रावण त्रेता युग का सबसे बुद्धिमान ब्राह्मण वंश का राक्षस था। उसके जैसा बुद्धिमान उसे युग में कोई दूसरा नहीं था। समस्त वेदों, पुराणों, उपनिषद, राजनीतिक, अंतरिक्ष, शास्त्रों, योग, साधना, विज्ञान और आयुर्वेद का विज्ञाता रावण था।
रावण को दशानन भी कहा जाता हैं। अर्थात रावण के 10 सर थे। रावण का पहला सर चारों वेदों का ज्ञान रखता था। दूसरा सर शास्त्रों का ज्ञान रखता था। तीसरा सर पुराणों का ज्ञान रखता था। चौथा सर विज्ञान और कलाकारी का ज्ञान रखता था।
रावण में बहुत सारी अच्छाइयां थी। लेकिन इतनी अच्छाइयां होने के बावजूद भी उसके अंदर अहंकार बहुत ज्यादा बढ़ गया था। रावण को येसा लगने लगा था, कि वह विश्व का सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति है। उसे कभी कोई हरा नहीं सकता।
आज के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। इसलिए आज के दिन को दशहरा के रूप में मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त मां देवी दुर्गा ने 9 दिन के युद्ध के बाद दसवें दिन महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।
रावण भगवान शिव का परम भक्त था। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उसने कई बार भगवान शिव की कठोर तपस्या की। लेकिन तब भी भगवान से प्रकट नहीं हुए। इस पर रावण ने भगवान शिव को अपने सर की बलि देना आरंभ कर दिया।
दशहरा के इस पावन पर्व संपूर्ण भारत में राम चरितमानस के आधार पर रामलीला का मंचन किया जाता है। जो भगवान श्री राम के चरितार्थ का वर्णन नाटकीय किया ढंग से करता है।