Karwa Chauth : कास के फूल जब बाजार में दिखने लगते हैं और हरसिंगार झलकने लगता है, ढोल नगाड़ा की थाप पड़ने लगती है शंख की ध्वनि हर तरफ़ गूंजने लगती है। तो हमारा मन बहुत ही पुलकन से भर जाता है। यह समूचा माहौल महादेवी मां दुर्गा की शुभआगमन के साथ सनातन धर्म की दूसरे पर्व त्योहार के आने की सूचना प्रदान करता है। इसके बाद दशहरा और दीपावली के बीच में कार्तिक की चतुर्थी आता है। यह चतुर्थी सुहागन स्त्रियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार में से एक होता है इस त्यौहार में सुहागनों के मायके से कई प्रकार की उपहार आते हैं।
Karwa Chauth : करवा चौथ के दिन सुहागने शाम को सोलह सिंगार करके, चंद्रमा के साथ, अपने प्रियतम पति के मुख मंडल को देखकर अपना व्रत पूर्ण करती हैं। सुहागने अपने पति की मंगल कामना व लंबी आयु की इच्छा रखते हुए अरमानों से सजधज कर फिर से नव नवेली दुल्हन बन जाती हैं। दांपत्य जीवन के केंद्र बिंदु को करवा चौथ का व्रत पूर्ण करता है लेकिन इस व्रत में सबसे महत्वपूर्ण बात यह होता है, कि पति और पत्नी के बीच में परस्पर समझ और सामंजस होना अनिवार्य हो। आईए जानते हैं करवा चौथ के दिन कुछ खास बातें।
Karwa Chauth : परवाह
Karwa Chauth : सुहागिन महिलाओं द्वारा करवा चौथ की तैयारी पहले से ही कर ली जाती है। इस दिन महिलाएं मेहंदी, परिधान, चूड़ी, बिंदी से लेकर पार्लर तक की तैयारी पहले से कर लेती हैं। उनके पति परमेश्वर को जो सिंगार भाता है, वह सिंगार भी वह पहले से ही खरीद लेती है। आखिर करवा चौथ का यह निर्जल व्रत वह अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल जिंदगी के लिए ही कर रही हैं।
आज के समय में यह प्रश्न बहुत ज्यादा उठ रहा है, कि जब पत्नियां अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ जैसे निर्जल उपवास करती हैं, तो पति उनके दीर्घायु के लिए इस तरह के व्रत क्यों नहीं करते? इसी बात को लेकर उनमें कभी कभी नोंकझोंक भी हो जाती हैं। जिनके पति करवा चौथ का व्रत नहीं करते हैं, वह इस त्यौहार में तानो के शिकार भी होते हैं। महिलाओं को ऐसा लगता है, कि उनके पति उनके परवाह नहीं करते।
Karwa Chauth : समर्पण
Karwa Chauth : यह बात समझने वाली सबसे ज्यादा है, किसी बात को जोर देकर मनवाने का अर्थ सही नहीं रहता। व्रत और उपवास जैसे त्योहारों में तो यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहता। कुछ लोग व्रत और उपवास अपने मन के भाव से करते हैं। उनके साथी का उपवास रहना एक ऐसा टॉप्स होता है, जिसको निभाना से उनके संबंधों में प्रगाढ़ता आती है। और उनके प्रति आत्मसमर्पण की भावना जागृत होती है। ऐसे व्रत किसी अन्य व्यक्ति पर जबरन नहीं लादे जा सकते। वैसे भी पति घर के बाहर कामों में व्यस्त रहते हैं ।
अतः उनके लिए किसी भी प्रकार का व्रत करना असुविधाजनक रहता है। इसलिए उन्हें व्रत और उपवास से दूर रखा गया है। लेकिन पति अपनी पत्नी की चाहत में हमेशा समर्पण रहते हैं। यही सबसे महत्वपूर्ण उपवास होता है।
Karwa Chauth : दोहरी जिम्मेदारी
Karwa Chauth : व्रत और उपवास के मामले में सभी बातें महिलाओं पर ही लागू होती है। लेकिन कुछ महिलाएं कालकाजी होने के कारण उनके लिए व्रत और उपवास रखना दुविधाजनक हो सकता है। यह उनके जीवन की दोहरी जिम्मेदारी होती है। क्योंकि उन्हें 8- 9 घंटे की ड्यूटी भी करनी होती है। इसके उपरांत घर में आकर घर के कामों को भी पूरा करना होता है। तथा व्रत या उपवास की तैयारी भी करनी होती है। ऐसे में उनके पास दोहरी जिम्मेदारी हो जाती है।
Karwa Chauth : सामंजस्य
Karwa Chauth : किसी भी व्रत त्यौहार में पति-पत्नी एक दूसरे को कितना समझते हैं, यह बात सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। उनका आपसी सामंजस्य कितना अच्छा है, यह उनके प्यार और परवाह को तय करता है। पति यदि पत्नी के होने वाले कष्ट को समझ कर उसके साथ सहयोग करता है, तो और भी अच्छा रहता है। व्रत के समय यदि पति घर के काम में हाथ बटाएं, बच्चों की जिम्मेदारी संभाल ले, बाजार से सामान ले आए तथा पत्नी का ख्याल रखें तो उनके प्यार और आपसी सामंजस्य में चार चांद लग जाते हैं।
Karwa Chauth : दांपत्य का आधार
Karwa Chauth : दांपत्य जीवन का समझदारी और अनुभव के साथ ही गुजर बसर होता है। इसमें पति और पत्नी दोनों को अपनी अपनी तरफ से चेष्टा करनी चाहिए। दांपत्य साथियों को अपने साथी से अपेक्षाएं रहती है, लेकिन अपने साथी की क्षमता को भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। अतः दांपत्य जीवन को समंजस, अनुकूलता, आपसी समझ से निभाना चाहिए। यही दंपति जीवन का आधार होता है।
निष्कर्ष
Karwa Chauth : इस वर्ष के करवा चौथ में पति-पत्नी के बीच में बहुत गहरा सामंजस बना रहे। उन दोनों में ऐसी समझ बनी रहे, कि दोनों का जीवन खुशहाल हो जाए। वे दोनों एक दूसरे के प्रेम और परवाह को पहचाने और अपने जीवन के हर प्रसंग में आगे बढ़े। करवा चौथ का यह पावन पर सुंदर, प्रेम, उल्लास और आनंद से भर जाए लेखक यही कामना करता है।
अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न- करवा चौथ के दिन पति पत्नी रात को क्या करते हैं?
उत्तर- सुहागिन महिलाओं द्वारा करवा चौथ की तैयारी पहले से ही कर ली जाती है। इस दिन महिलाएं मेहंदी, परिधान, चूड़ी, बिंदी से लेकर पार्लर तक की तैयारी पहले से कर लेती हैं। उनके पति परमेश्वर को जो सिंगार भाता है, वह सिंगार भी वह पहले से ही खरीद लेती है। आखिर करवा चौथ का यह निर्जल व्रत वह अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल जिंदगी के लिए ही कर रही हैं।
प्रश्न- करवा चौथ का व्रत पति रख सकता है क्या?
उत्तर- आज के समय में यह प्रश्न बहुत ज्यादा उठ रहा है, कि जब पत्नियां अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ जैसे निर्जल उपवास करती हैं, तो पति उनके दीर्घायु के लिए इस तरह के व्रत क्यों नहीं करते? इसी बात को लेकर उनमें कभी कभी नोंकझोंक भी हो जाती हैं। जिनके पति करवा चौथ का व्रत नहीं करते हैं, वह इस त्यौहार में तानो के शिकार भी होते हैं। महिलाओं को ऐसा लगता है, कि उनके पति उनके परवाह नहीं करते।
प्रश्न- करवा चौथ के दिन पति अपना समर्पण कैसे दिखाए ?
उत्तर- Karwa Chauth : यह बात समझने वाली सबसे ज्यादा है, किसी बात को जोर देकर मनवाने का अर्थ सही नहीं रहता। व्रत और उपवास जैसे त्योहारों में तो यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहता। कुछ लोग व्रत और उपवास अपने मन के भाव से करते हैं। उनके साथी का उपवास रहना एक ऐसा टॉप्स होता है, जिसको निभाना से उनके संबंधों में प्रगाढ़ता आती है। और उनके प्रति आत्मसमर्पण की भावना जागृत होती है। ऐसे व्रत किसी अन्य व्यक्ति पर जबरन नहीं लादे जा सकते। वैसे भी पति घर के बाहर कामों में व्यस्त रहते हैं । अतः उनके लिए किसी भी प्रकार का व्रत करना असुविधाजनक रहता है। इसलिए उन्हें व्रत और उपवास से दूर रखा गया है। लेकिन पति अपनी पत्नी की चाहत में हमेशा समर्पण रहते हैं। यही सबसे महत्वपूर्ण उपवास होता है।
प्रश्न- करवा चौथ के दिन पति पत्नी सामंजस्य कैसे बिठाये ?
उत्तर- Karwa Chauth : किसी भी व्रत त्यौहार में पति-पत्नी एक दूसरे को कितना समझते हैं, यह बात सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। उनका आपसी सामंजस्य कितना अच्छा है, यह उनके प्यार और परवाह को तय करता है। पति यदि पत्नी के होने वाले कष्ट को समझ कर उसके साथ सहयोग करता है, तो और भी अच्छा रहता है। व्रत के समय यदि पति घर के काम में हाथ बटाएं, बच्चों की जिम्मेदारी संभाल ले, बाजार से सामान ले आए तथा पत्नी का ख्याल रखें तो उनके प्यार और आपसी सामंजस्य में चार चांद लग जाते हैं।
प्रश्न- करवा चौथ का व्रत दांपत्य का आधार कैसे है ?
उत्तर- Karwa Chauth : दांपत्य जीवन का समझदारी और अनुभव के साथ ही गुजर बसर होता है। इसमें पति और पत्नी दोनों को अपनी अपनी तरफ से चेष्टा करनी चाहिए। दांपत्य साथियों को अपने साथी से अपेक्षाएं रहती है, लेकिन अपने साथी की क्षमता को भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। अतः दांपत्य जीवन को समंजस, अनुकूलता, आपसी समझ से निभाना चाहिए। यही दंपति जीवन का आधार होता है।
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