भगवान गणेश जी ने बुद्धिमत्ता और बधाओ को दूर करने वाले के रूप में पूजा की जाती है। उनका व्यक्तिगत जीवन एक शरारती और चंचलता के रूप में भी माना जाता है। जो उनकी विशेषता को और गहरा महत्व प्रदान करती है।
एक बार एक दिलचस्प घटना घटी, भगवान विष्णु ने देखा कि उनका प्रिय दिव्य शंख अचानक गायब हो गया है। जिसे भगवान विष्णु अपनी शक्ति और पहचान का प्रतीक मानते थे। विष्णु जी के सभी प्रयासों के बावजूद भी भगवान विष्णु शंख का कोई पता ना लगा सके।
जब भगवान विष्णु कैलाश पर्वत गये, तो उन्होंने देखा की गणेश जी शंख के साथ खेल रहे हैं जैसे कोई खिलौना हो। भगवान विष्णु को समझते देर न लगी कि शंख गायब होने का श्रेय गणेश जी को ही जाता है। शंख वापस पाने के लिए उन्होंने भगवान शंकर से सलाह लेना उचित समझा।
भगवान विष्णु ने गणेश जी की पूजा के लिए भव्य आयोजन किया। जिससे प्रसन्न होकर गणेश जी ने भगवान विष्णु को शंख वापस लौटाया। यह कथा भगवान गणेश के शरारती स्वभाव और भक्तों के प्रति उनकी असीम कृपा का अद्भुत उदाहरण है।