आज के समय बच्चों को जरा सी मुसीबत आ जाती है, तो उनके चेहरे लटक जाते है, उनके कंधे हर मारकर थक जाते हैं और उनके चेहरे की भंगिया हारे हुए खिलाड़ी जैसी लगने लगती है। ऐसी स्थिति में उन्हें हर जगह नकारात्मकता दिखाई देने लगती है।
आज के समय में बच्चे बहुत आलसी हो गए हैं। अगर बच्चों से किसी काम को कहा जाए, तो उनका कहना होता है, कि आप उन्हें तंग कर रहे हैं। बच्चे खुद को पीड़ितों की तरह पेश करना शुरू कर देते हैं। जैसे माता-पिता उन्हें हर समय सताते रहते हो और उनकी परवाह न करते हो।
आज के समय में बच्चे माता-पिता के मामलों में दखल देना सीख रहे हैं। मोबाइल और टीवी ने उन्हें इस तरह से बेलगाम कर दिया है, कि वह अब अपने माता-पिता से बराबर बहस करने लगें है। बच्चे अब स्कूल से आकर सीधे मोबाइल लेकर बैठने लगे हैं और उन्हें टोकने पर पलट कर जवाब देने लगे।