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Kashi: महादेव की नगरी काशी का रहस्य क्या है इन 10 घाट का इतिहास ?

Kashi: भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य में मां गंगा नदी के तट पर स्थित काशी शहर बनारस और बनारसी के नाम से भी विख्यात है। हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में काशी शहर का उल्लेख कई बार देखने को मिला है। ऐसा माना जाता है काशी दुनिया का सबसे पुराना शहर है। काशी शहर को भगवान विष्णु ने बसाया था और जब मां पार्वती ने भगवान शंकर से रहने के लिए शहर की मांग की थी तो भगवान शंकर ने से विष्णु भगवान से मांग लिया था।

Kashi: भारत भूमि देवालयों की भूमि है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक अटक से लेकर कटक तक। भारत भूमि की प्रत्येक कोने में आपको कोई ना कोई तीर्थ स्थल या देव स्थल मिल जाएगा। यह देवस्थान सनातन धर्म का प्रतीक बने हुए हैं जो अनादि काल से भारत भूमि पर विद्यमान है इनका उल्लेख पुराणों और ग्रंथों में भी मिलता है।

काशी में तरकीबन 84 घाट है जो की इस शहर की धार्मिक रूप की मान्यता बढ़ाते हैं ।

Kashi: अस्सी घाट

Kashi: जगदंबा मां दुर्गा की रोचक कहानी अस्सी घाट से मिलती है। पुराणों की कथा के अनुसार शुंभ और निशुंभ नाम के दो रक्षा थे। जगत जननी मां दुर्गा है जब उनका वध किया था। शुंभ, निशुंभ का वध करने के बाद मां दुर्गा ने अपना अस्त्र जमीन पर फेंक दिया था । उनका अस्त्र धरती पर जहां गिरा था, उस सतह पर एक बड़ा सा गड्ढा बन गया था और उस गड्ढे से एक जलधारा बहने लगी थी, इससे 80 नदी के नाम से जाना जाता है । 80 नदी और गंगा किस संगम स्थान को अस्सी घाट के नाम से जाना जाता है।

दशाश्वमेध घाट

Kashi: सनातन धार्मिक सांस्कृतिक के अनुसार यह माना जाता है कि यहां भगवान ब्रह्मा जी ने 10 अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान किया था। भगवान ब्रह्मा जी के द्वारा किए गए अश्वमेध यज्ञ से इस घाट का नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा। यह घाट काशी का सबसे प्रसिद्ध घाट है पुराणों में इस घाट को रुद्रसर कहा जाता है ।

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मणिकर्णिका घाट

Kashi: जब भगवान शंकर माता पार्वती के साथ तालाब के किनारे घूम रहे थे, तो मां पार्वती जी के कानों से मणि चक्र पुष्कर्णी गिर गई थी। जिस स्थान पर यह मनी चक्र पुष्कर्णी गिरी थी उस स्थान का नाम मणिकर्णिका का घाट प्रचलित हुआ था । मनीकर्णिका काशी के पांच प्रमुख तीर्थ स्थान में से एक है। यह घाट तीर्थ और शमशान दोनों के लिए प्रसिद्ध माना जाता है।

हरिशचंद्र घाट

Kashi: पुराणों में ऐसा मानना है की अयोध्या के राजा सत्यवादी हरिश्चंद्र ने अपने पुत्र का अंतिम संस्कार इसी घाट पर किया था । इसीलिए इस घाट का नाम हरिशचंद्र घाट प्रचलित हुआ

केदार घाट

Kashi: भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग इस घाट पर स्थित है इसलिए इस स्थान को केदार घाट कहा जाता है। ईस घाट पर तीर्थ यात्रियों की भीड़ देखने को मिलती है।

पंचगंगा घाट

Kashi: पंचगंगा घाट काशी का सबसे पुराना व प्रचलित तीर्थ में से एक है। इस घाट में मां गंगा, मां यमुना, मां सरस्वती, मां करना और धूतपापा आपस में मिल जाती हैं । इसलिए इसका घाट का नाम पंच गंगा घाट प्रचलित हुआ।

मानसरोवर घाट

Kashi: इस घाट का निर्माण राजस्थान के राजा मानसिंह ने करवाया था। ऐसा माना जाता है यहां पर स्नान करने वाले भक्तगणों को हिमालय में स्थित मानसरोवर गंगा में स्नान करने जितना पुण्य प्राप्त होता है।

प्रहलाद घाट

Kashi: भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद ने इस स्थान पर अपनी तपोभूमि बनाई थी । भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा उसके पिता हिर्नाकश्यप के अत्याचारों से की थी । अतः इस तपोभूमि को प्रहलाद घाट के नाम से जाना जाता है।

आदि केशव घाट

Kashi: काशी का सबसे पहला और प्रमुख विष्णु तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध आदि केशव काशी के प्रमुख तीर्थ में से एक है। पुराणों की मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु पहली बार अपने गरुण पर सवार होकर महादेव के कहने पर काशी आए थे । जब उन्होंने अपना पहला कदम इस भूमि पर रखा था और यहां गंगा स्नान किया था ।उसे ही आदि केशव घाट कहा जाता है।

मीर घाट

Kashi: इस घाट का निर्माण उस समय के फौजदार मीर रुस्तम अली ने करवाया था इसी कारण इसे मीर घाट कहा जाता है।

निष्कर्ष

Kashi: भगवान शिव की नगरी काशी का वर्णन शब्दों में बयां कर पाना कठिन कार्य है । इस लेख में हमने भगवान शिव की नगरी के कुछ घाटों का वर्णन किया है । इसके अतिरिक्त यदि आप काशी में घूमने जाते हैं तो यहां घाट के अतिरिक्त बहुत सारे तीर्थ स्थल है जिनके आप दर्शन कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न- काशी का रहस्य क्या है?

उत्तर- काशी शहर को भगवान विष्णु ने बसाया था और जब मां पार्वती ने भगवान शंकर से रहने के लिए शहर की मांग की थी तो भगवान शंकर ने से विष्णु भगवान से मांग लिया था।

प्रश्न- काशी को शिव की नगरी क्यों कहा जाता है?

उत्तर- देवी पार्वती जी कहने पर भगवान शिव ने कैलाश छोड़कर नगर में बसने का निश्चय किया l भगवान शंकर ने से विष्णु भगवान से मांग लिया था।

प्रश्न- काशी के पीछे की कहानी क्या है?

उत्तर- Kashi: भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य में मां गंगा नदी के तट पर स्थित काशी शहर बनारस और बनारसी के नाम से भी विख्यात है। हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में काशी शहर का उल्लेख कई बार देखने को मिला है। ऐसा माना जाता है काशी दुनिया का सबसे पुराना शहर है। काशी शहर को भगवान विष्णु ने बसाया था और जब मां पार्वती ने भगवान शंकर से रहने के लिए शहर की मांग की थी तो भगवान शंकर ने से विष्णु भगवान से मांग लिया था।

प्रश्न- Kashi: महादेव की नगरी काशी के घाट का इतिहास क्या है ?

उत्तर- काशी में तरकीबन 84 घाट है जो की इस शहर की धार्मिक रूप की मान्यता बढ़ाते हैं ।

प्रश्न- अस्सी घाट क्यों प्रसिद्ध है ?

उत्तर- Kashi: जगदंबा मां दुर्गा की रोचक कहानी अस्सी घाट से मिलती है। पुराणों की कथा के अनुसार शुंभ और निशुंभ नाम के दो रक्षा थे। जगत जननी मां दुर्गा है जब उनका वध किया था। शुंभ, निशुंभ का वध करने के बाद मां दुर्गा ने अपना अस्त्र जमीन पर फेंक दिया था । उनका अस्त्र धरती पर जहां गिरा था, उस सतह पर एक बड़ा सा गड्ढा बन गया था और उस गड्ढे से एक जलधारा बहने लगी थी, इससे 80 नदी के नाम से जाना जाता है । 80 नदी और गंगा किस संगम स्थान को अस्सी घाट के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न- दशाश्वमेध घाट क्यों पढ़ा ?

उत्तर- Kashi: सनातन धार्मिक सांस्कृतिक के अनुसार यह माना जाता है कि यहां भगवान ब्रह्मा जी ने 10 अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान किया था। भगवान ब्रह्मा जी के द्वारा किए गए अश्वमेध यज्ञ से इस घाट का नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा। यह घाट काशी का सबसे प्रसिद्ध घाट है पुराणों में इस घाट को रुद्रसर कहा जाता है ।

प्रश्न- मणिकर्णिका घाट क्यों प्रसिद्ध है ?

उत्तर- Kashi: जब भगवान शंकर माता पार्वती के साथ तालाब के किनारे घूम रहे थे, तो मां पार्वती जी के कानों से मणि चक्र पुष्कर्णी गिर गई थी। जिस स्थान पर यह मनी चक्र पुष्कर्णी गिरी थी उस स्थान का नाम मणिकर्णिका का घाट प्रचलित हुआ था । मनीकर्णिका काशी के पांच प्रमुख तीर्थ स्थान में से एक है। यह घाट तीर्थ और शमशान दोनों के लिए प्रसिद्ध माना जाता है।

प्रश्न- आदि केशव घाट क्यों प्रसिद्ध है ?

उत्तर- Kashi: काशी का सबसे पहला और प्रमुख विष्णु तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध आदि केशव काशी के प्रमुख तीर्थ में से एक है। पुराणों की मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु पहली बार अपने गरुण पर सवार होकर महादेव के कहने पर काशी आए थे । जब उन्होंने अपना पहला कदम इस भूमि पर रखा था और यहां गंगा स्नान किया था ।उसे ही आदि केशव घाट कहा जाता है।

प्रश्न- प्रहलाद घाट क्यों पढ़ा ?

उत्तर- Kashi: भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद ने इस स्थान पर अपनी तपोभूमि बनाई थी । भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा उसके पिता हिर्नाकश्यप के अत्याचारों से की थी । अतः इस तपोभूमि को प्रहलाद घाट के नाम से जाना जाता है।

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