महिष्मति आगमन
ओंकारेश्वर के बाद शंकराचार्य जी विद्वान कुमारिल भट्ट से मिलने काशी गए । महंत भट्ट उसे समय समाधि में विराजमान थे।
उज्जयिनी आगमन
अपनी दिग्विजय यात्रा के दौरान द्वितीय चरण में शंकराचार्य उज्जयिनी आए। उज्जयिनी उस समय कापालिकाओ का केंद्र बन गया था।
पीठों की स्थापना
आदि शंकराचार्य के महान संगठन कार्यकर्ता थे । उन्होंने अटक से लेकर भटक तक, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक पैदल यात्रा की थी।
उपासना
शंकराचार्य भगवान शिव के उपासक थे उन्होंने शिव मानस स्तुति की रचना की थी।