आप भी अपनी युवा अवस्था में इस दौर से गुजरी होगी। आपने अपने अनुभव को भी जिया होगा।
किशोर को समझाएं, कि खुद को भावनात्मक रूप से संतुष्ट कैसे रखा जा सकता है।
उन्हें अपने आत्मविश्वास और आत्म सम्मान को बढ़ाने के लिए सकारात्मक आदतों और शोक का सहारा लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
उन्हें अपने माता-पिता और शिक्षकों से खुलकर बातचीत करना चाहिए।
वे अपने परिवार के साथ अपनी बात को खुलकर रख सकते हैं। उन्हें उनके निर्णय लेने में मदद मिलेगी।