अक्सर कई लोग भावनात्मक रूप से बहुत ज्यादा संवेदनशील होते हैं। वे स्थिति का सामना करने की अपेक्षा मौन रहना ज्यादा पसंद करते हैं।
किसी किसी व्यक्ति को लगता है, कि मौन रहकर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है या अन्य व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास कराया जा सकता है।
मौन की अवधारणा को कभी-कभी असंतोष या नाराजगी के रूप में भी प्रकट करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
कभी-कभी व्यक्ति को ऐसा लगता है, कि बातचीत के दौरान लोग उसकी बात नहीं सुनेंगे या वह कुछ बोलेगा तो उसकी बातों का दोषारोपण शुरू किया जा सकता है।