सनातन धर्म के सबसे बड़े महाकाव्य महाभारत में भी श्राद्ध को देव और पितरों को देवताओं का देवता माना गया है। इस महाकाव्य में अनेक प्रसंगों पर श्राद्ध के महत्व और विधान की विस्तार से चर्चा की गई है। इस प्रकार इस महाकाव्य ने पितरों को देवताओं का देवता माना है।
श्राद्ध पक्ष के इस महापर्व में भगवान शिव और पार्वती के संवाद में भगवान शिव ने कहा कि “जहां मनुष्य श्राद्ध और पितृ पूजन करता हो वहां मौन रहना बहुत आवश्यक है। मनुष्य द्वारा वाणी और शरीर को संयम रखकर किया गया श्राद्ध ही फलदायक सिद्ध होता है।”