अपने मन में ऐसे भाव उत्पन्न करना है, जैसे की आप सूर्य नारायण को उदय होता देख रहे हैं। जिस प्रकार सूर्य भगवान क्षितिज पर आते हैं । उसी प्रकार अपने मन में ऐसे भाव करें, कि सूर्य का प्रकाश बिंदु आपके नाभि के अंदर है।
यह विधि बहुत ही साधारण सी विधि है। इसे करने के लिए मुश्किल से आपको आधा मिनट लगेगा। लेकिन इस पूरे दिन में कम से कम छह बार करना है। इसका सबसे महत्वपूर्ण राज है, कि यह विधि आपको अचानक करना है।
जब भी आप काम करते हुए थकान महसूस करें और आपको लगे कि आपका काम करने में मन नहीं लग रहा है, तो 5 मिनट के लिए गहरी सांस लेते हुए छोड़ें। सांस छोड़ते समय अपने मन से अनमनापन बाहर निकाल कर फेंक दें।
पार्क में जाकर किसी पेड़ के नीचे बैठ जाए। इसके बाद ना तो आपको भविष्य के बारे में सोचना है, और न हीं अतीत के बारे में सोचना है, आपको सिर्फ वर्तमान स्थिति में बैठ जाना है। अपने मन में ऐसे भाव लाने हैं, कि आप दुनिया से गायब हो गए हैं।
अपने शरीर में श्वास को कुछ समय के लिए शिथिल करें। इसमें आपको अपने शरीर को शिथिल करने की आवश्यकता नहीं है। सिर्फ श्वसन क्रिया को शिथिल करना है। आप देखेंगे कि आपके चारों ओर कितने प्रकार की चीज चल रही है,
जब भी आपसे कोई व्यक्ति मिले तो आप बिल्कुल शांत भाव से उससे मिले। जब वह व्यक्ति आपके समीप आए तो गहरी सांस लेकर उसका स्वागत करें। इससे आपके मन को अपार शांति प्राप्त होगी।
जब भी आप नहा कर निकले तो अपने दोनों पैरों को समानांतर फैला कर खड़े हो जाएं। फिर आप देखें कि आपके कौन से पैर पर आपके शरीर का सबसे ज्यादा दबाव पड़ रहा है। अपने शरीर का दबाव पैरों की भार के अनुसार बदलती रहे।
किसी काम को ना कहने से आपके अंदर नकारात्मक नकारात्मक उर्जा उत्पन्न होती है। और अहंकार का भी जन्म होता है। इसके लिए आप अधिकतम हां का अनुसरण करें। हां का उच्चारण करने से आपके अंदर सकारात्मक भाव उत्पन्न होंगे।
हमें अपनी जिंदगी में प्रकृति और ईश्वर ने बहुत कुछ दिया है। लेकिन हम उनका कभी धन्यवाद नहीं करते हैं। अगर हमें जरा सी भी तकलीफ हो जाती है, तो हम उनको कसूरवार जरूर ठहरने लगते हैं। या उनसे शिकायत करने लगते हैं।