यह बैंक द्वारा चार्ज की जाने वाली वह फीस होती है। जिसे बैंक लोन के आवेदन के संबंध में लेती है। अर्थात लोन की प्रक्रिया करने के लिए बैंकों को लगने वाला खर्च प्रोसेसिंग फीस कहलाता है। यह प्राया: 0.5 % से 2 % तक हो सकती है। यह नॉन रिफंडेबल रहती है।
अगर आप अपनी लोन की तय सीमा से पहले लोन की मूलधन की कुछ राशि को चुकाने का निर्णय लेते हैं, तो उसे पार्ट पेमेंट कहते हैं। या आप अपने लोन को पूर्णता चुकाना चाहते हैं, तो उसे फॉर क्लोजर कहते हैं।
कई बैंकों द्वारा लोन आवेदन में प्रशासनिक शुल्क लिया जाता है। यह शुल्क दस्तावेजों का प्रमाणीकरण करने के लिए लिया जाता है।
जब बैंक होम लोन या प्रॉपर्टी लोन या कोई वाहन फाइनेंस करती है, तो उसके मूल्यांकन की जांच के लिए यह चार्ज वसूला जाता है। यह चार्ज के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं।
इस प्रकार की चार्ज सरकारी चार्ज होते हैं। जो संपत्ति के कानूनी रूप से स्थानांतरण करने पर लोनी व्यक्ति को चुकाने होते हैं। इन्हें बैंक की फीस में शामिल नहीं किया जा सकता है।
अगर आप अपनी लोन की किस्त का समय पर भुगतान नहीं करते हैं। या उसे देर से चुकाते हैं, तो बैंक इस पर आपसे पेनल्टी चार्ज वसूलता है। यह चार्ज एक निश्चित प्रतिशत पर वसूला जाता है।
प्रयास सभी बैंक के लोन करते समय लोन सुरक्षा बीमा करती है। इस प्रकार की बीमा से आपकी किस्त की ईएमआई बढ़ जाती है।
यदि आप अपने लोन की ब्याज दर को बदलना चाहते हैं। जैसे फिक्स्ड से फ्लोटिंग या फ्लोटिंग से फिक्स्ड या अपने ब्याज दर को काम करवाना चाहते हैं, तो इस तरह की प्रक्रिया में बैंक आपसे कन्वर्जन चार्ज वसूल करता है।
बैंक द्वारा लोन लेने वाले व्यक्ति के दस्तावेजों को तैयार करने उन्हें सत्यापित करने और उन्हें एक स्थान पर सुरक्षित रखने के लिए डॉक्यूमेंट चार्ज लिया जाता है।