पूजन मंत्र

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ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी l दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।

दीप प्रज्वलित मंत्र

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शुभ करोति कल्याणम् आरोग्यम् धन संपदा! शत्रु बुद्धि विनाशाय दीप ज्योतिर्नमोस्तुते ll

अखंड ज्योति

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दीप प्रज्वलित करने के उपरांत अखंड ज्योत का विधिविधान से पूजन करके नवमी तक प्रज्वलित रहना चाहिए। यदि बीच में अखंड ज्योति की बाती बदलना हो , तो सबसे पहले अखंड ज्योति से छोटा दीपक जागृत कर रख ले।

पारण

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नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। कन्याए महादेवी दुर्गा के स्वरूप का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके साथ ही कन्याओं को मां लक्ष्मी का स्वरूप भी माना जाता है। आमतौर पर लोग अष्टमी या नवमी के दिन कन्या भोज का आयोजन करते हैं।

अखंड ज्योति का विसर्जन

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जो अखंड ज्योति अपने नवरात्रि के प्रारंभ से प्रज्वलित की थी, उसका पूजन करने के बाद नवमी या दशहरे के दिन ठंडा करना चाहिए। इसके उपरांत अखंड ज्योति की बाती निकालकर किसी पवित्र नदी या तालाब में विसर्जित करना चाहिए।

मां की चुनरी का उपयोग

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नवरात्रि के पूजन में उपयोग की जाने वाली चुनरी को निकाल कर अपनी पूजा वाली स्थान में रख लेना चाहिए। या किसी निर्धन कन्या को श्रृंगार के समान के साथ प्रसन्न मन से भेंट कर देना चाहिए।