मदन मोहन मालवीय चाहते थे कि भारत में एक ऐसा विश्वविद्यालय हो जो भारतीय संस्कृति की छाप छोड़ता हो ।अतः उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की।
राजनीतिक क्षेत्र में मदन मोहन मालवीय को काफी यश प्राप्त हुआ। वह 1919 में लाहौर कांग्रेस के और 1918 में दिल्ली कांग्रेस के प्रधान चुने गए। उस समय देश में चलने वाले असहयोग आंदोलन में उन्हें चार बार जेल जाना पड़ा।
जब वह भाषण दिया करते थे तो लोग बड़े ध्यान से मंत्रमुग्ध होकर उनके भाषण सुना करते थे। जितने लोग उनसे मिला करते थे वह उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते थे । उनके व्यक्तित्व से कई लोगों ने प्रेरणा प्राप्त की।
मालवीय जी की सबसे बड़ी गुणवत्ता यह थी कि उन्हें जो बात उचित लगती थी उसे पर बराबर डटे रहते थे भले ही कोई उनके साथ दे अथवा ना दें । लोगों के विरोध करने के बाद भी वह अपने विश्वास पर अटल रहते थे ।
उस वक्त भारत देश की स्थिति ऐसी थी कि यहां पर लोग हिंदी भाषा का उपयोग कम किया करते थे । सभी सरकारी दफ्तरों में अंग्रेजी भाषा का बोलबाला था। मालवीय ने अपने जीवन काल में हिंदी भाषा का सबसे ज्यादा समर्थन किया ।
महात्मा गांधी उनके कार्य और व्यक्तित्व से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मालवीय को महामना की उपाधि देदी l