नवरात्रि में उपवास के दौरान दही के साथ यदि साबूदाने का सेवन करते हैं, तो यह शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। क्योंकि दही पाचन क्रिया का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। और साबूदाना में पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा और पोषक तत्व होते हैं।
नवरात्रि में व्रत के दौरान यदि उपासक दूध और दही के साथ फलक का अपने आहार में उपयोग करते हैं, तो इससे उन्हें अधिक ऊर्जा और पोषक तत्व प्राप्त होंगे।
साबूदाने में फाइबर नहीं पाया जाता है। लेकिन इसमें आलू को मिलने से पर्याप्त मात्रा में रेशे मिल जाते हैं। और इससे साबूदाने की गुणवत्ता बहुत अधिक बड़ जाती है। इस आहार से उपासक को पर्याप्त मात्रा में खनिज, प्रोटीन और पोषक तत्व प्राप्त हो जाते हैं।
कई लोग तले हुए साबूदाने का आहार व्रत में नहीं करते हैं। इसलिए वे लोग सूखे मेवे जैसे बादाम, काजू, मूंगफली और अखरोट आदि का सेवन अपने आहार के लिए कर सकते हैं। इन सूखे मेवा में उन्हें न केवल प्रोटीन प्राप्त होगा बल्कि बहुत सारे खनिज और पोषक तत्व भी प्राप्त होंगे।
यदि उपासक सुबह-सुबह सूखे मेंवो का सेवन करता है। तो उनके पेट में एसिडिटी व कब्ज की समस्या उत्पन्न नहीं होती है। और सुबह के समय सूखे मेवों का इस्तेमाल करने से पोषक तत्व अधिक मात्रा में मिल जाते हैं।
साबूदाने, आलू और समा सिर्फ खिचड़ी ही नहीं बनती है। बल्कि इसके इस्तेमाल से कई तरीके के स्वादिष्ट और पोषण युक्त आहार बनाए जा सकते हैं। इसके साथ ही अपने आहार में दूध के उत्पादों को मिलाकर यदि सेवन करते है, तो आपके शरीर में विभिन्न प्रकार के खनिज और पोषण तत्व प्राप्त होंगे।