भारतीय बाजार में विदेशी निवेशको की दिलचस्पी बढ़ने की वजह से, भारत के सरकारी बॉन्ड की डिमांड, सप्लाई के मुकाबले ज्यादा हो सकती हैं। ऐसा होने से सरकारी बॉन्ड की कीमत में अधिक उछाल आने की संभावना है।
भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने भारतीय निवेशकों को, सरकारी बॉन्ड में निवेश करने के लिए आरबीआई रिटेल डायरेक्ट स्कीम के माध्यम से अनुमति दी है। सरकारी बॉन्ड को ट्रेजरीडायरेक्ट वेबसाइट या किसी ब्रोकर के माध्यम से खरीदा जा सकता है।
डेथ म्युचुअल फंड में ग्रोथ होने पर, होने वाले रिडेंप्शन पर ही टैक्स चुकाना पड़ता है। जबकि रिटेल डायरेक्ट स्कीम में हर साल मिलने वाले ब्याज पर हर साल टैक्स का भुगतान करना होता है।
भारत में महंगाई की दर घटने लगती है, तो भारतीय रिजर्व बैंक पर ब्याज दर घटाने का दबाव बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। सरकारी बॉन्ड के मार्केट के लिए यह एक पॉजिटिव संकेत होता है। ब्याज दरों में होने वाली कमी से सरकारी बॉन्ड के दामों में वृद्धि होना आसान हो जाता है।
भारतीय मार्केट में प्रचलित एफडी या अन्य तरह के इन्वेस्टमेंट की विकल्पों की तुलना में, सरकारी बॉन्ड अधिक ब्याज दरों के लिए पेशकश कर सकते हैं। इसमें शेयर बाजार की तुलना में जोखिम की आवश्यकता बहुत कम होती है।