जगदंबा मां दुर्गा की रोचक कहानी अस्सी घाट से मिलती है। पुराणों की कथा के अनुसार शुंभ और निशुंभ नाम के दो रक्षा थे। जगत जननी मां दुर्गा है जब उनका वध किया था।
सनातन धार्मिक सांस्कृतिक के अनुसार यह माना जाता है कि यहां भगवान ब्रह्मा जी ने 10 अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान किया था।
जब भगवान शंकर माता पार्वती के साथ तालाब के किनारे घूम रहे थे, तो मां पार्वती जी के कानों से मणि चक्र पुष्कर्णी गिर गई थी।
पुराणों में ऐसा मानना है की अयोध्या के राजा सत्यवादी हरिश्चंद्र ने अपने पुत्र का अंतिम संस्कार इसी घाट पर किया था । इसीलिए इस घाट का नाम हरिशचंद्र घाट प्रचलित हुआ
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग इस घाट पर स्थित है इसलिए इस स्थान को केदार घाट कहा जाता है। ईस घाट पर तीर्थ यात्रियों की भीड़ देखने को मिलती है।
पंचगंगा घाट काशी का सबसे पुराना व प्रचलित तीर्थ में से एक है। इस घाट में मां गंगा, मां यमुना, मां सरस्वती, मां करना और धूतपापा आपस में मिल जाती हैं ।
इस घाट का निर्माण राजस्थान के राजा मानसिंह ने करवाया था। ऐसा माना जाता है यहां पर स्नान करने वाले भक्तगणों को हिमालय में स्थित मानसरोवर गंगा में स्नान करने जितना पुण्य प्राप्त होता है।
काशी का सबसे पहला और प्रमुख विष्णु तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध आदि केशव काशी के प्रमुख तीर्थ में से एक है। पुराणों की मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु पहली बार अपने गरुण पर सवार होकर महादेव के कहने पर काशी आए थे ।
इस घाट का निर्माण उस समय के फौजदार मीर रुस्तम अली ने करवाया था इसी कारण इसे मीर घाट कहा जाता है।