Chandra Namaskar : चंद्र नमस्कार योग अभ्यास करने के लिए चंद्रमा की ऊर्जा और शीतलता का प्रतीक माना जाता है। यह सूर्य नमस्कार की तरह ही आसनों का एक समूह है। लेकिन चंद्र नमस्कार करने से शीतलता और संतुलन पर अधिक ध्यान दिया जाना आवश्यक होता है। चंद्र नमस्कार विशेष रूप से चंद्रमा की ऊर्जा को जागृत करने के लिए, मन की शांति और मानसिक संतुलन को बढ़ाएं रखने के लिए किया जाता है।
Chandra Namaskar : चंद्र नमस्कार का अभ्यास पारंपरिक रूप से तब किया जाता है। जब आसमान में चंद्रमा दिखाई देता है। और विशेष रूप से चंद्र नमस्कार अमावस्या या पूर्णिमा की रात्रि को किया जाना ज्यादा फायदेमंद होता है। हालांकि इसका अभ्यास आप कभी भी कर सकते हैं। जब आप अपने मन की अधिक शांति चाहते हैं।
Chandra Namaskar : ताड़ासन
Chandra Namaskar : ताड़ासन करने के लिए सबसे पहले आपको सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाना है। इसके बाद आपको दोनों पैरों को जमीन से लगाकर रखना है। अपना सिर पीछे की ओर ले जाना है। अपनी दोनों भुजाओं को आकाश की ओर उठाना है। उंगलियों को आपस में फंसा कर तर्जनी उंगलियों से ऊपर की ओर केंद्रित करना है।
Chandra Namaskar : अर्द्ध चंद्राकार मुद्रा
Chandra Namaskar : इस आसन के लिए सबसे पहले आपको सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाना है। इसके उपरांत आपको अपनी सांस छोड़ते हुए बाई और धीरे-धीरे झुकना है। फिर सांस लेते हुए वापस अपने सावधान की मुद्रा में आ जाना है। ऐसे ही आपको कम से कम 10 से 15 बार दोहराना है।
Chandra Namaskar : पश्वोर्तासान
Chandra Namaskar : इस आसन के लिए सबसे पहले आपको सावधान मुद्रा में खड़े हो जाना है। इसके उपरांत सांस लेते हुए अपने बाएं हाथ और पैर को चटाई पर रखना है। इसके बाद आपको सांस छोड़ते हुए दाएं हाथ और पैर को आगे की ओर ले जाना है। इसके उपरांत आपको अपने कूल्हों को सीधा ऊपर रखने की कोशिश करना है। अपने दोनों पैरों को मजबूत स्थिति से नीचे बनाए रखें। इस आसन में आपका शरीर पिरामिड की आकार का दिखाई देने लगता है।
Chandra Namaskar : देवी मुद्रा आसन
Chandra Namaskar : इस आसन के लिए आपको अपने बाएं पैर को आगे की ओर फैलाते हुए बाहर रखना है। इसके बाद आपको सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ना है। अपने कूल्हों को नीचे रखना है। और हाथों को 90 डिग्री के कोण पर मुड़ना है। अपने अंगूठे और तर्जनी उंगलियों को आपस में मिलाकर रखता है।
Chandra Namaskar : त्रिकोण आसन
Chandra Namaskar : इसके लिए आपको पैरों को सीधा रखना है। और दाहिने पैर को घुमाते हुए उसकी उंगलियां बाय दिशा की ओर ले जाना है। बाएं पैर की उंगलियां सामने की ओर रखने की कोशिश करना है। अपनी भुजाओं को सीधा फैलाना है। फिर दाएं और झुकते हुए सर और दाएं हाथ को नीचे साथ में लाना है। सांस छोड़ना वह बाएं हाथ को आसमान की ओर सीधा उठाए रखना है। सर से ऊपर की ओर देखना है।
Chandra Namaskar : चंद्र नमस्कार करने से लाभ
मन की शांति
Chandra Namaskar : चंद्र नमस्कार करने से हमारे मन को शांति प्राप्त होती है। चंद्र नमस्कार मन को शांत रखने के साथ-साथ भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में भी मदद करता है।
शीतलता
Chandra Namaskar : चंद्र नमस्कार करने से हमारा शरीर शीतलता और तरोताजा महसूस करता है। खास तौर पर जब हम विशेष तनावपूर्ण परिस्थितियों में रह रहे हो।
लचीलापन
Chandra Namaskar : चंद्र नमस्कार करने से हमारे शरीर की मांसपेशियों में ताकत और लचीलापन आने लगता है।
अनिद्रा की समस्या से छुटकारा
Chandra Namaskar : जिन लोगों की नींद की समस्या होती है। उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती है। यदि वह चंद्र नमस्कार करते हैं, तो उन्हें अनिद्रा और बेचैनी जैसी समस्याओं से छुटकारा प्राप्त होता है।
पाचन तंत्र
Chandra Namaskar : नमस्कार करने से हमारे शरीर का पाचन तंत्र बेहतर होता है। चंद्र नमस्कार आंतरिक अंगों के कार्य क्षमता बढ़ाने में मदद करता।
निष्कर्ष
Chandra Namaskar : चंदन नमस्कार यदि रात्रि के समय किया जाए तो, शरीर को अधिक लाभ देता है। उदाहरण के लिए जब आप सोने जाते हैं, तो सोने से पहले आप चंद्र नमस्कार आराम से कर सकते हैं। इससे आपका शरीर शांत और स्वस्थ बना रहेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न- ताड़ासन क्या होता है?
उत्तर- ताड़ासन करने के लिए सबसे पहले आपको सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाना है। इसके बाद आपको दोनों पैरों को जमीन से लगाकर रखना है। अपना सिर पीछे की ओर ले जाना है। अपनी दोनों भुजाओं को आकाश की ओर उठाना है। उंगलियों को आपस में फंसा कर तर्जनी उंगलियों से ऊपर की ओर केंद्रित करना है l
प्रश्न- चंद्र नमस्कार क्या होता है?
उत्तर- चंद्र नमस्कार योग अभ्यास करने के लिए चंद्रमा की ऊर्जा और शीतलता का प्रतीक माना जाता है। यह सूर्य नमस्कार की तरह ही आसनों का एक समूह है। लेकिन चंद्र नमस्कार करने से शीतलता और संतुलन पर अधिक ध्यान दिया जाना आवश्यक होता है। चंद्र नमस्कार विशेष रूप से चंद्रमा की ऊर्जा को जागृत करने के लिए, मन की शांति और मानसिक संतुलन को बढ़ाएं रखने के लिए किया जाता है।
चंद्र नमस्कार का अभ्यास पारंपरिक रूप से तब किया जाता है। जब आसमान में चंद्रमा दिखाई देता है। और विशेष रूप से चंद्र नमस्कार अमावस्या या पूर्णिमा की रात्रि को किया जाना ज्यादा फायदेमंद होता है। हालांकि इसका अभ्यास आप कभी भी कर सकते हैं। जब आप अपने मन की अधिक शांति चाहते हैं।
चंदन नमस्कार यदि रात्रि के समय किया जाए तो, शरीर को अधिक लाभ देता है। उदाहरण के लिए जब आप सोने जाते हैं, तो सोने से पहले आप चंद्र नमस्कार आराम से कर सकते हैं। इससे आपका शरीर शांत और स्वस्थ बना रहेगा।
प्रश्न- चंद्र नमस्कार करने से क्या लाभ हैं?
उत्तर- मन की शांति
चंद्र नमस्कार करने से हमारे मन को शांति प्राप्त होती है। चंद्र नमस्कार मन को शांत रखने के साथ-साथ भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में भी मदद करता है।
शीतलता
चंद्र नमस्कार करने से हमारा शरीर शीतलता और तरोताजा महसूस करता है। खास तौर पर जब हम विशेष तनावपूर्ण परिस्थितियों में रह रहे हो।
लचीलापन
चंद्र नमस्कार करने से हमारे शरीर की मांसपेशियों में ताकत और लचीलापन आने लगता है।
अनिद्रा की समस्या से छुटकारा
जिन लोगों की नींद की समस्या होती है। उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती है। यदि वह चंद्र नमस्कार करते हैं, तो उन्हें अनिद्रा और बेचैनी जैसी समस्याओं से छुटकारा प्राप्त होता है।
पाचन तंत्र
नमस्कार करने से हमारे शरीर का पाचन तंत्र बेहतर होता है। चंद्र नमस्कार आंतरिक अंगों के कार्य क्षमता बढ़ाने में मदद करता।
प्रश्न- अर्द्ध चंद्राकार मुद्रा आसन क्या है?
उत्तर- इस आसन के लिए सबसे पहले आपको सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाना है। इसके उपरांत आपको अपनी सांस छोड़ते हुए बाई और धीरे-धीरे झुकना है। फिर सांस लेते हुए वापस अपने सावधान की मुद्रा में आ जाना है। ऐसे ही आपको कम से कम 10 से 15 बार दोहराना है।
प्रश्न- पश्वोर्तासान क्या है?
उत्तर- इस आसन के लिए सबसे पहले आपको सावधान मुद्रा में खड़े हो जाना है। इसके उपरांत सांस लेते हुए अपने बाएं हाथ और पैर को चटाई पर रखना है। इसके बाद आपको सांस छोड़ते हुए दाएं हाथ और पैर को आगे की ओर ले जाना है। इसके उपरांत आपको अपने कूल्हों को सीधा ऊपर रखने की कोशिश करना है। अपने दोनों पैरों को मजबूत स्थिति से नीचे बनाए रखें। इस आसन में आपका शरीर पिरामिड की आकार का दिखाई देने लगता है।
प्रश्न- देवी मुद्रा आसन क्या है?
उत्तर- इस आसन के लिए आपको अपने बाएं पैर को आगे की ओर फैलाते हुए बाहर रखना है। इसके बाद आपको सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ना है। अपने कूल्हों को नीचे रखना है। और हाथों को 90 डिग्री के कोण पर मुड़ना है। अपने अंगूठे और तर्जनी उंगलियों को आपस में मिलाकर रखता है।
प्रश्न- त्रिकोण आसन क्या है?
उत्तर- इसके लिए आपको पैरों को सीधा रखना है। और दाहिने पैर को घुमाते हुए उसकी उंगलियां बाय दिशा की ओर ले जाना है। बाएं पैर की उंगलियां सामने की ओर रखने की कोशिश करना है। अपनी भुजाओं को सीधा फैलाना है। फिर दाएं और झुकते हुए सर और दाएं हाथ को नीचे साथ में लाना है। सांस छोड़ना वह बाएं हाथ को आसमान की ओर सीधा उठाए रखना है। सर से ऊपर की ओर देखना है।
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