाये गर्भधारण नहीं कर पाती हैं । भारत देश में यह समस्या कई महिलाओं में देखने को मिलती है । मोटापा होने से महिलाओं की मासिक धर्म में अनियमितया बढ़ सकती है । जिसकी वजह से उनके अंडाणुओं के विकास होने में बाधा उत्पन्न होने लगती है। इतना ही नहीं फर्टिलाइजेशन संबंधी समस्या उत्पन्न होने के बाद, यदि कोई महिला गर्भधारण कर लेती है तो उसके गर्भपात होने का खतरा हमेशा मंडराता रहता है ।

Obesity; मोटापा होने के कारण महिलाओं में अंडाणुओं की गुणवत्ता खराब होने लगती है। जिससे उसके गर्भपात खतरा बढ़ सकता है। अगर गर्भधारण करने से पहले महिला अपनी सेहत पर ध्यान देती है तो इन सब समस्याओं से बचा जा सकता है।
दरअसल मोटापे की वजह से महिलाओं के शरीर में एंड्रोजन और इंसुलिन जैसे हारमोंस बढ़ने लगते हैं। और मोटापे से ग्रसित होकर गर्भवती महिला में गर्भकालीन मधुमेह, उच्च रक्तचाप और पैरों में खून के थक्के जमना आदि का जोखिम बढ़ जाता है।

Obesity; उक्त रक्तचाप

Obesity; गर्भवती महिला में उक्त रक्तचाप की गंभीर समस्या होने लगती है। जो आमतौर पर गर्भावस्था के आखिरी 3 महीने में होता है । उक्त रक्तचाप महिला के दिमाग, लीवर और किडनी को प्रभावित करने लगता है । अधिक गंभीर स्थिति बनने पर दिल का दौरा या बेन स्ट्रोक जैसी खतरे हो सकते हैं।

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Obesity; गर्भकालीन मधुमेह

Obesity; मोटापा की वजह से गर्भवती महिला के गर्भावस्था के दौरान ग्लूकोज यानी रक्त शर्करा का उच्च स्तर गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। उच्च बीएमआई वाली महिलाओं को सामान्य बीएमआई वाली महिलाओं की तुलना में अधिक समय तक प्रसव की पीड़ा सहन करनी पड़ सकती है । कभी-कभी नवजात शिशु का वचन इतना अधिक बढ़ जाता है कि उस स्थिति में नॉर्मल डिलीवरी करना मुश्किल हो जाता है।

Obesity; ऐसे में अत्यधिक मोटापा सिजेरियन डिलीवरी का कारण बन सकता है। और मोटापे से ग्रसित गर्भवती महिलाओं के प्रसव के पश्चात अत्यधिक रक्तस्राव होने की आशंका बढ़ जाती है जो भी जानलेवा हो सकती है।

Obesity; स्लीप एप्निया

Obesity; मोटापे की वजह से गर्भवती महिलाओं को स्लिप अपियन की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसकी वजह से महिलाओं को नींद के दौरान सांस लेने में परेशानी होती है। यह हृदय व फेफड़ों में व्यवधान उत्पन्न करने का कारण बन सकता है ।

Obesity; स्तनपान में समस्या

Obesity; मोटापे से ग्रसित महिलाओं को अपने नवजात शिशु को स्तनपान कराने में समस्या उत्पन्न हो सकती है । साथ ही यदि ऑपरेशन से डिलीवरी होती है तो टांके भरने में देरी होती है और संक्रमण का खतरा बना रहता है।

Obesity; कोख में समस्या

Obesity; गर्भवती महिला का मोटापा मां की कोख का वातावरण ही शिशु के जन्म से पहले और जन्म के बाद की स्थिति के लिए जिम्मेदार बन सकता है ।अगर गर्भवती महिला का वजन सामान्य महिला से अधिक है तो शिशु में चाइल्ड ओबेसिटी टाइप 1 डायबिटीज आदी हो सकती है ।

निष्कर्ष

Obesity; मां बनना प्रत्येक महिला के जीवन का सबसे सुखद अनुभव होता है । ऐसे में यदि आप गर्भधारण करने वाली है तो आपको अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा । मोटापा जनित समस्याओं को नजर रखते हुए । आपको स्वयं शुरुआत से ही सावधान रहने की आवश्यकता है । खासकर आपके गर्भधारण करने से, गर्भकाल तथा प्रसुति के समय तक आपको अपना विशेष ध्यान रखना होगा । इसलिए बेहतर होगा कि गर्भधारण करने से पहले आप अपने डॉक्टर से परामर्श ले।

अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मोटापा अनियमितता कैसे बढ़ाता है ?

उत्तर- महिलाओं में मोटापा होने से उनका वजन बढ़ जाता है। अत्यधिक वजन बढ़ने से महिलाये गर्भधारण नहीं कर पाती हैं । भारत देश में यह समस्या कई महिलाओं में देखने को मिलती है । मोटापा होने से महिलाओं की मासिक धर्म में अनियमितया बढ़ सकती है । जिसकी वजह से उनके अंडाणुओं के विकास होने में बाधा उत्पन्न होने लगती है। इतना ही नहीं फर्टिलाइजेशन संबंधी समस्या उत्पन्न होने के बाद, यदि कोई महिला गर्भधारण कर लेती है तो उसके गर्भपात होने का खतरा हमेशा मंडराता रहता है ।

प्रश्न- मोटापे से उक्तरक्तचाप कैसे बढ़ता है ?

उत्तर- गर्भवती महिला में उक्त रक्तचाप की गंभीर समस्या होने लगती है। जो आमतौर पर गर्भावस्था के आखिरी 3 महीने में होता है । उक्त रक्तचाप महिला के दिमाग, लीवर और किडनी को प्रभावित करने लगता है । अधिक गंभीर स्थिति बनने पर दिल का दौरा या बेन स्ट्रोक जैसी खतरे हो सकते हैं।

प्रश्न- गर्भकालीन मधुमेह क्या होता है ?

उत्तर- मोटापा की वजह से गर्भवती महिला के गर्भावस्था के दौरान ग्लूकोज यानी रक्त शर्करा का उच्च स्तर गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। उच्च बीएमआई वाली महिलाओं को सामान्य बीएमआई वाली महिलाओं की तुलना में अधिक समय तक प्रसव की पीड़ा सहन करनी पड़ सकती है । कभी-कभी नवजात शिशु का वचन इतना अधिक बढ़ जाता है कि उस स्थिति में नॉर्मल डिलीवरी करना मुश्किल हो जाता है।

प्रश्न- मोटापे से स्तनपान में क्या समस्याएं होती है ?

उत्तर- मोटापे से ग्रसित महिलाओं को अपने नवजात शिशु को स्तनपान कराने में समस्या उत्पन्न हो सकती है । साथ ही यदि ऑपरेशन से डिलीवरी होती है तो टांके भरने में देरी होती है और संक्रमण का खतरा बना रहता है।

प्रश्न- मोटापे से कोख में क्या समस्याएं होती है ?

उत्तर- गर्भवती महिला का मोटापा मां की कोख का वातावरण ही शिशु के जन्म से पहले और जन्म के बाद की स्थिति के लिए जिम्मेदार बन सकता है ।अगर गर्भवती महिला का वजन सामान्य महिला से अधिक है तो शिशु में चाइल्ड ओबेसिटी टाइप 1 डायबिटीज आदी हो सकती है ।

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