श्राद्ध पक्ष प्रत्येक बस आश्विन मास के महीने में होता है। इस समय वर्षा काल में छाए हुए बादल छट जाते हैं। और आश्विन मास में आसमान स्वच्छ हो जाता है। अतः सुदूर पितृ लोक में बैठे हमारे पूर्वज जलांजलि ग्रहण करने के लिए धरती पर आते हैं।
अश्विन मास में मनाए जाने वाला यह उत्सव 16 दिनों का होता है। श्राद्ध पक्ष के इस उत्सव को शास्त्रों में महालय के नाम से वर्णित किया गया है। जिसमें मह का अर्थ उत्सव और आलय का अर्थ घर से लगाया जाता है। अर्थात महालय का शाब्दिक अर्थ घर में उत्सव माना जाता है।
भारतीय सनातन संस्कृति में श्राद्ध का वर्णन वैदिक काल में भी किया गया है। ऋग्वेद में पितरों को रात्रि के समय आसमान में चमकने वाले तारों को माना गया है। यह इस बात का प्रतीक है, कि यदि उनकी संतान के जीवन में किसी भी प्रकार का दुख: या अंधकार आता है,