Navratri Puja : सनातन धर्म की संस्कृति की मान्यता है, की नवरात्रि के समय प्रत्येक घर में अखंड ज्योति जागृत की जाती है। जिससे उपासक व उसके परिवार में सुख शांति और खुशहाली बनी रहती है। नवरात्रि के प्रथम दिन की पूजन से लेकर उनके विसर्जन तक विभिन्न प्रकार के आयोजन हिंदू धर्म के लोग श्रद्धा भाव से करते हैं।
Navratri Puja : नवरात्रि की इन नौ दिनों में घरों में जवारे लगाए जाते हैं। और अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है। कई लोग अपने घरों में कन्या भोज का भी आयोजन करते हैं।।
Navratri Puja : पूजन मंत्र
Navratri Puja : मां भगवती का पूजन करते समय उच्चारण करने वाला पूजन मंत्र निम्न प्रकार है।
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी l दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
अर्थात – हे मां जगदंबे ” जयंती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा धात्री और स्वधा ” आपको मेरा शत शत नमन है।
Navratri Puja : दीप प्रज्वलित मंत्र
Navratri Puja : नवरात्रि में दीप प्रज्वलित करते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें।
शुभ करोति कल्याणम् आरोग्यम् धन संपदा! शत्रु बुद्धि विनाशाय दीप ज्योतिर्नमोस्तुते ll
अर्थात – हे दीप ज्योति ” शुभ और कल्याण करने वाली, आरोग्य और धन संपदा देने वाली, शत्रु बुद्धि का विनाश करने तथा शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली दीप ज्योति” आपको मेरा शत शत नमन है।
Navratri Puja : अखंड ज्योति
Navratri Puja : दीप प्रज्वलित करने के उपरांत अखंड ज्योत का विधिविधान से पूजन करके नवमी तक प्रज्वलित रहना चाहिए। यदि बीच में अखंड ज्योति की बाती बदलना हो , तो सबसे पहले अखंड ज्योति से छोटा दीपक जागृत कर रख ले। इसके उपरांत ही अखंड ज्योति में बाती बदलना चाहिए।
Navratri Puja : पारण
Navratri Puja : नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। कन्याए महादेवी दुर्गा के स्वरूप का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके साथ ही कन्याओं को मां लक्ष्मी का स्वरूप भी माना जाता है। आमतौर पर लोग अष्टमी या नवमी के दिन कन्या भोज का आयोजन करते हैं। लेकिन कई लोग नवरात्रि के अन्य दिनों में भी कन्या भोज का आयोजन कर लेते हैं। कन्या भोज के दौरान छोटी-छोटी लड़कियों की देवी नवदुर्गा के अवतार के रूप में पूजा की जाती है। उसके बाद ही उपासक का व्रत समाप्त होता है।
Navratri Puja : कन्या पूजन की कुछ खास विधि।
Navratri Puja : नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व दिया गया है। हमारे सनातन धर्म में कन्याओं को देवियों का रूप माना गया है। इसलिए उनके पूजन की भी कुछ विधियां बताई गई हैं। जिन्हें अनिवार्य रूप से करना आवश्यक होता है।
स्वच्छ वस्त्र
Navratri Puja : कन्या भोज के दिन अच्छे से स्नान ध्यान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। इसके उपरांत मां दुर्गा के सामने दीप प्रज्वलित करना चाहिए। और मंत्र उच्चारण के साथ आरती व पूजन करना चाहिए। इसके पश्चात ही कन्याओं के लिए भोजन बनाना चाहिए।
नौ कन्याऐं और बटुक
Navratri Puja : कन्या भोज के दिन जो कुंवारी कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन करना बहुत ही शुभ माना गया है। बालक को पुराणों और ग्रंथो में बटुक माना गया है।।
कन्याओं और बटुक का श्रंगार
Navratri Puja : कन्या भोज करने से पहले कन्याओं और बटुक का विधिवत रूप से स्वागत कर श्रृंगार करना चाहिए। उनके हाथ पैर होना चाहिए, उन्हें कुमकुम और रौली का तिलक लगाना चाहिए, इसके बाद शुद्ध रूप से तैयार किया गया भोजन उन्हें खाने के लिए परोसना चाहिए।
दान दक्षिणा
Navratri Puja : कन्याओं को भोजन कराने के उपरांत, कन्याओं और बटुक को नए वस्त्र, दक्षिणा या कोई उपहार देकर उनसे आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए। कन्याओं को अक्षत देने के बाद उनके उनसे थोड़ा अक्षत लेकर घर में छिड़कते हुए उन्हें विदा करना चाहिए। कन्याओं की विदा प्रसन्न मन से करना चाहिए।
व्रत पारण
Navratri Puja : सनातन धर्म में कन्या भोज के बाद ही व्रत पारण का विधान उल्लेखित है। अगर आपने सिर्फ कन्या भोज के लिए व्रत रखा है, तो उनके भोजन करने के उपरांत ही व्रत का पारण करें।
Navratri Puja : अखंड ज्योति का विसर्जन
Navratri Puja : जो अखंड ज्योति अपने नवरात्रि के प्रारंभ से प्रज्वलित की थी, उसका पूजन करने के बाद नवमी या दशहरे के दिन ठंडा करना चाहिए। इसके उपरांत अखंड ज्योति की बाती निकालकर किसी पवित्र नदी या तालाब में विसर्जित करना चाहिए। अगर अखंड ज्योति में आपने मिट्टी के दीपक का प्रयोग किया है, तो उसे भी नदी या तलाब में विसर्जित करना चाहिए।
Navratri Puja : मां की चुनरी का उपयोग
Navratri Puja : नवरात्रि के पूजन में उपयोग की जाने वाली चुनरी को निकाल कर अपनी पूजा वाली स्थान में रख लेना चाहिए। या किसी निर्धन कन्या को श्रृंगार के समान के साथ प्रसन्न मन से भेंट कर देना चाहिए।
निष्कर्ष
Navratri Puja : सनातन धर्म में नवरात्रि का त्यौहार का विशेष महत्व बताया गया है। इस दौरान प्रत्येक हिंदू को स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। मां दुर्गा की स्तुति की जाती है। हमने अपने लेख में नवरात्रि की पूजन संबंधित कुछ जानकारी प्रस्तुत की है। आशा है, कि आपको उपरोक्त जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी।
अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न- नवरात्रि में 9 दिन कैसे पूजा करें?
उत्तर- सनातन धर्म की संस्कृति की मान्यता है, की नवरात्रि के समय प्रत्येक घर में अखंड ज्योति जागृत की जाती है। जिससे उपासक व उसके परिवार में सुख शांति और खुशहाली बनी रहती है। नवरात्रि के प्रथम दिन की पूजन से लेकर उनके विसर्जन तक विभिन्न प्रकार के आयोजन हिंदू धर्म के लोग श्रद्धा भाव से करते हैं।
प्रश्न- नवरात्रि पूजन का मंत्र क्या है?
उत्तर- मां भगवती का पूजन करते समय उच्चारण करने वाला पूजन मंत्र निम्न प्रकार है।
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी l दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
अर्थात – हे मां जगदंबे ” जयंती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा धात्री और स्वधा ” आपको मेरा शत शत नमन है।उत्तर-
प्रश्न- दीप प्रज्वलित मंत्र क्या है?
उत्तर- नवरात्रि में दीप प्रज्वलित करते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें।
शुभ करोति कल्याणम् आरोग्यम् धन संपदा! शत्रु बुद्धि विनाशाय दीप ज्योतिर्नमोस्तुते ll
अर्थात – हे दीप ज्योति ” शुभ और कल्याण करने वाली, आरोग्य और धन संपदा देने वाली, शत्रु बुद्धि का विनाश करने तथा शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली दीप ज्योति” आपको मेरा शत शत नमन है।उत्तर-
प्रश्न- अखंड ज्योति कैसे प्रज्वलित की जाती है ?
उत्तर- दीप प्रज्वलित करने के उपरांत अखंड ज्योत का विधिविधान से पूजन करके नवमी तक प्रज्वलित रहना चाहिए। यदि बीच में अखंड ज्योति की बाती बदलना हो , तो सबसे पहले अखंड ज्योति से छोटा दीपक जागृत कर रख ले। इसके उपरांत ही अखंड ज्योति में बाती बदलना चाहिए।
प्रश्न- पारण कैसे किया जाता है ?
उत्तर- नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। कन्याए महादेवी दुर्गा के स्वरूप का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके साथ ही कन्याओं को मां लक्ष्मी का स्वरूप भी माना जाता है। आमतौर पर लोग अष्टमी या नवमी के दिन कन्या भोज का आयोजन करते हैं। लेकिन कई लोग नवरात्रि के अन्य दिनों में भी कन्या भोज का आयोजन कर लेते हैं। कन्या भोज के दौरान छोटी-छोटी लड़कियों की देवी नवदुर्गा के अवतार के रूप में पूजा की जाती है। उसके बाद ही उपासक का व्रत समाप्त होता है।
प्रश्न- कन्या पूजन की विधि कैसे की जाती है ?
उत्तर- नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व दिया गया है। हमारे सनातन धर्म में कन्याओं को देवियों का रूप माना गया है। इसलिए उनके पूजन की भी कुछ विधियां बताई गई हैं। जिन्हें अनिवार्य रूप से करना आवश्यक होता है।
स्वच्छ वस्त्र
नौ कन्याऐं और बटुक
कन्याओं और बटुक का श्रंगार
दान दक्षिणा
व्रत पारण
प्रश्न- अखंड ज्योति का विसर्जन कैसे किया जाता है ?
उत्तर- जो अखंड ज्योति अपने नवरात्रि के प्रारंभ से प्रज्वलित की थी, उसका पूजन करने के बाद नवमी या दशहरे के दिन ठंडा करना चाहिए। इसके उपरांत अखंड ज्योति की बाती निकालकर किसी पवित्र नदी या तालाब में विसर्जित करना चाहिए। अगर अखंड ज्योति में आपने मिट्टी के दीपक का प्रयोग किया है, तो उसे भी नदी या तलाब में विसर्जित करना चाहिए।
प्रश्न- मां की चुनरी का उपयोग कैसे किया जाता है ?
उत्तर- नवरात्रि के पूजन में उपयोग की जाने वाली चुनरी को निकाल कर अपनी पूजा वाली स्थान में रख लेना चाहिए। या किसी निर्धन कन्या को श्रृंगार के समान के साथ प्रसन्न मन से भेंट कर देना चाहिए।
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