2 वर्ष से 3 वर्ष के बच्चे कमाई का सिद्धांत समझने में सक्षम हो जाते हैं। उन्हें बिस्तर पर फैले खिलौने को सही जगह रखना जैसे आसान से टास्क देकर उनकी मानसिक स्थिति का विकास किया जा सकता है।
ऊपर दिए गए सिद्धांत से जैसे-जैसे बच्चे कामना सीखते जाएंगे। उन्हें वस्तुओं की कीमतों का एहसास होने लगेगा। बाजार में कुछ चीज महंगी होती हैं, तो कुछ चीज सस्ती होती हैं।
इस समय बच्चों को यह सिखाना चाहिए, कि उन्हें किस चीज की जरूरत है, और किस चीज की चाहत है, इसका अंतर भी उन्हें समझ में आना चाहिए। उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि वह अपने पैसे को कैसे खर्च कर सकते हैं।
बच्चों की दी जाने वाली पॉकेट मनी पर आप नजर रख सकते हैं, कि आपके द्वारा दिए जाने वाली पॉकेट मनी को वह किस प्रकार खर्च कर रहे हैं। उन्हें ऐसी खरीदारी करने से रोके जिन्हें जाने टाला जा सकता है। ताकि वह अपने पैसों का बेहतर इस्तेमाल कर सकें।
बच्चों को पैसे के लेनदेन के बारे में भी जरूर सिखाएं। अपने दोस्तों से पैसे उधार लेना तथा उस समय पर चुकाने जैसी आदतों को जरूर सिखाएं। ताकि भविष्य में होने वाले किसी भी बड़े लोन को वह आसानी से चुका सकेंगे।
किसी भी प्रकार की आर्थिक समस्याओं से बचने के लिए बजट बनाना बहुत आवश्यक होता है। अपने बच्चों को पूरे महीने का पर होने वाले खर्च को नोट करने के लिए कहें। ताकि वह अगले माह अपनी पॉकेट मनी के अनुसार बजट बना सके।
बचपन से ही अपने बच्चों को बैंक ले जाना आवश्यक होता है। बैंकों में जमा निकासी की प्रक्रिया को बच्चों को सिखाना बहुत जरूरी होता है। इससे बच्चे भविष्य में किसी प्रकार की बैंकिंग समस्याओं से बच सकते हैं।
बच्चों को निवेश करने की आदत डालें। ताकि वह भविष्य में अपने पैसे को निवेश कर सकें। तथा बच्चों को निवेश की बारीकियां भी सिखाना बहुत आवश्यक होता है।
यदि आपके बच्चे कोई गलत निर्णय ले लेते हैं। नतीजन असफल हो जाते हैं, तो यह भी उन्हें सिखाना बहुत आवश्यक होता है, कि उनके इस गलत निर्णय से उनके महीने का बजट किस प्रकार से प्रभावित होता है। ताकि उन्हें सबक मिल जाए।
बच्चों को 50/30/20 का गोल्डन रूल सिखाना बहुत आवश्यक होता है। इसका मतलब होता है, कि अपनी आय का 50% जरूरत पर, 30% इच्छाओं पर और 20% रुपए बचत करना बहुत आवश्यक होता है।ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की समस्याओं से बचा जा सके।