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C. V. Raman Biography 2024: प्रारंभिक जीवन, परिवार, शिक्षा, करियर, पुरस्कार और रमन प्रभाव

C. V. Raman Biography: भारत भूमि में 19वीं सदी में अंग्रेजों ने आधुनिक शिक्षा के लिए भारत देश में बहुत अच्छे विश्वविद्यालयो और कॉलेजों की स्थापना की थी। इन्हीं महाविद्यालय में से एक मद्रास का प्रेसीडेंसी कॉलेज था। इस कॉलेज में आधुनिक विज्ञान की जानकारी पाकर भारत देश में भी अनेक वैज्ञानिक आविष्कार किए गए। तथा इस कॉलेज के माध्यम से ऐसे ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों ने अपनी प्रसिद्धि हासिल की। उन्ही प्रसिद्ध वैज्ञानिक में से एक थे डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकट रमन । जिन्होंने विज्ञान जगत में गौरव प्राप्त कर भारतवासियों का मस्तक ऊंचा किया।

C. V. Raman Biography: डॉ चंद्रशेखर वेंकटरमन बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली थे। उन्होंने अपने जीवन काल में विज्ञान के क्षेत्र में बहुत अधिक रुचि दिखाई थी। आईए जानते हैं डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकट रमन की जीवन के बारे में।

विषय बस्तु

C. V. Raman का व्यक्तिगत परिचय

C. V. Raman Biography: भारत देश के तमिलनाडु राज्य के तिरुचिरापल्ली नगर में 7 नवंबर 1888 को चंद्रशेखर वेंकट रमन का जन्म हुआ था। इनके पिता श्री चंद्रशेखर अय्यर एक साधारण व्यक्तित्व के आदमी थे। जो तिरुचिरापल्ली के एक हाई स्कूल में अध्यापक के रूप में पदस्थ थे। बाद में उनके पिता विशाखापट्टनम के एक महाविद्यालय में भौतिकी के प्राध्यापक बन गए थे। डॉ रमन की माता श्रीमती पार्वती अम्मल थी जो एक ग्रहणी महिला थी।

C. V. Raman की शिक्षा

C. V. Raman Biography: डॉ रमन बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली थे। उन्होंने 12 वर्ष की आयु में वाल्टर के हाई स्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। इसके बाद उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई के लिए प्रवेश लिया। अपनी विशेष गुणवत्ता के कारण वह कॉलेज में सभी के स्नेह के पात्र बन गए। सन 1904 में उन्होंने स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की और सन 1907 में उन्होंने स्नाकोत्तर की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। कॉलेज में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। डॉक्टर रमन को विज्ञान विषय से बहुत प्रेम था, अतः उन्होंने भौतिक विज्ञान को अपने जीवन का लक्ष्य चुना।

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C. V. Raman का विवाह

C. V. Raman Biography: डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकटरमन का विवाह, श्री कृष्ण स्वामी अय्यर कि पुत्री त्रिलोक सुंदरी के साथ हुआ।

भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान परिषद

C. V. Raman Biography: एक बार डॉक्टर रमन अर्थ विभाग में काम करते हुए ट्राम में बैठकर डलहौजी स्क्वायर से अपने घर सियालदह जा रहे थे। तभी उनकी दृष्टि एक साइन बोर्ड पर पड़ी, जिस पर लिखा था “भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान परिषद” । उन्होंने तुरंत ट्राम से उतरकर परिषद भवन में जाकर परिषद के सचिव से भेंट की तथा दूसरे दिन मिलने का समय तय किया। परिषद के सचिव को डॉक्टर रमन ने अपने प्रकाशित लेख दिखाएं, जिससे वह बहुत अधिक प्रभावित हुए।

C. V. Raman Biography: उन्होंने डॉक्टर रमन को अनुसंधान कार्य के लिए सुविधा देने का आश्वासन दिया और परिषद का सदस्य बना लिया। रमन ने इस प्रयोगशाला में कई महत्वपूर्ण आविष्कार किये। जिससे उनकी ख्याति देश-विदेश में फैलने लगी। भारतीय विज्ञान अनुसंधान परिषद रमन जैसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिक पाकर गौरव का अनुभव करने लगे।

C. V. Raman के पिता की मृत्यु

C. V. Raman Biography: मार्च 1910 में अचानक उनके पिता की मृत्यु हो जाने के कारण उन्होंने अपने कार्य से 6 महीने की छुट्टी ले ली थी। वह अपने शहर मद्रास वापस आ गए थे। इस छुट्टी के दौरान उन्होंने अपने घर को ही प्रयोगशाला बना लिया था। और यहां पर उन्होंने कंपन और ध्वनि संचार के बारे में अनुसंधान करते रहे।

C. V. Raman का रमण प्रभाव

C. V. Raman Biography: एक बार डॉक्टर रमन प्रकाश संबंधी खोज के विषय में भाषण देने के लिए कनाडा जा रहे थे। इस यात्रा के दौरान उनका जहाज भूमध्य सागर से गुजर रहा था, तो उन्होंने देखा कि सागर के पानी का रंग नीला है। इस नीले रंग को देखकर वह एक गहरे चिंतन में डूब गए। कि इस नीले रंग का कारण क्या है ? उनके इस प्रश्न का उत्तर उस समय तक किसी की भी पास नहीं था।

C. V. Raman Biography: डॉ रमण इस प्रश्न की खोज में जुट गए। 7 साल तक कड़ी मेहनत करने के बाद उन्होंने अपने उस प्रश्न का हल खोज निकाला। उनकी यह खोज “रमन प्रभाव” के नाम से प्रसिद्ध हुई। जिसे उन्होंने 28 फरवरी 1928 को प्रकाशित किया। इस महान घटना की याद में हम 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाते हैं।

क्या है C. V. Raman का रमन प्रभाव ?

C. V. Raman Biography: जब एक रंग की प्रकाश की कारण किसी पारदर्शक पदार्थ में से होकर गुजरती है, तब उस किरण का कुछ भाग रास्ते में ही फैल जाता है । इस फैले हुए प्रकाश की तरंग लंबाई प्रारंभिक प्रकाश की तरंग लंबाई से अधिक होती है, इस कारण प्रकाश के दूसरे भाग का रंग प्रारंभिक भाग के रंग से भिन्न होता है। रंग का बदलना उस द्रव्य की आंतरिक विशेषताओं के कारण होता है।

C. V. Raman को डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि

C. V. Raman Biography: डॉ रमन की बहुमूल्य सेवाओं की उपलक्ष में कोलकाता विश्वविद्यालय में सन 1921 में “डॉक्टर ऑफ साइंस” की उपाधि से सम्मानित किया और सन 1924 में लंदन की रॉयल सोसाइटी में उन्हें अपने फैलों का सदस्य चुना गया।

C. V. Raman को भारत रत्न की उपाधि

C. V. Raman Biography: डॉ रमन की प्रतिभा और खोज के फल स्वरुप सन 1954 में भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न की उपाधि प्रदान की।

निष्कर्ष

C. V. Raman Biography: डॉक्टर सीवी रमन ने अपना संपूर्ण जीवन भारत के ज्ञान और विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में दिया। उन्होंने कहा था की “मैंने ज्ञान का उपयोग सैनिक कार्यों के लिए कभी नहीं किया है। मेरी हमेशा यही कोशिश है कि मेरी खोज का इस्तेमाल रचनात्मक कार्य में हो और इससे मानव जाति का कल्याण हो।”

अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न- चंद्रशेखर वेंकटरमन क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर- एक बार डॉक्टर रमन अर्थ विभाग में काम करते हुए ट्राम में बैठकर डलहौजी स्क्वायर से अपने घर सियालदह जा रहे थे। तभी उनकी दृष्टि एक साइन बोर्ड पर पड़ी, जिस पर लिखा था “भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान परिषद” । उन्होंने तुरंत ट्राम से उतरकर परिषद भवन में जाकर परिषद के सचिव से भेंट की तथा दूसरे दिन मिलने का समय तय किया। परिषद के सचिव को डॉक्टर रमन ने अपने प्रकाशित लेख दिखाएं, जिससे वह बहुत अधिक प्रभावित हुए।
C. V. Raman Biography: उन्होंने डॉक्टर रमन को अनुसंधान कार्य के लिए सुविधा देने का आश्वासन दिया और परिषद का सदस्य बना लिया। रमन ने इस प्रयोगशाला में कई महत्वपूर्ण आविष्कार किये। जिससे उनकी ख्याति देश-विदेश में फैलने लगी। भारतीय विज्ञान अनुसंधान परिषद रमन जैसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिक पाकर गौरव का अनुभव करने लगे।

प्रश्न- C. V. Raman के पिता की मृत्यु कैसे हुई/

उत्तर- C. V. Raman Biography: मार्च 1910 में अचानक उनके पिता की मृत्यु हो जाने के कारण उन्होंने अपने कार्य से 6 महीने की छुट्टी ले ली थी। वह अपने शहर मद्रास वापस आ गए थे। इस छुट्टी के दौरान उन्होंने अपने घर को ही प्रयोगशाला बना लिया था। और यहां पर उन्होंने कंपन और ध्वनि संचार के बारे में अनुसंधान करते रहे।

प्रश्न- C. V. Raman का विवाह किसके साथ हुआ ?

उत्तर- डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकटरमन का विवाह, श्री कृष्ण स्वामी अय्यर कि पुत्री त्रिलोक सुंदरी के साथ हुआ।

प्रश्न- चंद्रशेखर वेंकटरमन ने शिक्षा कहा ग्रहण की ?

उत्तर- डॉ रमन बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली थे। उन्होंने 12 वर्ष की आयु में वाल्टर के हाई स्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। इसके बाद उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई के लिए प्रवेश लिया। अपनी विशेष गुणवत्ता के कारण वह कॉलेज में सभी के स्नेह के पात्र बन गए। सन 1904 में उन्होंने स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की और सन 1907 में उन्होंने स्नाकोत्तर की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। कॉलेज में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। डॉक्टर रमन को विज्ञान विषय से बहुत प्रेम था, अतः उन्होंने भौतिक विज्ञान को अपने जीवन का लक्ष्य चुना।

प्रश्न- C. V. Raman को डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि क्यों प्राप्त हुई ?

उत्तर- डॉ रमन की बहुमूल्य सेवाओं की उपलक्ष में कोलकाता विश्वविद्यालय में सन 1921 में “डॉक्टर ऑफ साइंस” की उपाधि से सम्मानित किया और सन 1924 में लंदन की रॉयल सोसाइटी में उन्हें अपने फैलों का सदस्य चुना गया।

प्रश्न- C. V. Raman का रमन प्रभाव क्या है ?

उत्तर- C. V. Raman Biography: जब एक रंग की प्रकाश की कारण किसी पारदर्शक पदार्थ में से होकर गुजरती है, तब उस किरण का कुछ भाग रास्ते में ही फैल जाता है । इस फैले हुए प्रकाश की तरंग लंबाई प्रारंभिक प्रकाश की तरंग लंबाई से अधिक होती है, इस कारण प्रकाश के दूसरे भाग का रंग प्रारंभिक भाग के रंग से भिन्न होता है। रंग का बदलना उस द्रव्य की आंतरिक विशेषताओं के कारण होता है।

प्रश्न- सीवी रमन ने क्या आविष्कार किया था?

उत्तर- रमन प्रभाव

प्रश्न- रमन ने रमन प्रभाव की खोज किस कारण की?

उत्तर- एक बार डॉक्टर रमन प्रकाश संबंधी खोज के विषय में भाषण देने के लिए कनाडा जा रहे थे। इस यात्रा के दौरान उनका जहाज भूमध्य सागर से गुजर रहा था, तो उन्होंने देखा कि सागर के पानी का रंग नीला है। इस नीले रंग को देखकर वह एक गहरे चिंतन में डूब गए। कि इस नीले रंग का कारण क्या है ? उनके इस प्रश्न का उत्तर उस समय तक किसी की भी पास नहीं था।
डॉ रमण इस प्रश्न की खोज में जुट गए। 7 साल तक कड़ी मेहनत करने के बाद उन्होंने अपने उस प्रश्न का हल खोज निकाला। उनकी यह खोज “रमन प्रभाव” के नाम से प्रसिद्ध हुई। जिसे उन्होंने 28 फरवरी 1928 को प्रकाशित किया। इस महान घटना की याद में हम 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाते हैं।

प्रश्न- कोलकाता में चंद्रशेखर वेंकटरमन ने कौन से कार्य किया?

उत्तर- उन्होंने डॉक्टर रमन को अनुसंधान कार्य के लिए सुविधा देने का आश्वासन दिया और परिषद का सदस्य बना लिया। रमन ने इस प्रयोगशाला में कई महत्वपूर्ण आविष्कार किये। जिससे उनकी ख्याति देश-विदेश में फैलने लगी। भारतीय विज्ञान अनुसंधान परिषद रमन जैसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिक पाकर गौरव का अनुभव करने लगे।

प्रश्न- चंद्रशेखर वेंकटरमन को भारत रत्न पुरस्कार कब मिला?

उत्तर- C. V. Raman Biography: डॉ रमन की प्रतिभा और खोज के फल स्वरुप सन 1954 में भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न की उपाधि प्रदान की।

प्रश्न- चंद्रशेखर वेंकटरमन ने क्या खोज की?

उत्तर- रमन प्रभाव

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