सुहागिन महिलाओं द्वारा करवा चौथ की तैयारी पहले से ही कर ली जाती है। इस दिन महिलाएं मेहंदी, परिधान, चूड़ी, बिंदी से लेकर पार्लर तक की तैयारी पहले से कर लेती हैं। उनके पति परमेश्वर को जो सिंगार भाता है, वह सिंगार भी वह पहले से ही खरीद लेती है।
यह बात समझने वाली सबसे ज्यादा है, किसी बात को जोर देकर मनवाने का अर्थ सही नहीं रहता। व्रत और उपवास जैसे त्योहारों में तो यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहता। कुछ लोग व्रत और उपवास अपने मन के भाव से करते हैं।
व्रत और उपवास के मामले में सभी बातें महिलाओं पर ही लागू होती है। लेकिन कुछ महिलाएं कालकाजी होने के कारण उनके लिए व्रत और उपवास रखना दुविधाजनक हो सकता है। यह उनके जीवन की दोहरी जिम्मेदारी होती है।
किसी भी व्रत त्यौहार में पति-पत्नी एक दूसरे को कितना समझते हैं, यह बात सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। उनका आपसी सामंजस्य कितना अच्छा है, यह उनके प्यार और परवाह को तय करता है।
दांपत्य जीवन का समझदारी और अनुभव के साथ ही गुजर बसर होता है। इसमें पति और पत्नी दोनों को अपनी अपनी तरफ से चेष्टा करनी चाहिए। दांपत्य साथियों को अपने साथी से अपेक्षाएं रहती है, लेकिन अपने साथी की क्षमता को भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए।