कन्या भोज के दिन अच्छे से स्नान ध्यान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। इसके उपरांत मां दुर्गा के सामने दीप प्रज्वलित करना चाहिए। और मंत्र उच्चारण के साथ आरती व पूजन करना चाहिए। इसके पश्चात ही कन्याओं के लिए भोजन बनाना चाहिए।
कन्या भोज के दिन जो कुंवारी कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन करना बहुत ही शुभ माना गया है। बालक को पुराणों और ग्रंथो में बटुक माना गया है।।
कन्या भोज करने से पहले कन्याओं और बटुक का विधिवत रूप से स्वागत कर श्रृंगार करना चाहिए। उनके हाथ पैर होना चाहिए, उन्हें कुमकुम और रौली का तिलक लगाना चाहिए, इसके बाद शुद्ध रूप से तैयार किया गया भोजन उन्हें खाने के लिए परोसना चाहिए।
सनातन धर्म में कन्या भोज के बाद ही व्रत पारण का विधान उल्लेखित है। अगर आपने सिर्फ कन्या भोज के लिए व्रत रखा है, तो उनके भोजन करने के उपरांत ही व्रत का पारण करें।