Dussehra : सनातन धर्म में हिंदुओं का प्रमुख त्योहार दशहरा माना गया है। ऐसा माना जाता है, कि इस दिन भगवान श्री राम ने लंकापति रावण को मार कर अधर्म पर धर्म की विजय प्राप्त की थी। भगवान श्री राम ने लंका पति रावण के साथ-साथ उसके संपूर्ण वंश का विनाश कर दिया था। इस त्यौहार को असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक भी माना जाता है।
Dussehra : दशहरा के इस पावन पर्व पर आईए जानते हैं। की हर वर्ष दशहरे के दिन ही रावण को क्यों जलाया जाता है। तथा इसको जलाने से हमें क्या प्रेरणा मिलती है। रावण की अच्छाइयां और बुराइयों की चर्चा भी आज हम इस लेख के माध्यम से करेंगे। आईए जानते हैं….
Dussehra : बुद्धिमान रावण
Dussehra : रावण त्रेता युग का सबसे बुद्धिमान ब्राह्मण वंश का राक्षस था। उसके जैसा बुद्धिमान उसे युग में कोई दूसरा नहीं था। समस्त वेदों, पुराणों, उपनिषद, राजनीतिक, अंतरिक्ष, शास्त्रों, योग, साधना, विज्ञान और आयुर्वेद का विज्ञाता रावण था। रावण को दसों दिशाओं का ज्ञान था। रावण जैसा पराक्रमी उस युग में कोई दूसरा राजा या राक्षस नहीं था। रावण ने भगवान शंकर व ब्रह्मा जी की तपस्या करके विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र और ज्ञान अर्जित किए थे।
Dussehra : रावण के दस सिरों की विशेषताएं
Dussehra : रावण को दशानन भी कहा जाता हैं। अर्थात रावण के 10 सर थे। रावण का पहला सर चारों वेदों का ज्ञान रखता था। दूसरा सर शास्त्रों का ज्ञान रखता था। तीसरा सर पुराणों का ज्ञान रखता था। चौथा सर विज्ञान और कलाकारी का ज्ञान रखता था। पांचवा सर राजनीति का ज्ञान रखता था। छठवां सर रणनीति योजना बनाने का ज्ञान रखता था। सातवां सर आध्यात्मिक ज्ञान और योग का ज्ञान रखता था। आठवां सर ज्योतिष विद्या और अंतरिक्ष विज्ञान की समझ रखता था। नौवां सर आयुर्वेद और वैध का ज्ञान रखता था। दसवां सर माया और जादू का ज्ञान रखता था।
Dussehra : अहंकारी रावण
Dussehra : रावण में बहुत सारी अच्छाइयां थी। लेकिन इतनी अच्छाइयां होने के बावजूद भी उसके अंदर अहंकार बहुत ज्यादा बढ़ गया था। रावण को येसा लगने लगा था, कि वह विश्व का सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति है। उसे कभी कोई हरा नहीं सकता। और ना ही उसका कोई वध कर सकता है। यही अहंकार रावण व रावण के वंश के विनाश का कारण बना।
Dussehra : दशहरा और विजयादशमी
Dussehra : आज के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। इसलिए आज के दिन को दशहरा के रूप में मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त मां देवी दुर्गा ने 9 दिन के युद्ध के बाद दसवें दिन महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।
Dussehra : रावण की कठोर तपस्या
Dussehra : रावण भगवान शिव का परम भक्त था। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उसने कई बार भगवान शिव की कठोर तपस्या की। लेकिन तब भी भगवान से प्रकट नहीं हुए। इस पर रावण ने भगवान शिव को अपने सर की बलि देना आरंभ कर दिया। जैसे ही वह अपना एक सर काटता जाता, अपने आप उसके धड़ में दूसरा सर आ जाता था। इसी प्रकार उसने अपने नौ सारों की बली भगवान शिव के चरणों में अर्थात की अर्पित की।
जैसे ही रावण ने अपना दसवां सर काटना चाहा, भगवान शंकर तुरंत प्रकट हो गए और उसे वरदान मांगने को कहा। रावण ने भगवान शिव से अमरता का वरदान मांगा। लेकिन भगवान शिव ने अमरता का वरदान ना देते हुए उसे अमृत प्रदान किया। जिसे रावण ने अपनी नाभि में छुपा कर रख लिया।
Dussehra : रामलीला का मंचन
Dussehra : दशहरा के इस पावन पर्व संपूर्ण भारत में राम चरितमानस के आधार पर रामलीला का मंचन किया जाता है। जो भगवान श्री राम के चरितार्थ का वर्णन नाटकीय किया ढंग से करता है।
Dussehra : विकारों को त्यागने की प्रेरणा
Dussehra : रावण के 10 शीश 10 बुराइयों का प्रतीक माने गए हैं। आज के समय में इन बुराइयों से हर व्यक्ति को दूर रहना चाहिए। रावण अहंकार, अनैतिकता, सत्ता और शक्ति के दुरुपयोग का प्रतीक माना गया है।
Dussehra : विकारों का परित्याग
Dussehra : दशहरा का यह पावन पर्व मनुष्य के अंदर 10 विकारों का परित्याग करने के लिए प्रेरणादायक है।
- काम
- क्रोध
- मोह
- लोभ
- मद
- ईर्ष्या
- आलस
- हिंसा
- द्वेष और
- चोरी
निष्कर्ष
Dussehra : दशहरा और विजयादशमी का यह पावन पर्व, अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना गया है। इसी ही असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक भी माना जाता है। दशहरा के इस पावन पर्व पर हम सब लोग मिलकर अपने अंदर विकारों को दूर करने का प्रण करें। तथा भगवान राम और मां जगदंबा की विजय पर शुभकामना मनाते हुए एक दूसरे को शुभ आशीष दें।
अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न- दशहरा धर्म क्या है?
उत्तर- सनातन धर्म में हिंदुओं का प्रमुख त्योहार दशहरा माना गया है। ऐसा माना जाता है, कि इस दिन भगवान श्री राम ने लंकापति रावण को मार कर अधर्म पर धर्म की विजय प्राप्त की थी। भगवान श्री राम ने लंका पति रावण के साथ-साथ उसके संपूर्ण वंश का विनाश कर दिया था। इस त्यौहार को असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक भी माना जाता है।
प्रश्न- विजय दशमी और दशहरा में क्या अंतर है?
उत्तर- आज के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। इसलिए आज के दिन को दशहरा के रूप में मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त मां देवी दुर्गा ने 9 दिन के युद्ध के बाद दसवें दिन महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न- दशहरा किसका प्रतीक है?
उत्तर- दशहरा और विजयादशमी का यह पावन पर्व, अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना गया है। इसी ही असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक भी माना जाता है। दशहरा के इस पावन पर्व पर हम सब लोग मिलकर अपने अंदर विकारों को दूर करने का प्रण करें।
प्रश्न- दशहरा का उद्देश्य क्या है?
उत्तर- Dussehra : दशहरा का यह पावन पर्व मनुष्य के अंदर 10 विकारों का परित्याग करने के लिए प्रेरणादायक है।
काम
क्रोध
मोह
लोभ
मद
ईर्ष्या
आलस
हिंसा
द्वेष और
चोरी
प्रश्न- विजय दशहरा क्यों मनाया जाता है?
उत्तर- दशहरा और विजयादशमी का यह पावन पर्व, अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना गया है। इसी ही असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक भी माना जाता है। दशहरा के इस पावन पर्व पर हम सब लोग मिलकर अपने अंदर विकारों को दूर करने का प्रण करें।
प्रश्न- दशहरा के पीछे की कहानी क्या है?
उत्तर- सनातन धर्म में हिंदुओं का प्रमुख त्योहार दशहरा माना गया है। ऐसा माना जाता है, कि इस दिन भगवान श्री राम ने लंकापति रावण को मार कर अधर्म पर धर्म की विजय प्राप्त की थी। भगवान श्री राम ने लंका पति रावण के साथ-साथ उसके संपूर्ण वंश का विनाश कर दिया था। इस त्यौहार को असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक भी माना जाता है।
प्रश्न- दशहरा से क्या सीख मिलती है?
उत्तर- रावण के 10 शीश 10 बुराइयों का प्रतीक माने गए हैं। आज के समय में इन बुराइयों से हर व्यक्ति को दूर रहना चाहिए। रावण अहंकार, अनैतिकता, सत्ता और शक्ति के दुरुपयोग का प्रतीक माना गया है।
प्रश्न- रावण के दस सिरों की क्या विशेषताएं है?
उत्तर- रावण को दशानन भी कहा जाता हैं। अर्थात रावण के 10 सर थे। रावण का पहला सर चारों वेदों का ज्ञान रखता था। दूसरा सर शास्त्रों का ज्ञान रखता था। तीसरा सर पुराणों का ज्ञान रखता था। चौथा सर विज्ञान और कलाकारी का ज्ञान रखता था। पांचवा सर राजनीति का ज्ञान रखता था। छठवां सर रणनीति योजना बनाने का ज्ञान रखता था। सातवां सर आध्यात्मिक ज्ञान और योग का ज्ञान रखता था। आठवां सर ज्योतिष विद्या और अंतरिक्ष विज्ञान की समझ रखता था। नौवां सर आयुर्वेद और वैध का ज्ञान रखता था। दसवां सर माया और जादू का ज्ञान रखता था।
प्रश्न- रावण कैसा था ?
उत्तर- रावण त्रेता युग का सबसे बुद्धिमान ब्राह्मण वंश का राक्षस था। उसके जैसा बुद्धिमान उसे युग में कोई दूसरा नहीं था। समस्त वेदों, पुराणों, उपनिषद, राजनीतिक, अंतरिक्ष, शास्त्रों, योग, साधना, विज्ञान और आयुर्वेद का विज्ञाता रावण था। रावण को दसों दिशाओं का ज्ञान था। रावण जैसा पराक्रमी उस युग में कोई दूसरा राजा या राक्षस नहीं था। रावण ने भगवान शंकर व ब्रह्मा जी की तपस्या करके विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र और ज्ञान अर्जित किए थे।
प्रश्न- रावण ने अपने शीश की बलि क्यों दी थी ?
उत्तर- रावण भगवान शिव का परम भक्त था। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उसने कई बार भगवान शिव की कठोर तपस्या की। लेकिन तब भी भगवान से प्रकट नहीं हुए। इस पर रावण ने भगवान शिव को अपने सर की बलि देना आरंभ कर दिया। जैसे ही वह अपना एक सर काटता जाता, अपने आप उसके धड़ में दूसरा सर आ जाता था। इसी प्रकार उसने अपने नौ सारों की बली भगवान शिव के चरणों में अर्थात की अर्पित की।
जैसे ही रावण ने अपना दसवां सर काटना चाहा, भगवान शंकर तुरंत प्रकट हो गए और उसे वरदान मांगने को कहा। रावण ने भगवान शिव से अमरता का वरदान मांगा। लेकिन भगवान शिव ने अमरता का वरदान ना देते हुए उसे अमृत प्रदान किया। जिसे रावण ने अपनी नाभि में छुपा कर रख लिया।
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