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Pathology Test : पैथोलॉजी टेस्ट पर घबराने से हो सकता है खतरा, टेस्ट करवाते समय करें ये 4 उपाय, जाने टेस्ट रिपोर्ट पढ़ने के 5 आसान तरीके

Pathology Test : आज के समय में पैथोलॉजी की जांच करवाना हमारे जीवन का अहम हिस्सा चुकी है। और लोग पैथोलॉजी की जांच करवाने से घबराते रहते हैं। वास्तव में पैथोलॉजी हमारे खून, पेशाब, पा, लार, बलगम और शरीर के अन्य हिस्सों की जांच करता है। इस टेस्ट के माध्यम से पैथोलॉजिस्ट या डॉक्टर यह जानने की कोशिश करते हैं, कि वास्तव में हमारे शरीर में रोग क्या है? और वह कितना गहरा है?

Pathology Test : इसके अतिरिक्त यदि उक्त रोग का आपका इलाज चल रहा है, तो उस इलाज से आपके शरीर को कितना लाभ मिल रहा है। या फिर उस रोग के उपचार को बदलने की आवश्यकता है। यह सारी जानकारी पैथालॉजिस्टिक या डॉक्टर को पैथोलॉजी टेस्ट की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद पता चलती है।

Pathology Test : पैथोलॉजी टेस्ट की इतनी सारी खूबियां होने के बावजूद भी अक्सर यही देखा जाता है, कि लोग जांच के नाम पर अपने मन में विभिन्न प्रकार के भय या शंका उत्पन्न कर लेते हैं। जिसकी वजह से कई बार लोगों की दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। उनकी सांस फूलने लगती है। या उनके शरीर में कंपकपी जैसे लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं। यह उनके मन का बेवजह का डर है।

विषय बस्तु

Pathology Test : पैथोलॉजी टेस्ट करवाते समय करें यह उपाय

खुशी के पल को याद रखें

Pathology Test : पैथोलॉजी में पहुंचने के बाद अपनी सांसों को व्यवस्थित करें। अगर आपको सुई से डर लगता है, तो सुई की ओर ना देखें और अपना ध्यान कहीं और लगाए। इसके लिए आप अपने मन में उन पलों को याद रख सकते हैं, जिसमें आपको अधिक प्रसन्नता हुई होती है। अपने ब्लड का सैंपल देते समय पानी पीकर अवश्य बैठे।

मित्र या परिजन को ले जाएं

Pathology Test : पैथोलॉजी में ब्लड का सैंपल देने के समय अपने किसी करीबी या मित्र परिजन को अपने साथ ले जाएं। आपके मित्र या परिजन आपकी मनोदशा के अनुसार आपका ध्यान भटकाने में मदद करेंगे। तथा वेटिंग रूम में भी आपका समय काटने में मदद करेंगे।

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परिस्थिति से घबराएं नहीं

Pathology Test : खून का सैंपल लेने के लिए कई बार पतली नालीदार उपकरण का उपयोग किया जाता है। या कई बार शरीर के हिस्से पर कट लगाया जाता है। इस बात का हमेशा ध्यान रखें, की इस तरीके के टेस्ट में चिकित्सक अपनी पूरी सावधानी बनाएं रखते हैं। तथा आपको किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है। कट लगाने के स्थान पर सबसे पहले शुन्य किया जाता है। इसके उपरांत ही कट लगाया जाता है।

सुई का दर्द

Pathology Test : आज के समय में ब्लड के सैंपल लेने के कई तरीके उपलब्ध हैं। आधुनिक युग में पाई जाने वाली सुइयां चुभन कम देती हैं। जिसकी वजह से शरीर में नाम मात्र का दर्द होता है।

Pathology Test : जांच रिपोर्ट पढ़ने के तरीके

नियत संख्या

Pathology Test : जांच रिपोर्ट में दो कॉलम होते हैं। एक कॉलम में आपकी खून की जांच की रिपोर्ट तथा दूसरे कॉलम में शरीर की नार्मल वैल्यू उल्लेखित रहती है। जांच रिपोर्ट में दी गई नियत संख्या रेंज के रूप में प्रदर्शित की जाती है। जो प्रत्येक मनुष्य के रूप रंग, हाव-भाव और शरीर के अनुसार भिन्न हो सकती है।

नॉरमल वैल्यू

Pathology Test : बच्चों, बड़ों और बुजुर्गों की नार्मल वैल्यू अलग-अलग होती है। यह बात चिकित्सा और पैथोलॉजिक को अच्छी तरह से मालूम होती है। लेकिन सामान्य व्यक्ति को यह समझना आवश्यक होता है, की रिपोर्ट अगर नॉरमल वैल्यू के आंकड़े को पार कर रही है, तो स्थिति सामान्य है।

नेगेटिव और पॉजिटिव

Pathology Test : ऐसे कई पैथोलॉजी टेस्ट होते हैं, जिनकी जांच रिपोर्ट में अंक नहीं होते हैं। उन रिपोर्ट में सिर्फ निगेटिव या पॉजिटिव शब्द लिखा होता है। इसका सीधा सा अर्थ होता है, कि जिस रोग के लिए टेस्ट लिया गया है। अगर वह है, तो पॉजिटिव है। और नहीं है, तो नेगेटिव है।

नई जांच की जरूरत

Pathology Test : कई बार हमारे साथ ऐसा होता है, कि चिकित्सक एक जांच पूरी करवा लेता है। और पुनः दूसरी जांच के लिए निर्देशित कर देता है। ऐसे में हम यह सोचने लगते हैं, की पहली बार में ही सारी जांच क्यों नहीं बताई। वास्तव में पहली जांच रिपोर्ट अगली जांच करवाने के लिए दिशा निर्देश देती है।

जांच और चिकित्सक

Pathology Test : कई बार हमेशा सोचने लगते हैं, कि चिकित्सक हमारी जांच रिपोर्ट के अनुसार कार्य नहीं कर रहे हैं। बल्कि हमें भटका रहे हैं। वास्तव में हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि चिकित्सक हमारी रिपोर्ट की नहीं, बल्कि हमारा इलाज कर रहे हैं। इसलिए हमें उन पर भरोसा करना चाहिए। तथा विनम्रता पूर्वक कारण जानने की कोशिश करना चाहिए। यदि इसके बाद भी हम संतुष्ट नहीं होते हैं, तो अपना चिकित्सक बदल सकते हैं।

निष्कर्ष

Pathology Test : पैथोलॉजी टेस्ट न सिर्फ हमारे शरीर में रोगों का पता लगाती है। बल्कि शरीर के अंदर सामान्य गतिविधियों का भी रिकॉर्ड तैयार करती है। इसलिए जितनी बार भी आप अपनी पैथोलॉजी टेस्ट करवाये। सब की रिपोर्ट अपनी पास सुरक्षित संभाल कर रखें। ताकि आपके चिकित्सक को आपकी शरीर की वास्तविक स्थिति की का ज्ञान हमेशा बना रहे। वास्तव मैं यही मुद्दा है, कि हमें हर स्थिति में पैथोलॉजी टेस्ट जरूर करवाना चाहिए

अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न- पैथोलॉजी रिपोर्ट कैसे पढ़ें?

उत्तर-  नियत संख्या
Pathology Test : जांच रिपोर्ट में दो कॉलम होते हैं। एक कॉलम में आपकी खून की जांच की रिपोर्ट तथा दूसरे कॉलम में शरीर की नार्मल वैल्यू उल्लेखित रहती है। जांच रिपोर्ट में दी गई नियत संख्या रेंज के रूप में प्रदर्शित की जाती है। जो प्रत्येक मनुष्य के रूप रंग, हाव-भाव और शरीर के अनुसार भिन्न हो सकती है।
नॉरमल वैल्यू
Pathology Test : बच्चों, बड़ों और बुजुर्गों की नार्मल वैल्यू अलग-अलग होती है। यह बात चिकित्सा और पैथोलॉजिक को अच्छी तरह से मालूम होती है। लेकिन सामान्य व्यक्ति को यह समझना आवश्यक होता है, की रिपोर्ट अगर नॉरमल वैल्यू के आंकड़े को पार कर रही है, तो स्थिति सामान्य है।उत्तर-  

प्रश्न- पैथोलॉजी में कौन से टेस्ट किए जाते हैं?

उत्तर-  Pathology Test : आज के समय में पैथोलॉजी की जांच करवाना हमारे जीवन का अहम हिस्सा चुकी है। और लोग पैथोलॉजी की जांच करवाने से घबराते रहते हैं। वास्तव में पैथोलॉजी हमारे खून, पेशाब, पा, लार, बलगम और शरीर के अन्य हिस्सों की जांच करता है। इस टेस्ट के माध्यम से पैथोलॉजिस्ट या डॉक्टर यह जानने की कोशिश करते हैं, कि वास्तव में हमारे शरीर में रोग क्या है? और वह कितना गहरा है?

प्रश्न- पैथोलॉजी डॉक्टर का क्या काम होता है?

उत्तर-  पैथोलॉजी टेस्ट न सिर्फ हमारे शरीर में रोगों का पता लगाती है। बल्कि शरीर के अंदर सामान्य गतिविधियों का भी रिकॉर्ड तैयार करती है। इसलिए जितनी बार भी आप अपनी पैथोलॉजी टेस्ट करवाये। सब की रिपोर्ट अपनी पास सुरक्षित संभाल कर रखें। ताकि आपके चिकित्सक को आपकी शरीर की वास्तविक स्थिति की का ज्ञान हमेशा बना रहे। वास्तव मैं यही मुद्दा है, कि हमें हर स्थिति में पैथोलॉजी टेस्ट जरूर करवाना चाहिए

प्रश्न- पैथोलॉजी टेस्ट क्या होता है?

उत्तर-  पैथोलॉजी टेस्ट की इतनी सारी खूबियां होने के बावजूद भी अक्सर यही देखा जाता है, कि लोग जांच के नाम पर अपने मन में विभिन्न प्रकार के भय या शंका उत्पन्न कर लेते हैं। जिसकी वजह से कई बार लोगों की दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। उनकी सांस फूलने लगती है। या उनके शरीर में कंपकपी जैसे लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं। यह उनके मन का बेवजह का डर है।

प्रश्न- पैथोलॉजी टेस्ट में नेगेटिव और पॉजिटिव का क्या अर्थ होता है?

उत्तर-  ऐसे कई पैथोलॉजी टेस्ट होते हैं, जिनकी जांच रिपोर्ट में अंक नहीं होते हैं। उन रिपोर्ट में सिर्फ निगेटिव या पॉजिटिव शब्द लिखा होता है। इसका सीधा सा अर्थ होता है, कि जिस रोग के लिए टेस्ट लिया गया है। अगर वह है, तो पॉजिटिव है। और नहीं है, तो नेगेटिव है।

प्रश्न- क्या पैथोलॉजी टेस्ट करवाने के बाद नई जांच की जरूरत होती है ?

उत्तर-  कई बार हमारे साथ ऐसा होता है, कि चिकित्सक एक जांच पूरी करवा लेता है। और पुनः दूसरी जांच के लिए निर्देशित कर देता है। ऐसे में हम यह सोचने लगते हैं, की पहली बार में ही सारी जांच क्यों नहीं बताई। वास्तव में पहली जांच रिपोर्ट अगली जांच करवाने के लिए दिशा निर्देश देती है।

प्रश्न- जांच और चिकित्सक में से क्या सही है ?

उत्तर-  कई बार हमेशा सोचने लगते हैं, कि चिकित्सक हमारी जांच रिपोर्ट के अनुसार कार्य नहीं कर रहे हैं। बल्कि हमें भटका रहे हैं। वास्तव में हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि चिकित्सक हमारी रिपोर्ट की नहीं, बल्कि हमारा इलाज कर रहे हैं। इसलिए हमें उन पर भरोसा करना चाहिए। तथा विनम्रता पूर्वक कारण जानने की कोशिश करना चाहिए। यदि इसके बाद भी हम संतुष्ट नहीं होते हैं, तो अपना चिकित्सक बदल सकते हैं।

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गूगल की गुगली

प्रश्न- हवाई जहाज़ के ब्लैक बॉक्स का रंग क्या होता है?

उत्तर-  वास्तव में हवाई जहाज के ब्लैक बॉक्स का रंग चमकीला नारंगी रंग का होता है। ब्लैक बॉक्स का रंग नारंगी इसलिए होता है, ताकि किसी दुर्घटना के बाद हवाई जहाज की आसानी से ख़ोज की जा सक। ब्लैक बॉक्स को फ्लाइट रिकॉर्डर के नाम से भी जाना जाता है। ब्लैक बॉक्स हवाई जहाज के सबसे पिछले हिस्से में लगा रहता है।

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