अपने परिवार के किसी भी सदस्य, अपने रिश्तेदार, अपने मित्र और संबंधी आदि किसी को भी नामांकित किया जा सकता है। नामांकित करते समय व्यक्ति का नाम, उम्र और खाताधारक से संबंध, नामांकित व्यक्ति का पता आदि का विवरण दर्ज करवाना होता है।
सभी की यही धारणा रहती है कि खाते में जिस व्यक्ति को नामांकित किया जाता है, वही वारिस हो जाता है। यह अवधारणा गलत है, मान लेते हैं कोई व्यक्ति अपने भतीजे, दोस्त या रिश्तेदारों को अपने खाते में नामांकित करता है
खाता धारक अपने खाते में नाबालिक बच्चों को भी नामांकन कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें बच्चे का नाम, जन्मतिथि और खाताधारक से संबंध का वर्णन दर्ज करना होगा। इसके अतिरिक्त उन्हें नाबालिक बच्चों के अभिभावक या संरक्षक का भी विवरण दर्ज करना होगा।
खातेधारक यदि चाहता है, तो अपने खाते में नामांकित की सुविधा लेने से मना कर सकता है। लेकिन ऐसा करने से उसके परिवार को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है l। क्योंकि इस तरह के खातों की राशि बैंक में डूब जाती है।
यदि खाता धारक अपने खाते से नामांकित व्यक्ति को बदलकर किसी अन्य व्यक्ति को नामांकित करना चाहता है, तो बैंक का निर्धारित फॉर्म भरकर ऐसा करना आसान होता है।
खातेधारक की मृत्यु हो जाने के बाद, नामांकित व्यक्ति को, मृतक खाता धारक की राशि पर दावा करने के लिए कम कागजी कार्रवाई से गुजरना होता है।
भारत में पहले बैंक का सारा काम हाथों से लिखकर और फॉर्म भरकर किया जाता था। कंप्यूटर आ जाने के बाद, बैंकों ने खातेदारों का सारा डाटा ऑनलाइन ट्रांसफर किया है। लेकिन बहुत से मामले ऐसे आते हैं जिसमें नामांकन की जानकारी बैंक द्वारा नहीं डाली जाती है ।